[gtranslate]
entertainment

कितना हकीकत, कितना फसाना ‘72 हूरें’

सिनेमा जगत में इन दिनों दो बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संजय पूरन सिंह की फिल्म ‘72 हूरें’ को लेकर एक बार फिर विवाद बढ़ गया है। जिस पर इल्जाम है कि यह फिल्म इस्लाम में नफरत फैलाने के लिए बनाई गई है तो कुछ मौलवी नव युवकों को ‘72 हूरों’ का लालच दिखाकर आतंकवादी बनाते हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या यह सच है? क्या इस तरह बाॅम्बर बनने पर 72 हूरें मिलेंगी? यह हकीकत है या फसाना?

सिनेमा को समाज का दर्पण माना जाता है लेकिन पिछले कुछ समय से ऐसी फिल्में बन रही हैं जो समाज को आईना दिखाने की जगह समाज में नफरत फैलाने का काम कर रही हैं। फिल्मों में तथ्यों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स, ‘द केरल स्टोरी’ वर्तमान की ऐसी फिल्में हैं जिन्हें लेकर खूब विवाद हुआ। अब ऐसी ही एक और फिल्म ‘72 हूरें’ हैं जो इस सप्ताह 7 जुलाई को रिलीज हो गई है। जिसे लेकर देशभर में नई बहस छिड़ गई है।

फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे आतकंवादियों को जन्नत में ‘72 हूरें’ के सपने दिखाकर आत्मघाती बना दिया जाता है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस्लाम में ‘72 हूरें’ का जिक्र हैं या यह फिल्म भी अन्य फिल्मों की तरह सिर्फ प्रोपगैंडा फिल्म कहलाएगी। लेकिन तथ्य ये भी दिए जा रहे हैं कि यह फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है। फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे नौजवान कट्टरपंथियों के बहकावे में आकर सुसाइड बम बन रहे हैं। कैसे ‘72 हूरें’ के लालच में अपने आप को बम से उड़ा देते हैं। कैसे आतंकवादी युवाओं का ब्रेनवाॅश किया जा रहा है।

फिल्म के एक दृश्य में मानव बम

दरअसल फिल्म के ट्रेलर की शुरुआत में दिखाया गया है कि कैेसे एक दाढ़ी वाला शख्स महल में कई लोगों को बैठाकर कहता है ‘हूरें समझते हो क्या? सूंदर हूरों, अनछुई हूरों वह भी एक नहीं दो नहीं, बल्कि 72 हूरें। उसके बाद एक शख्स अल्लाह हो अकबर कहता हुआ अपने आप को बम से उड़ा लेता है। चारों तरफ लाशें ही लाशें दिखाई देती हंै। फिल्म में पवन मल्होत्रा एक युवा आतंकवादी का रोल निभा रहे हैं। ट्रेलर में ट्वीस्ट तब आता है जब उन्हें न तो हूरें नसीब होती हंै और न ही जन्नत। ट्रेलर के रिलीज के बाद लोगों के अलग-अलग बयान भी सामने आ रहे हैं। कुछ इस्लामिक स्क्लोर का मानना है कि 72 हूरों का मतलब सिर्फ सुंदर युवतियों से नहीं हैं, बल्कि वे जन्नत में आपके इर्द-गिर्द रहे लोग भी हो सकते हैं। इसका मतलब मां, बाप, भाई कोई भी हो सकता है जबकि कुछ मौलाना इसको सिर्फ और सिर्फ युवतियों से जोड़ रहे हैं।

गौरतलब है कि जब से इस फिल्म का टीजर सामने आया है तब से ही इसका विरोध होना शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर इसके विरोध में लोग एकजुट होना शुरू हो गए हैं। टीजर में दिखाया गया है कि कैसे मासूम युवाओं को मरने के बाद ‘72 हूरों’ का सपना दिखाकर उनसे आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसे इस्लाम की छवि खराब करने वाली फिल्म बताकर विरोध कर रहे हैं। कोई इसे प्रोपगैंडा फिल्म बता रहा है तो कोई इसे देश में नफरत फैलाने वाली फिल्म कह रहा है। लोगों का कहना है कि इसके जरिए दो धर्मों के बीच नफरत फैलाने का काम किया जा रहा है।

क्या है 72 हूरें का मतलब, क्या कहती है हदीस 

हदीस तिरमिज़ी खंड-2 पृ .(35-40) में दिए गए हूरों के सौंदर्य का वर्णन किया गया है कि 72 हूर मतलब कुवारी 72 लड़कियां हैं। हूर या हूरी इस्लाम में ऐसी मान्यता है कि यदि खुदा की खिदमत में अपनी जिंदगी लगा दी जाये और उसी के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी जाये तो जन्नत नसीब होती है। जन्नत वह स्थान है जहां मानव जीवन के रूप में होने वाले सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं।

हूर एक अत्यधिक सुंदर युवा स्त्री होती है जिसका शरीर पारदर्शी होता है। उसका रंग सफेद है, और साधारण स्त्रियों की तरह शारीरिक कमियों जैसे मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति, मलमूत्र विसर्जन, गर्भधारण इत्यादि संबंधित विकारों से मुक्त होती है। प्रत्येक हूर किशोर वय की कन्या होती है। उसके स्तन गोल और बडे़ होते हैं जो झुके हुए नहीं हैं। हूरें भव्य परिसरों वाले महलों में रहता हैं।

हूर यदि ‘जन्नत’ में अपने आवास से पृथ्वी की ओर देखे तो सारा मार्ग सुगंधित और प्रकाशित हो जाता है। हूर का मुख दर्पण से भी अधिक चमकदार होता है तथा उसके गाल में कोई भी अपना प्रतिबिंब देख सकता है। उसकी हड्डियों का द्रव्य आंखों से दिखाई देता है। प्रत्येक व्यक्ति जो ‘जन्नत’ में जाता है, उसको 72 हूरें दी जाएंगी। जब वह ‘जन्नत’ में प्रवेश करता है, मरते समय उसकी उम्र कुछ भी हो, वहां तीस वर्ष का युवक हो जाएगा और उसकी आयु आगे नहीं बढ़ेगी। हदीस तिरमिज़ी खंड-2
(पृ ़138) कहती है कि ‘जन्नत में एक पुरुष को एक सौ पुरुषों के बराबर कामशक्ति दी जाएगी’।

72 हूरें एंटी इस्लाम नहींः अशोक पंडित

फिल्म के निर्देशक अशोक पंडित ने टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान कहा कि मैं सीबीएफसी के निर्णय से हैरान हूं। उन्होंने हमारे ट्रेलर को होल्ड पर रखा है। जब फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट मिल गया है तो ट्रेलर को क्यों नहीं रिलीज होने दिया जा रहा है। ट्रेलर भी तो उस फिल्म के कुछ सीन्स को काटकर बनाया गया है। आप कह रहे हैं जब तक उस ट्रेलर में से वे पैर वाला शाॅट को नहीं हटा दिया जाता। तब तक सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा, ऐसा क्यों? दूसरा उन्होंने कहा कुरान का एक शब्द है, उसे निकालने के लिए कहा, लेकिन वह शब्द तो फिल्म में भी है। अब समझ में नहीं आ रहा है जब फिल्म रिलीज होने वाली है तो आपको आपत्ति हो रही है, कौन लोग हैं जो इस फिल्म को बदनाम कर रहे हैं। मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं जिस फिल्म को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आॅफ इंडिया के पैनल में स्क्रीनिंग की जा चुकी है, जिसको नेशनल अवार्ड भी मिल चूका हैं। ऐसे ही कोई फिल्म नेशनल अवार्ड थोड़ी जितती है, उसको हर पहलू पर जांचा जाता है तो फिर ट्रेलर के सर्टिफिकेशन देने में क्या आपत्ति है?

फिल्म में अल्लाह हो . . . अकबर जैसे लाइनों पर उन्होंने कहा कि लोगों ने अल्लाह का नाम लेकर ह्यूमन बम बनाया है न। मैं कश्मीर में रहा हूं, वहां जब हमें निकाला जा रहा था, वहां के लोग कहते हैं कि हमें आजादी चाहिए। आजादी का मतलब क्या? ‘ला इल्हा इलल्हा… ये सब तो रियलिटी है न। आतंकवादी धर्म का इस्तेमाल तो करते ही हैं। मैं तो कहूंगा कि इस धर्म के लोगों को इसका विरोध करना चाहिए और इसके खिलाफ लड़ना चाहिए कि हमारे कौम को क्यों बदनाम किया जा रहा है। फिल्म को गाली मत दो आप उन ताकतों को एक्सपोज करो जो लोगों को धर्म का नाम लेकर मार रहे हैं। वह तो कौम का इस्तेमाल कर रहे हैं। खुद मौलवी अपनी वीडियोज में कहते हैं कि ‘आप काफिरों को मारो, आपको 72 हूरें मिलंेगी।’ मैं हर गलत चीज के खिलाफ हूं। हर आदमी को फिल्म बनाने का हक है। बस प्रोपर रिसर्च से बननी चाहिए, यह जरूरी है।

फिल्म की कहानी

पूरे विश्व में आतंकवाद चिंता का एक प्रमुख विषय है, लेकिन यह भी सोचने वाली बात है कि ये आतंकवादी कौन हैं? वे किसी दूसरे ग्रह के नहीं बल्कि बाकी के लोगों की तरह हैं, जिनके दिमाग में बेशुमार जहर भरकर उनका ब्रेनवाश कर दिया जाता है और वे जिहाद के नाम पर आतंकवाद का रास्ता अपना लेते हैं। ‘72 हूरें’ एक ऐसी फिल्म है जिसमें यह दिखाने की कोशिश की गई है कि किस प्रकार आतंकियों को ट्रेनिंग के दौरान यह विश्वास दिलाया जाता है कि मरने के बाद जन्नत में उनकी सेवा 72 कुंवारी लड़कियां करेंगी।

You may also like

MERA DDDD DDD DD