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मेरी बात

पत्रकारिता एक रचनाशील शैली है, इसके बगैर समाज को बदलना असंभव है, अतः पत्रकारों को अपने दायित्व और कर्त्तव्य का निर्वाह निष्ठापूर्वक करना चाहिए क्योंकि उन्हीं के पैरों के छालों से इतिहास लिखा जाएगा।
महादेवी वर्मा

पत्रकारिता का एकमात्र उद्देश्य सेवा होना चाहिए। प्रेस एक महान शक्ति है, लेकिन जिस तरह पानी का अनियंत्रित प्रवाह पूरे देश को जलमग्न कर देता है और फसलों को तबाह कर देता है, ठीक उसी तरह एक अनियंत्रित कलम भी सेवा के बजाए तबाह करने का काम करती है।
महात्मा गांधी

पच्चीस अक्तूबर, 2012 के दिन देश के एक बड़े उद्योगपति जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड के चेयरमैन नवीन जिंदल ने दिल्ली में एक प्रेस कान्फ्रेंस आयोजित कर कुछ ऐसी बात, कुछ ऐसे राज राष्ट्रीय मीडिया के सामने उजागर किए जिनसे पूरे मीडिया जगत को भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था। शायद उस दिन स्व ़ रामनाथ गोयनका की आत्मा जार-जार रोई होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि जिंदल ने जो राज सार्वजनिक किए थे उनका वास्ता एक ऐसे पत्रकार से जुड़ा था जिसे हमारे यहां के बेहद या शायद सबसे प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका था। ‘दि रामनाथ गोयनका एक्सिलेंस अवार्ड इन जर्नलिज्म’ पाने वाले सुधीर चौधरी जो 2012 में ‘जी न्यूज’ चैनल के मुख्य एंकर और उसका सबसे ज्यादा चर्चित चेहरा थे, पर जिंदल ने ब्लैकमेलिंग करने का न केवल गंभीर आरोप लगाया था बल्कि बकायदा एक वीडियो फुटेज जारी करी थी जिसमें सुधीर चौधरी और ‘जी न्यूज’ के ही एक वरिष्ठ एडिटर समीर आहुलूवालिया जिंदल से ‘सौ करोड़’ की मांग करते नजर आ रहे थे, सुनाई दे रहे थे। बकौल जिंदल यह ‘सौ करोड़’ की डिमांड ‘जी न्यूज’ में जिंदल समूह की बाबत किसी समाचार को न दिखाए जाने और भविष्य में इस समूह की बाबत ‘पॉजिटिव न्यूज’ की प्रसारित करने को लेकर की गई थी। कमजोर स्मरण शक्ति वाले इस देश की जनता को शायद अब याद न हो, सुधीर चौधरी और समीर आहुलूवालिया पर बकायदा मुकदमा तब दर्ज हुआ था और दोनों को दिल्ली की तिहाड़ जेल में कई रातें गुजारनी पड़ी थी। वक्त बदला, केंद्र की सत्ता बदली तो जिंदल समूह का बदलना भी तय था ही। 2018 में जिंदल और जी टीवी के मध्य आपसी समझौता हो गया और केस बंद कर दिया गया। 2013 में रामनाथ गोयनका अवार्ड से सम्मानित होने वाले सुधीर चौधरी का कद, उनका रुतबा और उनके प्रशंसको की तादात इस आरोप और तिहाड़ की यात्रा के बाद कम होने के बजाए दिनदूनी रात चौगुनी बढ़ती चली गई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस् में उनके लाखों फॉलोवर्स हैं जो उनकी कही हरेक बात पर यकीन करते हैं। चौधरी नेम और फेम के खेल को समझ तेजी से एक ऐसे रास्ते पर चल पड़े जो भले ही बहुतों की नजरों में स्थापित पत्रकारीय मापदंडों और मूल्यों के विपरीत हो, वर्तमान समय और समाज में वही रास्ता सफलता और संपन्नता का गुरु मंत्र है। महादेवी वर्मा और महात्मा गांधी के विचारों से कोसों दूर इस रास्ते में चलने वालों को ‘सफलता’ के शिखर तक पहुंचने से रोका नहीं जा सकता। सुधीर चौधरी ने वक्त रहते इस गुरु मंत्र को आत्मसात कर लिया। नतीजा उनके मनोकूल रहा है। उन पर भले ही दलाली करने, ब्लैकमेलिंग करने, फेक न्यूज चलाने, ऐसी खबरों का प्रसारण करने जिनसे एक धर्म विशेष के खिलाफ नफरत का माहौल बनता हो, आदि-आदि आरोप लगते रहे हों, चौधरी की चौधराहट में लगातार वृद्धि होती चली गई है। जी न्यूज के प्राइम टाइम में ‘डीएनए’ नाम से प्रसारित होने वाला कार्यक्रम अनेकों कारणों से, अनेकों बार विवादों में आया। उन पर आरोप लगा कि वे मुसलमानों के खिलाफ झूठे समाचारों को प्रसारित करते हैं। 11 मार्च, 2020 के अपने शो में उन्होंने विस्तार से अपने दर्शकों को समझाने का प्रयास किया था कि कैसे मुसलमानों द्वारा देश के खिलाफ अलग-अलग किस्म का जेहाद मसलन ‘जनसंख्या जेहाद’, ‘लव जेहाद’, ‘जमीन जेहाद’, ‘आर्थिक जेहाद’, ‘मीडिया जेहाद’ इत्यादि का सहारा लिया जा रहा है। ऐसा उन्होंने बकायदा एक चार्ट बनाकर अपने दर्शकों को परोसा था। हो-हल्ला मचने के बाद यह सामने आया कि यह किसी गहरे शोध का परिणाम नहीं था बल्कि एक फेसबुक पेज ‘रुबायकॉट हलाल इंडिया’ से उठाया गया था। जी न्यूज ने कोरोना काल में 10 अप्रैल को ऐसा ही एक भ्रामक समाचार अरूणाचल प्रदेश में तब्लीगी जमात के चलते कोरोना संक्रमण को लेकर प्रसारित किया जो पूरी तरह झूठा प्रमाणित हुआ और चैनल को इसके लिए सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ी थी। इससे पहले 6 अप्रैल, 2020 को ऐसा ही फर्जी समाचार इस चैनल ने उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में तब्लीगी जमात से जुड़े एक कोरोना पॉजिटिव मुसलमान को भीड़ द्वारा पीटे जाने का प्रसारित किया था। तब फिरोजाबाद पुलिस ने समाचार को फेक बताते हुए चैनल को चेतावनी जारी की थी। 2018 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राज्य अमीरात (यूएई) की यात्रा पर थे तब चौधरी और जी न्यूज ने एक ऐसा फर्जी समाचार प्रसारित कर डाला जिसके चलते भारत को भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था। जी न्यूज और टाइम्स नाउ चैनल ने तब दावा किया था कि यूएई के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहायन ने पीएम मोदी की समक्ष दिए अपने भाषण की शुरुआत ‘जय श्रीराम’ के नारे से की थी। इस फेक न्यूज के बाद चौधरी को यूएई में आने से प्रतिबंधित कर दिया गया था। नवंबर, 2021 में उन्हें एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अबुधाबी आमंत्रित किया गया लेकिन बाद में उनका नाम इस कार्यक्रम से हटा लिया गया। स्वयं वहां की एक राजकुमार प्रिंसेज हैंड बिन फैसल अल कासिम ने इस बाबत ट्वीट कर यह जानकारी साझा की थी। इस कार्यक्रम के आयोजक इंस्टिटियूट ऑफ चार्टड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई), अबुधाबी चैप्टर द्वारा लिखित एक चिट्ठी को इस राजकुमारी ने अपने ट्वीट में साझा किया था जिसमें लिखा था’…No doubt that Sudheer Chaudhary is a popular TV personality but he has been alleged to have involved in numerous unprofessional journalism and criminal misdeeds. to sight an example, he was arrested and sent to Tihar jail for 15 days in 2012 in an exfortion case filed by Jindal group. He has been accused of manufacturing and spreading fake news, Islamophobia and communal hatred,doctoring tape etc. Should we, a prestigious professional body, invite and offer a plateform and audience to an unprofessional journalist and there by reduce our dignity and hounr? (निःसंदेह सुधीर चौधरी एक लोकप्रिय टीवी शख्सियत हैं लेकिन कथित तौर पर वे अव्यवसायिक पत्रकारिता और आपराधिक कृत्यों में शामिल रहे हैं। उदाहरण के लिए उन्हें जिंदल समूह से वसूली करने के आरोप चलते तिहाड़ जेल 15 दिनों के लिए जाना पड़ा था। उन पर झूठे समाचार बनाने, इस्लाम के विरुद्ध प्रचार करने, साम्प्रदायिक घृणा फैलाने जैसे आरोप हैं। क्या एक प्रतिष्ठित व्यवसायिक संस्थान होने के नाते हमें ऐसे व्यक्ति को अपने कार्यक्रम में आमंत्रित कर अपनी गरिमा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचानी चाहिए?)

हम कम स्मरण शक्ति वाले देश के नागरिक हैं, हम ‘नायक पूजा’ पर यकीं रखने वाले देश के नागरिक हैं, हम इंफॉरमेंशन फोबिया (सूचना का मनोविकार) से त्रस्त देश के नागरिक हैं, इसलिए स्मरण कराना, स्मरण रखना जरूरी है कि जिन सुधीर चौधरी को देश का सबसे तेज चैनल होने का दंभ भरने वाले ‘आजतक’ ने अब अपना ‘सलाहकार संपादक’ बनाया है, उनकी बाबत इसी चैनल के अंग्रेजी भाषी चैनल ‘हैडलाइंस टूडे’ के प्रबंध संपादक राहुल कंवल ने जिंदल समूह को ब्लैकमेल किए जाने के समाचार को न केवल कई दिनों तक प्रमुखता से प्रसारित किया था बल्कि ट्वीट करते हुए सुधीर चौधरी की बाबत कहा था ‘ Any one who indulgers in extortion should be exposed…Not correct for editors to be discussing reverse revenue deal with a corporate at a time when channel is running senes of expose on the company’ (वसूली करने वाले हर शख्स को बेनकाब किया जाना जरूरी है ….संपादकों के लिए यह सही नहीं है कि वे ऐसी किसी कंपनी के साथ कोई व्यवसायिक समझौता करें जिसकी बाबत उनका चैनल खोजी समाचार प्रसारित कर रहा हो) वक्त बदला, देश बदला तो सुधीर चौधरी साहब को लेकर सबसे तेज चैनल के मालिकान का सोच भी बदल गया। ‘इंडिया टूडे’ समूह की वाइस चेयरपर्सन कल्की पुरी ने ने चौधरी को ‘आज तक’ का कंसल्टिंग एडिटर नियुक्त करते हुए जो स्वागत पत्र लिखा है वह काबिल-ए-गौर है। पुरी लिखती हैं ‘Sudhir needs no introduction. He was last seen on the award winning, high engagement TRP record setting show DNA. He has one of the largest follwing on social media and a
galaxy of awards from every reputable organisation…I am contidant that Sudhir and AajTak will be a powerhouse combination that further strengthens our portfolio of superstar anchors making us THE news brand in the Country'(सुधीर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्हें कई पुरस्कार, टीआरपी रैकिंग का रिकॉर्ड बनाने, सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा फॉलोवर्स होने के नाते जाना जाता है …. मुझे पूरा विश्वास है कि सुधीर और आजतक मिलकर एक ऐसा शक्शिली गठजोड़ बनेंगे जिसके चलते हम देश का सबसे बड़ा न्यूज ब्रांड बन उभरेंगे) पूरी के इन शब्दों को ध्यान से पढ़िए तो स्पष्ट होगा कि चौधरी के विवादित अतीत का इसमें कोई जिक्र नहीं है। न ही पत्रकारिता के मूल उद्देश्यों को लेकर कल्की पुरी ने कुछ कहा है। सीधे-सीधे खबरों के व्यवसाय की, चैनल को एक उत्पाद (ब्रांड) बनाने की बात इसमें कही गई है।
 
ऐसे में भला राष्ट्रपिता गांधी अथवा महान कवयित्री महादेवी के विचारों का क्या मोल रह जाता है? अब हर कुछ व्यापार में तब्दील हो चला है। ब्रांड बनने की चाह नेता-अभिनेता से लेकर हाशिए में पड़े-खड़े आमजन तक पहुंच सारी मानवीय गरिमा और संवेदनाओं का हरण-क्षरण कर चुकी है। ऐसे में अदम गोड़वी का कहा याद आ रहा है-

आंख पर पट्टी रहे और अक्ल पर ताला रहे
अपने शाह-ए-वक्त का यूं मर्तबा आला रहे। 

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