सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है जो सितारों को उनके प्रशंसकों से जोड़ता है। लेकिन वही मंच अब उनकी प्रतिष्ठा, करियर और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा भी बन चुका है। इस तकनीक से कलाकारों को ट्रोलिंग, ऑनलाइन हेट और साइबर बुलिंग जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसकी जकड़ में न सिर्फ बाॅलीवुड है, बल्कि साउथ सिनेमा भी इसका शिकार बनता जा रहा है
एक समय था जब फिल्मी सितारों तक आम जनता की पहुंच सिनेमाघरों, साक्षात्कारों और मैगजीन के पन्नों तक सीमित थी। आज सोशल मीडिया ने यह दूरी लगभग मिटा दी है। प्रशंसक और सितारे एक-दूसरे से सीधे संवाद कर रहे हैं। सोशल मीडिया की यह तकनीक जहां कलाकारों को उनके प्रशंसकों से जोड़े रखती है, वहीं इस तकनीक ने कलाकारों को ट्रोलिंग, ऑनलाइन हेट और साइबर बुलिंग जैसी समस्याओं से भी सामना करना पड़ रहा है। बाॅलीवुड और साउथ सिनेमा दोनों ही इंडस्ट्रीज इन डिजिटल हमलों का सामना कर रही हैं। चाहे फिल्म की रिलीज हो या किसी कलाकार का निजी निर्णय, सोशल मीडिया हर बात का फैसला तुरंत कर देता है। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कलाकारों को ट्रोल्स कर उनको बाॅयकाॅट का ट्रेंड शुरू हुआ है।
ट्रोलर्स के निशाने पर दीपिका पादुकोण
बाॅलीवुड की सुपर स्टार दीपिका पादुकोण ने निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा की आगामी फिल्म ‘स्पिरिट’ से बाहर होने पर विवादों में हैं। इस फिल्म में साउथ सुपरस्टार प्रभास मुख्य भूमिका निभा रहे थे जबकि दीपिका लीड रोल में थी। कयास लगाए जा रहे हैं कि फिल्म में बोल्ड सीन की वजह से दीपिका ने फिल्म छोड़ी थी। एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि दीपिका के फिल्म छोड़ने के बाद इसकी कहानी के बारे में जानकारी लीक हो गई थी। जिस पर संदीप रेड्डी वांगा ने सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म ‘एक्स’ पर एक क्रिप्टिक पोस्ट शेयर किया जिसमें उन्होंने बिना नाम लिए दीपिका पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, ‘जब मैं किसी एक्टर को कहानी सुनाता हूं तो मैं उस पर 100 प्रतिशत भरोसा करता हूं। हमारे बीच एक अनकहा एनडीए (नाॅन डिस्क्लोज एग्रीमेंट) होता है। इस पोस्ट से कई यूजर्स ने अंदाजा लगाया कि वांगा ने दीपिका पर यह तंज कसा है, जिसमें उन्होंने दीपिका पर अनप्रोफेशनल व्यवहार और कहानी लीक करने का आरोप लगाया। इसके बाद ट्रोलर्स ने सोशल मीडिया पर दीपिका को ट्रोल करना शुरू कर दिया। ट्विटर (अब एक्स), इंस्टाग्राम और यूट्यूब के कमेंट सेक्शन में दीपिका को ‘अप्रोफेशनल’, ‘गर्वित मां’ और ‘नकली नारीवादी’ तक कहा गया। कुछ यूजर्स ने यहां तक कहा कि ‘मातृत्व को ग्लैमराइज’ करने के लिए उन्होंने फिल्म छोड़ी। अब सवाल यह नहीं कि उन्होंने फिल्म क्यों छोड़ी? सवाल यह है कि एक महिला के मातृत्व को सोशल मीडिया पर कैसे सार्वजनिक मजाक का विषय बनाया जा रहा है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब दीपिका किसी विवाद में फंसी हों। इससे पहले उनकी फिल्म ‘पठान’ के गाने ‘बेशर्म रंग’ और जेएनयू दौरे को लेकर भी उनकी आलोचना हुई थी।
फिल्म बाॅयकाॅट बाॅलीवुड ट्रेंड का दौर
पिछले कुछ वर्षों में ‘बाॅयकाॅट बाॅलीवुड ट्रेंड’ ने भारत में भी जड़ें जमा ली हैं। किसी कलाकार का कोई पुराना बयान हो या उनकी राजनीतिक पसंद, सोशल मीडिया ट्रोलर्स इसे पकड़कर तुरंत बाॅयकाॅट ट्रेंड शुरू कर देते हैं। विजय देवरकोंडा की फिल्म ‘लाइगर’ इसका ताजा उदाहरण है। फिल्म रिलीज से पहले ही ट्रोलिंग का शिकार हो गई। ट्रोलर्स ने कभी करण जौहर के प्रोडक्शन से जुड़ाव को लेकर तो कभी अभिनेता विजय को अपनी राय रखने के लिए ट्रोल करना शुरू कर दिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि फिल्म के रिलीज होते ही उसका बहिष्कार शुरू हो गया और इसके बाॅक्स ऑफिस प्रदर्शन पर प्रतिकूल असर पड़ा। ऐसा ही रणवीर सिंह के साथ हुआ। रणवीर सिंह की ‘जयेशभाई जोरदार’ एक प्रगतिशील फिल्म थी जिसमें लिंग-भ्रूण हत्या जैसे विषय पर बात की गई थी। लेकिन ट्रोलर्स द्वारा फिल्म को देखे बिना उसके एक सीन को निकालकर वायरल किया गया और कहा गया कि ‘यह हिंदू मूल्यों के खिलाफ है।’
महिला कलाकार हुई ज्यादा ट्रोल
आज का कलाकार सिर्फ परदे पर ही नहीं इंस्टाग्राम रील्स, ट्वीट्स और यूट्यूब शाॅर्ट्स में भी जीवित रहता है। वह केवल अपने अभिनय के लिए नहीं, बल्कि अपने खाने, पहनावे, यात्राओं, यहां तक कि मुस्कान या चुप्पी के लिए भी ट्रोल किया जाते हैं। यदि ट्रोलिंग का चेहरा देखा जाए तो यह महिलाओं के प्रति अधिक दिखाई देता है। अभिनेत्री सामंथा रुथ प्रभु जब अभिनेता नागा चैतन्य से अलग हुईं तो सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स ने उन्हें ‘बेवफा’, ‘करियरिस्ट’ और ‘नारीवाद की आड़ में तलाक लेने वाली’ तक कह दिया। इसके अलावा जब आलिया भट्ट ने कहा कि उन्हें राजनीति में दिलचस्पी नहीं तो उन्हें ‘अज्ञानी नेपोटिज्म प्रोडक्ट’ कहकर ट्रोल किया गया। यानी एक इंसान के व्यक्तिगत निर्णय को सार्वजनिक रूप से गालियों और धमकियों में बदल देना सोशल मीडिया पर आम बात हो गई है।
यही नहीं यामी गौतम की शादी को ‘पीआर स्टंट’ बताया गया जबकि करीना कपूर को अपने बेटे तैमूर के नाम को लेकर वर्षों तक ट्रोल किया गया। यानी कि महिला कलाकारों की हर निजी या पेशेवर गतिविधि को भी दोहरी कसौटी पर परखा जाता है।
ट्रोलिंग का मानसिक और करियर पर प्रभाव
यह मान लेना कि ट्रोलिंग केवल ‘ऑनलाइन’ असर करती है, एक बड़ी भूल है। ट्रोलिंग से पीड़ित कई कलाकारों ने मनोवैज्ञानिक उपचार लिया है। अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने एक बार खुलासा किया कि उन्होंने ऑनलाइन नफरत से परेशान होकर थेरेपी लेनी शुरू की, वहीं अभिनेता आर माधवन ने अपने बेटे की ओलम्पिक सफलता पर ट्रोलिंग के बाद कहा कि ‘सोशल मीडिया अब प्रेरणा नहीं, नफरत का अड्डा बन चुका है।’
कुछ कलाकार सोशल मीडिया से दूर भी हुए हैं। आमिर खान ने व्यक्तिगत कारणों से सोशल मीडिया छोड़ा, वहीं सोनाक्षी सिन्हा और आयुष्मान खुराना जैसे कलाकार ट्रोलिंग के जवाब में अक्सर ‘डिजिटल डिटाॅक्स’ लेते हैं।
बाॅलीवुड बनाम टाॅलीवुड : क्या ट्रोलिंग की तीव्रता में अंतर है?
जहां बाॅलीवुड को अक्सर ‘नेपोटिज्म’, ‘वोक कल्चर’, ‘हिंदू विरोध’ जैसे आरोपों से ट्रोल किया जाता है, वहीं साउथ सिनेमा के कलाकार ‘स्टारडम के घमंड’, ‘हिंदी विरोध’ और ‘डबल स्टैंडर्ड’ के आरोपों से घिरे रहते हैं। दिलचस्प बात यह है कि जब साउथ सिनेमा की फिल्में ‘कांतारा’, ‘आरआरआर’ और ‘पुष्पा’ सफलताएं पाती हैं तो वही सोशल मीडिया उन्हें ‘भारत की असली संस्कृति का प्रतीक’ बताता है। यानी सोशल मीडिया का मिजाज भी ट्रेंड और टाइमिंग पर निर्भर करता है और ट्रोलिंग कभी भी किसी के भी खिलाफ मुड़ सकती है।
संदेह के घेरे में सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म की भूमिका
सोशल मीडिया कम्पनियां अक्सर ‘फ्री स्पीच’ का हवाला देकर ट्रोलिंग कंटेंट को नजरअंदाज कर देती हैं। ट्विटर और इंस्टाग्राम ने कुछ मामलों में ट्रोल अकाउंट्स सस्पेंड किए हैं लेकिन यह केवल तब होता है जब ट्रोलिंग राजनीतिक रूप ले लेती है या बड़े मीडिया का ध्यान खींचती है। अभिनेत्री शर्लिन चोपड़ा जो अक्सर विवादास्पद बयानों के कारण ट्रोल होती हैं, ने एक बार कहा था ‘प्लेटफाॅम्र्स’ तभी एक्शन लेते हैं जब कोई वीआईपी पीड़ित हो, आम कलाकारों की कोई सुनवाई नहीं होती।’