आदरणीय हरीश रावत जी,
कुमाऊं क्षेत्र में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के समय आपका प्रभावित क्षेत्रों में जाना, जहां सरकारी तंत्र तमाम सुविधाओं के बावजूद पहुंच नहीं पा रहा है, आपका ऐसे इलाकों में पहुंच आमजन के साथ होना, विपत्ति काल में उनकी हौसला अफजाई करना आपकी जनसरोकारी प्रवृत्ति एवं राजनीति का परिचायक है। आपकी यही प्रतिबद्धता मुझ सरीखों को आपके नेतृत्व प्रति आस्थावान बनाए रखती है। आप निश्चित रूप से इसके लिए साधुवाद के पात्र हैं। मेरा हमेशा से ही मानना रहा है कि आप हमारे राज्य के लिए एक स्पष्ट सोच, प्रोग्रेसिव विजन रखने वाले राजनेता हैं। आपकी सोच, आपका विजन तभी साकार हो सकता है जब उसे क्रियान्वित करने वाली टीम आपके साथ हो। यहीं से आपका और मुझ सरीखों का संकट शुरू होता है। आपका संकट आपकी पार्टी है, उसके नेतागण हैं। शिव भगवान सरीखी आपकी बारात नुमा पार्टी में ऐसे बारातियों की भरमार और उनका वर्चस्व हम 2014 में आपके मुख्यमंत्रित्व काल में देख चुके हैं। इन दिनों आप राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री को रुखनन प्रेमी धामी जी कह संबोधित कर रहे हैं। रावत जी यही खनन प्रेम मैंने आपके मुख्यमंत्रित्व काल में भी देखा था। उन दिनों मैं कई मर्तबा आपसे हरिद्वार क्षेत्र में मां गंगा में हो रहे अवैध खनन को लेकर मिला करता था। आपको याद होगा कि हरिद्वार स्थित मातृ सदन के स्वामी शिवानंद जी आपके मुख्यमंत्री रहते इस मुद्दे को लेकर आमरण अनशन पर बैठे थे। तब आपके कहने पर मैंने महाराज जी से इस विषयक वार्ता की थी। महाराज जी ने सरकार संग बातचीत के लिए मुझे ही अपना प्रतिनिधि बना आपके पास भेज दिया था। तारीख मैं भूल गया हूं, देर रात तत्कालीन मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, डीएम हरिद्वार और मैं इस विषय पर आपकी उपस्थिति में बैठक किए थे। आपके द्वारा तब समस्त प्रकार के खनन पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया गया था। शिवानंद जी ने इस आदेश के बाद ही अपना अनशन समाप्त किया था। रावत जी, आज इस बात का स्मरण इसलिए क्योंकि मुझे डर है कि कहीं दोबारा सत्ता में आने के बाद आपको ऐसे ही रुखनन प्रेमी न घेर लें। मेरी आशंका निर्मूल नहीं है। इसका आधार है। मजबूत आधार है। 2016 में आपकी सरकार को अस्थिर करने का खेल रचा गया था। आपके कई विधायक इस खेल में शरीक हो पाला बदल लिए थे। इन विधायकों में से कई कांग्रेस की सत्ता में वापसी के आसार देख एक बार फिर से दल बदलने की कवायद करते नजर आ रहे हैं। ये आपके वे ही संगी-साथी हैं जिनका दबाव आप अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में प्रतिदिन झेला करते थे।
वर्तमान सरकार में मंत्री हरक सिंह रावत का नाम ऐसों की सूची में नंबर वन पर है। आपने कुछ अर्सा पहले ऐसे नेताओं को महापापी करार देते हुए इन नेताओं को रुलोकतंत्र और रुउत्तराखण्ड का अपराधी करार दिया था। साथ ही आपने यह भी कहा था कि ऐसे नेताओं की कांग्रेस में वापसी तब तक नहीं होगी जब तक वे अपने पापों की माफी न मांग लें। रावत जी आपका यह बयान मेरे लिए और मेरे सरीखे उन तमाम लोगों के लिए बड़ी पीड़ा का और आपके इरादों पर शंका पैदा करने का कारण बन रहा है। आपके इस बयान बाद हरक सिंह रावत का एक वीडियो देखने को मिला जिसमें वे आपसे माफी मांगते नजर आ रहे हैं। आपका यह बयान भी पढ़ने को मिला कि यदि किसी का हृदय परिवर्तन होता है तो यह अच्छी बात है। यही वह लोग है जिन्हें आगे चलकर इस राज्य की बागडोर संभालनी है।
हरीश रावत जी क्या सचमुच इस प्रकार के ‘जननेताओं’ को राज्य की बागडोर संभालने लायक आप मानते हैं? यदि हां तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और कष्टकारी है। मेरी स्पष्ट मान्यता है कि यदि ऐसों की री-इंट्री आप कांग्रेस में कराते हैं तो निश्चित तौर पर यह केवल और केवल चुनाव जीतने के लिए, सत्ता में आने के लिए उठाया गया कदम होगा। ऐसा कदम जिसकी बड़ी कीमत राज्य को, आपको और भविष्य की राजनीति को चुकानी पड़ेगी।
रावत जी आपने 2017 में सत्ता से बाहर होने बाद लगातार कई आलेख इस अखबार के लिए लिखे। उन आलेखों में मुझे एक अलग किस्म का हरीश रावत देखने को मिला। ऐसा राजनेता जो आत्मचिंतन की प्रक्रिया से गुजरते हुए अपनी गलतियों को खुले मन से स्वीकार रहा है, भविष्य में उन गल्तियों को न दोहराने का संकल्प ले रहा है। इन आलेखों में आपने कई बार उन दबावों का जिक्र किया जिन्हें न चाहते हुए भी आपको स्वीकारना पड़ता था क्योंकि सरकार अल्पमत की थी, विधायक कभी भी पाला बदल सकते थे। सत्ता बचाए रखने के लिए आप समझौता परस्त हो गए। 2017 की करारी हार पश्चात आपके अपनों ने ही आपको ‘फिनिस्ड फोर्स’ कह खारिज कर डाला था। उस दौरान मेरी आपसे करीबियत बढ़ी। घंटों उत्तराखण्ड को लेकर, देश की राजनीति को लेकर, मैं और आप बतियाया करते थे। हम हिमांचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे डॉ ़ यशवंत परमार को याद करते, उनके द्वारा हिमांचल प्रदेश की मजबूत नींव रखने पर चर्चा करते। मैं हमेशा आपको भविष्य में मौका मिलने पर डॉ ़ परमार की राह पर चलने को कहता। आप मुझसे सहमत होते। आज जब राज्य सत्ता परिवर्तन के मुहाने पर खड़ा हुआ है, आपको और आपकी पार्टी कांग्रेस को हर कीमत पर सत्ता पाने की राह पकड़ता देख मन खिन्न है। ऐसी सत्ता पाकर आप राज्य हित के लिए क्या भला कर पाएंगे? आपके घोषित लक्ष्य ‘उत्तराखण्डियत’ का क्या होगा? और क्या होगा उन सबकी अपेक्षाओं-आकांक्षाओं का जिन्हें आप पर, आपके विजन पर, आपकी सोच पर भरोसा है और जो यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि हरीश रावत पिछली गलतियों को न दोहराते हुए, इस बदहाल उत्तराखण्ड की दशा और दिशा को सही मार्ग प्रशस्त कराएंगे?
रावत जी आपने 2017 में सत्ता से बाहर होने बाद लगातार कई आलेख इस अखबार के लिए लिखे। उन आलेखों में मुझे एक अलग किस्म का हरीश रावत देखने को मिला। ऐसा राजनेता जो आत्मचिंतन की प्रक्रिया से गुजरते हुए अपनी गलतियों को खुले मन से स्वीकार रहा है, भविष्य में उन गल्तियों को न दोहराने का संकल्प ले रहा है। इन आलेखों में आपने कई बार उन दबावों का जिक्र किया जिन्हें न चाहते हुए भी आपको स्वीकारना पड़ता था क्योंकि सरकार अल्पमत की थी, विधायक कभी भी पाला बदल सकते थे। सत्ता बचाए रखने के लिए आप समझौता परस्त हो गए। 2017 की करारी हार पश्चात आपके अपनों ने ही आपको ‘फिनिस्ड फोर्स’ कह खारिज कर डाला था। उस दौरान मेरी आपसे करीबियत बढ़ी। घंटों उत्तराखण्ड को लेकर, देश की राजनीति को लेकर, मैं और आप बतियाया करते थे। हम हिमांचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे डॉ ़ यशवंत परमार को याद करते, उनके द्वारा हिमांचल प्रदेश की मजबूत नींव रखने पर चर्चा करते। मैं हमेशा आपको भविष्य में मौका मिलने पर डॉ ़ परमार की राह पर चलने को कहता। आप मुझसे सहमत होते। आज जब राज्य सत्ता परिवर्तन के मुहाने पर खड़ा हुआ है, आपको और आपकी पार्टी कांग्रेस को हर कीमत पर सत्ता पाने की राह पकड़ता देख मन खिन्न है। ऐसी सत्ता पाकर आप राज्य हित के लिए क्या भला कर पाएंगे? आपके घोषित लक्ष्य ‘उत्तराखण्डियत’ का क्या होगा? और क्या होगा उन सबकी अपेक्षाओं-आकांक्षाओं का जिन्हें आप पर, आपके विजन पर, आपकी सोच पर भरोसा है और जो यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि हरीश रावत पिछली गलतियों को न दोहराते हुए, इस बदहाल उत्तराखण्ड की दशा और दिशा को सही मार्ग प्रशस्त कराएंगे?
इतना ही नहीं यदि आप ऐसे नेताओं की पार्टी में री-इंट्री कराते हैं और उन्हें टिकट देकर चुनाव मैदान में उतराते हैं तो आप एक भ्रष्ट और लोकतंत्र को तार-तार कर देने वाली परंपरा के संवाहक बन उभरेंगे जिसके दूरगामी परिणाम उत्तराखण्ड को देवभूमि के बजाय दावन भूमि में बदलने का काम करेंगे। आपको यह खुला खत लिखने की मेरी मंशा को अन्यथा न लीजिएगा। राष्ट्रकवि दिनकर ने लिखा ‘समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध, जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध।’ मैं तटस्थ रह पाप का भागीदार नहीं बनना चाहता, इसलिए आपको चेताने के लिए यह पत्र लिख रहा हूं।
आदरणीय रावत जी, इस देश में एक से बढ़कर एक विचारक हुए हैं। ऐसे ही एक महान राजनेता और समाजवादी विचारक डॉ ़ राम मनोहर लोहिया का एक कथन आपको याद दिलाना चाहता हूं। लोहिया जी कहा करते थे ‘राजनीति में इतनी कमजोर हड्डी से नहीं चला जाता। राजनीति करनी है तो अपनी हड्डी मजबूत बनाओ।’ मैं और मुझ सरीखे बहुत से अन्य आपको मजबूत हड्डी का मानते आए हैं। आपसे हमें मजबूत हड्डी वाली राजनीति की उम्मीद है। इस उम्मीद को तोड़ियेगा मत। मैं आपको चेताना चाहता हूं कि यदि आपने ऐसों को, जिन्हें पिछले पौने पांच वर्षों के दौरान, आप अनेक बार ‘लोकतंत्र के हत्यारे’ और ‘उत्तराखण्ड के अपराधी’ कह पुकारते आए हैं, दोबारा कांग्रेस में शामिल किया तो सरकार भले ही आप बना लें, ऐसी सरकार राज्य और राज्य की जनता के लिए कुछ भी सार्थक न कर पाने वाली सरकार रहेगी। आज आप वर्तमान मुख्यमंत्री को खनन प्रेमी कह पुकारते हैं, कल यही आपके लिए कहा जाएगा।
मुझे भरोसा है कि आप ऐसा कुछ होने नहीं देंगे। यदि यह भरोसा टूटा तो इतिहास में आप यशवंत परमार नहीं बल्कि ऐसे राजनेता के रूप में दर्ज किए जाएंगे जिसने सत्ता पाने के लिए गलत समझौते तो किए ही, प्रदेश की राजनीति में ऐसी परंपरा को मजबूत करने का काम किया जो हर दृष्टि से भ्रष्ट, अनैतिक और लोकतंत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। फैसला आपके हाथों में है। हम सरीखे तो सनातन व्यवस्था विरोधी मूल के हैं, रहेंगे। इतिहास में हम हमेशा हाशिए के लोग रहेंगे, आप कहां रहेंगे यह निर्णय आपका है। आपका फैसला भविष्य की राजनीति में किस प्रकार को नजीर बनेगा यह आप तय करें।
सादर आपका