2011 का प्रसंग जिसके चलते उत्तराखण्ड के तत्कालीन मुख्यमंत्री जनरल खण्डूड़ी इतिहास पुरुष बन गए। इस प्रसंग की याद अनायास नहीं, बल्कि इस शिक्षा नीति के चलते ही आई है। 29 जुलाई को जारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इंतजार लंबे अर्से से था। इंतजार खासा लंबा हो चला था। इससे पहले 1986 यानी 34 बरस पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई थी। और 28 बरस पहले उसमें कुछ बदलाव 1992 में किए गए तब से लेकर आज तक वही नीति चली आ रही है। इन चैतीस वर्षों में गंगा समेत इस देश की नदियों में खासा पानी बह गया, टाइप राइटर से होते हुए फैक्स, कंप्यूटर, सुपर कंप्यूटर और उसके बाद इंटरनेट ने सारी दुनिया को एक छोटे से गांव में बदल डाला, हमारी शिक्षा पद्धति लेकिन जस की तस बनी रही। इतने अंतराल बाद आई नई शिक्षा नीति से इस बात की अपेक्षा करना स्वभाविक है कि इन चैतीस बरसों में जो कुछ बदलाव हुए हैं, यह नीति उनको अपने में समाहित किए होगी। तो चलिए निष्पक्ष भाव से इसे परखा जाए।
जनरल खण्डूड़ी एक ही दिन में पूरे देश में छा गए थे। मेरे अनुरोध पर अन्ना स्वयं दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड भवन जनरल खण्डूड़ी को धन्यवाद देने गए। यह दीगर बात है कि वह एक्ट कभी धरातल पर दिखा नहीं। भाजपा चार माह बाद ही राज्य में सत्ता से बाहर हो गई। नई सरकार के मुखिया कांग्रेस नेता विजय बहुगुणा ने एक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया। उनके बाद मुख्यमंत्री बने हरीश रावत ने भी एक्ट को दबा रहने देने में ही भलाई समझी और 2017 में दोबारा सत्ता में आई भाजपा की वर्तमान राज्य सरकार ने भी खण्डूड़ी के बनाए कानून को भुलाने में ही सबकी खैरियत समझी। खण्डूड़ी लेकिन अपने इस मास्टर स्ट्रोक के चलते इतिहास में अपनी सकारात्मक भूमिका में दर्ज कराने में सफल हो गए। नई शिक्षा नीति लाकर कुछ ऐसा ही कर पाने में डाॅ निशंक ने सफलता पाई है। हर राजनेता के मन में कुछ ऐसा दर्ज कराने की चाहत रहती हैजिसके चलते इतिहास में उनका नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो, डाॅ निशंक ऐसा कर पाने में मेरी दृष्टि से सफल रहे हैं। अब नई शिक्षा नीति की खूबियों और कमियों की:
2 -इस बदलाव का एक बड़ा फर्क उच्च शिक्षा में उपलब्ध अनेकों विषयों पर पढ़ाई करने का पड़ेगा। 10+2 शिक्षा प्रणाली के बजाए अब 5+3+3+4 को लागू किया जाएगा। यह एक बड़ा बदलाव है।
3 -प्री स्कूल एजुकेशन पर विशेष ध्यान दिया गया है जो अब ज्यादा Activiti based,play based होगी और बच्चों को ज्यादा जिज्ञासु बनाएगी।
4 -मातृभाषा में पढ़ाई का प्रावधान किया गया है। यह स्वागत योग्य हैं। कुछ इसे हिंदी थोपने का प्रयास मान रहे हैं। उनसे अनुरोध है कि नीति का पूरी तरह अध्ययन करे। वाट्सअप यूनिवर्सिटी से ज्ञान न से। मातृभाषा राज्यों की अपनी भाषा है। अंग्रेजी पर जोर कम करना गुलाम मानसिकता से दूर ले जाने का अच्छा प्रयास है। अंग्रेजी नहीं आना हमारे यहां पिछड़ेपन की निशानी माना जाता है। हैं भी ऐसा ही क्योंकि सब कामकाज अंग्रेजी में होता है। बड़े साहब बहादुर अंग्रेजी में बात समझ पाते हैं। लेकिन यह गलत है कि अंग्रेजी विकास के लिए जरूरी है। यदि ऐसा होता तो चीन, जापान पिछड़े होते।
5-इस नीति में एक बड़ा प्रयास pre-primary level के स्तर पर भी शिक्षा को अनिवार्य करने का है। यह बेहद-बेहद सकारात्मक (Positive) कदम है। हालांकि एक बड़ी आबादी जो दिहाड़ी मजदूरों की है और समय-समय पर स्थान बदलती रहती है, उसके लिए यह कैसे लागू होगा इस पर चर्चा नहीं है।
6-नीति में वर्तमान पाठ्यक्रम को 30 प्रतिशत कम करने की बात है। यह सबसे ज्यादा जरूरी है। इतना बोझ है बच्चों पर और ‘चूहा-दौड़’ में शामिल उनके मां-बाप पर कि पढ़ाई एक सजा समान है।
7-इसमें Midday meal scheme से एक कदम आगे बढ़कर Breakfast(नाश्ता) भी दिए जाने की बात कही गई है। ये स्वागत योग्य कदम है।
8 -55+3+3+4 प्रणाली में 3 बरस की प्री-स्कूलिंग को आंगनबाड़ी केंद्रों से जोड़ने की बात स्वागत योग्य है। यदि ऐसा हो पाता है तो यह शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने का कारक बनेगा। 5+3+3+4 में एक महत्वपूर्ण बात vocational courses को लेकर है। अब class से ही 10 दिन का bagless period शुरू होगा यानी दस दिन बगै काॅपी-किताब स्कूल जाएं Electrical,Plumbing Carpentory जैसेSkills सीखें।
9 -परखPerformance assenment review and analysis of knowledge for holistic development के जरिए शिक्षा के मानक तय करने की बात कही गई है। इसके जरिए न केवल शिक्षक बच्चों की प्रोग्रेस रिपोर्ट तैयार करेंगे, बल्कि बच्चे स्वयं भी अपनी प्रगति/performance आंक सकेंगे। इतना ही नहीं student एक-दूसरे की performance भी आंकेंगे। यह एक बेहद महत्वपूर्ण बदलाव है। इस नीति में सरकार नेcreative एवं Creative Thinking पर जोर दिया है। ‘परख’ इसी के लिए लाया जा रहा है।
10 -Digitization of books एक बड़ा कदम है।
11 -जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा को दिए जाने की बात है। विकसित देशों में यहीStandersd है। हमारे यहां अभी यह लगभग 27 प्रतिशत है।
12-शिक्षकों की योग्यता आंकने-मापने के लिए NPST-National Professional Standards for teachers बनाया जाएगा। 2030 तक 4BED Special शिक्षकों के लिए अनिवार्य हो जाएगी। एक बड़ा बदलाव परीक्षा पद्धति को लेकर आएगा। Exams अब ‘रटन्ती विद्या’ के लिए नहीं होंगे। ये विद्या ‘फलन्ती नाहे’ होती है। अब Exams Analytical होंगे।
13-उच्च शिक्षा के लिए एक ही Regulatory Body बनाई जाएगी यानी AICTE/UGCके बजाय BODY होगी जो शिक्षा के लिए Finance भी उपलब्ध कराएगी।