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पिछली मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे किरण रिजिजू का खेलों से पुराना नाता है। वे स्कूली दिनों में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे हैं। शायद इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार उन्हें खेल एवं युवा मामले विभाग की जिम्मेदारी सौंपी। पूर्वोत्तर के चर्चित नेता रिजिजू अपने मंत्रालय के कामों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी खूब सक्रिय रहते हैं। 29 अगस्त खेल दिवस के दिन प्रधानमंत्री ने फिट इंडिया अभियान की शुरुआत की। इस पर देशभर में चर्चा हो रही है। ‘फिट इंडिया’ के अलावा खेल के तमाम मुद्दों पर रिजजू से कुमार गुंजन की विशेष बातचीत। पेश हैं इस बातचीत के प्रमुख अंशः
प्रधानमंत्री मोदी ने फिट इंडिया अभियान शुरू किया है। हमारे देश में इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
यदि किसी को जीवन में कुछ बेहतर करना है तो उसे फिट रहना ही पड़ेगा। एक अनफिट इंसान अपने जीवन में खुश नहीं रह सकता। जब आप खुश नहीं रहेंगे तो आप अपना छोटे से छोटा काम भी सही से नहीं कर सकते हैं। इसलिए फिट रहना जरूरी है। आप यह भी कह सकते हैं, ‘फिट रहेगा इंडिया तभी विश्व में हिट रहेगा इंडिया।’ भारत की छवि योग गुरु की है, इसमें कोई दो राय नहीं है। प्रधानमंत्री जी के निजी तौर पर प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र में 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है। लोग भारत की तरफ देख रहे हैं। योग दिवस भी ‘फिट इंडिया’ बनाने का अभियान है।
आप इंडिया की बात कर रहे हैं। भारत की बात कौन करेगा? जहां भुखमरी है, बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। भूखे को तो सबसे पहले खाना चाहिए?
आप लोगों में यही दिक्कत है। बात किसी मुद्दे पर करेंगे। लेकिन जब आपको उस पर जवाब मिल जाएगा तो उस जवाब को किसी दूसरे मुद्दे से जोड़ देंगे। आप बताएं, क्या भारत में सिर्फ फिटनेश की ही बात हो रही है। गरीबों को लेकर कोई योजना नहीं चल रही है। आपको जानकारी के लिए बता दूं, मोदी सरकार ने पिछली बार भी और इस बार भी सबसे ज्यादा योजनाएं गरीबों को लेकर चलाई हैं। मोदी सरकार की प्राथमिकता में गरीबों का उत्थान है ताकि अपने देश में कोई गरीब न रहे। यह संवेदनशील सरकार है। कोई भ्रष्टाचार करने वाली सरकार नहीं है। उन योजनाओं पर बात करूंगा तो आप ही मुद्दे से भटक जाएंगे।
सुना है कि योग को खेल में लाया जाएगा?
इस बारे में हमको विचार करना होगा। योगासन को अभी हम खेल इसलिए नहीं मानते हैं कि आधिकारिक रूप से हमने इसे स्वीकार नहीं किया है। जब खेल मंत्रालय से मान्यता मिल जाएगी तो इसे खेल माना जाएगा। योगासन को खेल प्रतियोगिताओं में कैसे लाना है, उसकी रूपरेखा हम तैयार कर रहे हैं। इस पर अंतर मंत्रालय और सभी विशेषज्ञों से चर्चा हो रही है। जो बेहतर होगा। हम वही कदम उठाएंगे।
एडवेंचर्स स्पोर्ट्स में आपकी दिलचस्पी रहती है। आप इसे कितना बढ़ावा दे रहे हैं?
एडवेंचर्स स्पोर्ट्स को आगे बढ़ाने के लिए सरकार काम करेगी। इसमें न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, बल्कि युवाओं में नया जोश भी पैदा होगा। हमारे देश में नदियां, तालाब और समुद्र का लंबा किनारा है। इसको देखते हुए स्कूबा डाइविंग में एक बड़ी संभावना है। इसके अलावा भी एडवेंचर्स खेल के कई रूप हैं। आने वाले समय में हम स्कूबा और अन्य एडवेंचर स्पोर्ट्स के जरिए से लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने की कोशिश करेंगे। इसमें एक खास बात यह भी है कि इस स्पोर्ट्स से युवा ही सबसे ज्यादा जुड़े रहते हैं। उन्हें रोजगार के अवसर मिलेंगे।
भारत-पाकिस्तान के वर्तमान हालात को देखते हुए, डेविस कप को लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं?
हमने पहले की कह दिया है कि भारत ओलंपिक चार्टर को मानता है। उस पर उसके हस्ताक्षर हैं। इसलिए भारत सरकार या राष्ट्रीय महासंघ यह फैसला नहीं कर सकते कि भारत को इसमें भाग लेना चाहिए या नहीं। अगर यह द्विपक्षीय खेल प्रतियोगिता होती तो फिर भारत को पाकिस्तान से खेलना चाहिए या नहीं यह राजनीतिक फैसला बन जाता, लेकिन डेविस कप द्विपक्षीय प्रतियोगिता नहीं है। इसका आयोजन एक विश्व खेल संस्था करती है। इसलिए इस पर वैश्विक स्तर पर सोचना चाहिए। भारत वैश्विक संस्थाओं को शुरू से महत्व देता रहा है। हम विश्व बिरादरी का सम्मान करते हैं। इसलिए इस पर उचित फैसला  सरकार लेगी।
हाल ही में आप खिलाड़ियों के आहार बजट में समानता लाए हैं। पहले इसमें क्या-क्या कमियां थी?
मैं कुछ दिनों पहले पटियाला के राष्ट्रीय खेल संस्थान गया था। उस दौरे पर मैंने संस्थान के मेस में ही खाना खाया। वहां भोजन करते समय मैंने पाया कि सीनियर और जूनियर खिलाड़ियों तथा साईं प्रशिक्षकों को अलग-अलग आहार मिलता है। प्रत्येक वर्ग के भोजन का बजट भिन्न है। यह मुझे सही नहीं लगा। असल में, किसी भी खिलाड़ी की सफलता में भोजन की भूमिका अहम होती है। मुझे बताया गया कि अब तक साईं प्रशिक्षकों, जूनियर खिलाड़ियों और सीनियर खिलाड़ियों के लिए आहार बजट क्रमशः ढाई सौ रुपए, 480 रुपए और 690 रुपए था। एक खिलाड़ी का आहार इससे तय नहीं होना चाहिए कि वह किस स्तर पर खेल रहा है। इसलिए मैंने फैसला किया कि साईं केंद्रों में अभ्यास कर रहे खिलाड़ियों के आहार बजट में किसी तरह की भिन्नता नहीं होगी। हमने सभी के लिए एक समान बजट निर्धारित किया है।
भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक खेलों में बेहतर प्रदर्शन क्यों नहीं कर पाते हैं?
खेल मंत्री होने के नाते हमारा मुख्य ध्यान अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक में अधिक से अधिक भागीदारी और पदक सुनिश्चित करना है। हाल ही में मैंने संसद में भी कहा है कि टोक्यो ओलंपिक के लिए हमारी तैयारियां अच्छी चल रही हैं। हम प्रत्येक महासंघ के साथ समन्वय कर रहे हैं। मैं ओलंपिक में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए टॉप्स में शामिल खिलाड़ियों से भी बात कर रहा हूं। उनकी बातें सुन रहा हूं। उनकी समस्याओं को समझ रहा हूं और तत्काल उसे दूर करने का प्रयास भी कर रहा हूं। मैं अपनी ओर से उपलब्ध संसाधनों में बेहतर करने का पूरा प्रयास कर रहा हूं। संसाधनों को बढ़ा भी रहा हूं। हमें पूरा भरोसा है कि टोक्यो ओलंपिक में हमारे खिलाड़ी रिकॉर्ड स्थापित करेंगे।
 
एक युवा को खेल एवं युवा मामले सौंपे गए हैं। देश के युवाओं को आपसे उम्मीदें भी ज्यादा हैं। आप उस पर खरा उतरने के लिए क्या कर रहे हैं?
मैं हमेशा अपने काम में बेस्ट देने का प्रयत्न करता हूं। मेरी यह आदत बचपन से है। यहां भी मैं अपना बेस्ट दे रहा हूं। उसका रिजल्ट क्या निकलता है, वह हमारे हाथ में नहीं होता है। लेकिन मुझे विश्वास जरूर है कि हम बेहतर ही करेंगे।
पहले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और इस सरकार में खेल एवं युवा मामलों को देखना, कितना अंतर है दोनों में?
हमें काम करना है। वह भी देश के लिए काम करना है। जब आप बेहतरी के लिए काम करते हैं तो विभाग महत्वपूर्ण नहीं होता है। जो जिम्मेदारी आपको दी गई है, वह सबसे खास होती है। जहां तक बात खेल मंत्रालय की है तो मैं कह दूं कि खेल एवं युवा मामले भी एक महत्वपूर्ण मंत्रालय है। इससे हम देश के युवाओं को प्रेरित कर सकते हैं। उन्हें आगे बढ़ा सकते हैं। किसी देश की सबसे बड़ी ताकत युवा ही होते हैं। हमारा देश तो युवाओं का देश है। यही हमारे देश की ताकत है। इस ताकत को सही दिशा देना है, जिसमें मैं लगा हुआ हूं।

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