आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड में तीसरा विकल्प देने की कोशिश में है। कभी किसी कांग्रेसी दिग्गज के इस पार्टी का दामन थामने की चर्चा रही, तो कभी भाजपा दिग्गजों को लेकर हवाएं चली। आखिरकार पार्टी ने एक पूर्व फौजी अफसर पर ही भरोसा जताया, लेकिन दिक्कत यह है कि उत्तराखण्ड की धरती दिल्ली जैसी सपाट नहीं है। यहां कोई कर्नल या जनरल तभी सफल हो पाएगा जब उसे सूझ-बूझ वाले लोगों का साथ मिले
कांग्रेस और भाजपा को बारी-बारी से सत्ता सौंपती रही उत्तराखण्ड की जनता के सामने आम आदमी पार्टी एक विकल्प बतौर मौजूद है। दिल्ली के बाद पंजाब में जड़ें जमा चुकी आप का फोकस अब उत्तराखण्ड बन चुका है। यह पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस चुकी है। पिछले साल दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखण्ड में सभी 70 विधानसभा सीटों पर पार्टी प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया था। जिसके चलते राज्य की राजनीति गरमा गई। अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखण्ड में दिल्ली की तर्ज पर चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए कहा कि वह ‘दिल्ली माॅडल’ पर देवभूमि में आगमन करेंगे। अब दिल्ली की तरह ही बिजली, पानी शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को उठाकर प्रमुख राजनीतिक दलों की धड़कनें तेज कर दी हैं।
हालांकि दिल्ली और उत्तराखण्ड की राजनीति में जमीन आसमान का अंतर है। राज्य स्थापना से लेकर अब तक यहां भाजपा और कांग्रेस ही सत्ता का स्वाद चखती रही हैं, जबकि यूकेडी दोनों तरफ से ही हाथों में लड्डू लेकर सत्ता के साथ चलती रही है। जिस तरह प्रदेश में यूकेडी को लोग तीसरे विकल्प के रूप में देख रहे थे, उसमें वह लोगों की भावनाओं पर खरा नहीं उतरी। फिलहाल आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड में तीसरा मोर्चा के रूप में मजबूती से उतर सकती है। केदारनाथ आपदा के बाद शुरू हुए पुनर्निमाण कार्यों के चलते चर्चा में आए कर्नल (रि ़) अजय कोठियाल को अपने पाले में खींच आपने अब उत्तराखण्ड में पार्टी संगठन को मजबूती देनी शुरू कर दी है।
कर्नल अजय कोठियाल के सहारे आम आदमी पार्टी की नजर पहाड़ के फौजी भाइयों पर टिकी हुई है। प्रदेश में अधिकतर लोग फौज में रहते आए हैं। एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो फौज में सेवा देकर अब प्रदेश की सेवा करना चाहता है। लेकिन उसे भाजपा और कांग्रेस के सिवाय तीसरा विकल्प नहीं मिल रहा था। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने ‘आर्मी मैन’ कर्नल अजय कोठियाल को मुख्य चेहरा बनाया है। हो सकता है कि आगामी दिनों में पार्टी कोठियाल को सीएम चेहरा भी घोषित कर दे।
आम आदमी पार्टी को अभी तक प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं का नया ठिकाना माना जाता रहा है। यही नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी में जाने के नाम पर कई नेता अपनी-अपनी पार्टियों की ब्लैकमेलिंग पर भी उतर आए थे। पिछले दिनों सत्तासीन भाजपा के कुछ नेता आम आदमी पार्टी का नाम लेकर अपना उल्लू सीधा कर चुके हैं। इसके साथ ही यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जिन नेताओं को भाजपा और कांग्रेस का विधानसभा टिकट नहीं मिलेगा वह आम आदमी पार्टी में अपनी संभावनाएं तलाश सकते हैं। इसी के साथ एक चर्चा यह भी है कि अगर आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड में विस्तार करती है, तो मतदाताओं का एक वर्ग राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस से छिटक सकता है। अधिकतर लोगों का मानना यह है कि अगर आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड में मजबूती से चुनाव लड़ेगी तो ऐसे में कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। हालांकि नुकसान भाजपा को भी होगा। लेकिन कांग्रेस के मुकाबले भाजपा आम आदमी पार्टी को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं है।
आम आदमी पार्टी के लिए आज तक उत्तराखण्ड एक राजनीतिक उपनिवेश के रूप में सामने था। यहां अधिकतर बाहर के नेता ही पदाधिकारी बनाए जाते थे। जो राज्य की भौगोलिक स्थिति तक से वाकिफ नहीं होते थे। हर बार आम आदमी पार्टी पर यह आरोप लगते थे कि वह बाहरी नेता को पार्टी की कमान सौंपकर पार्टी को मजबूत करने की बजाय कमजोर करने पर तुली हुई है। लेकिन अब आम आदमी पार्टी ने कर्नल अजय कोठियाल को पार्टी का चेहरा बनाकर जन भावनाओं के पक्ष में फैसला लिया है।
आम आदमी पार्टी अभी तक ऐसा कोई बड़ा चेहरा नहीं तलाश पाई थी जिसके दम पर वह सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और मजबूत विपक्षी पार्टी कांग्रेस को टक्कर दे सके। लेकिन अब रिटायर कर्नल अजय कोठियाल के आम आदमी पार्टी का दामन थामते ही उसकी बड़े चेहरे की तलाश तकरीबन खत्म हो गई है और 2022 का सियासी मुकाबला बेहद रोमांचक होने की गुंजाइश बढ़ गई है। दिल्ली के मुख्यमत्री अरविंद केजरीवाल ने इस अवसर पर एक बेव सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि आज उत्तराखण्ड में बेरोजगारी, पलायन जैसी बड़ी- बड़ी समस्याएं हैं, जिन्हें पिछले 20 सालों से बीजेपी-कांग्रेस अपने भ्रष्टाचार से बदलना नहीं चाहती है। उन्होंने कहा अब कर्नल के आने से आप इनके भ्रष्टाचार को बेनकाब करेगी और उत्तराखण्ड में बदलाव की नई तस्वीर तैयार करेगी।

कर्नल कोठियाल को पार्टी में शामिल करने के अवसर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा एवं कांग्रेस दोनों पर ही जबर्दस्त हमला किया है। उन्होंने कहा कि दोनों के राज में कई बार नेताओं के भ्रष्टाचार के मामले आए, लेकिन आज तक किसी भी दल ने एक- दूसरे की जांच नहीं की। ये दोनों दल केवल मलाई खाना जानते हैं और जनता को लूटना जानते हैं। बीजेपी पर पलटवार करते केजरीवाल ने कहा चार साल बाद इन्होंने अपना मुख्यमंत्री बदल दिया। इन्होंने कोई काम नहीं किया। नए सीएम आए हैं, उन्होंने पुराने के फैसले बदल दिए हैं। ये बीजेपी वाले, उत्तराखण्ड के साथ मजाक कर रहे हैं क्या? उन्होंने कहा उत्तराखण्ड का पानी और उत्तराखण्ड की जवानी अब बर्बाद नहीं होगी। हम मिलकर देवभूमि के विकास का नया माॅडल बनाएंगे, मैं इस देवभूमि की मिट्टी को दुनिया के माथे का तिलक बनाना चाहता हूं, क्योंकि यहां सारे संसाधन मौजूद हैं सिर्फ काम करने की नीयत चाहिए। इसके लिए हमने पूरी तैयारी भी कर ली है। इस दौरान केजरीवाल ने कर्नल अजय कोठियाल के साथ मिलकर उत्तराखण्ड नवनिर्माण मिशन की घोषणा भी की।
कर्नल अजय कोठियाल 2013 की आपदा के समय पीड़ितों के लिए काफी मददगार साबित हुए थे। तब उन्होंने केदारनाथ आपदा के पीड़ितों के लिए काफी काम किया था। इसके चलते ही प्रदेश की तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने कर्नल अजय कोठियाल को केदारनाथ आपदा से बिगड़ चुकी स्थिति को सुधारने की जिम्मेदारी दी थी। जिसको कर्नल कोठियाल की टीम ने बखूबी निभाया। महज 1 साल से भी कम समय में कर्नल कोठियाल और उनकी टीम ने केदारनाथ आपदा से बुरी तरह टूट चुके रास्ते और मंदिर परिसर में निर्माण कराकर उल्लेखनीय काम किया था। फिलहाल आम आदमी पार्टी कर्नल कोठियाल को उत्तराखण्ड में मिशन उत्तराखण्ड नवनिर्माण के नाम से राजनीति में उतार रही है। लेकिन पलायन के चलते उबड़-खाबड़ हो चुका पहाड़ क्या ‘आप’ के लिए दिल्ली जितना सपाट होगा, यह यक्ष प्रश्न बरकरार रहेगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा से इस बाबत बात की गई, तो वह कहते हैं कि आम आदमी पार्टी का उत्तराखण्ड में जमीन पर ना कोई स्ट्रक्चर है ना कोई कैडर। असल में उसका कोई अस्तित्व नहीं है। वह सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की ‘बी-टीम’ की तरह उत्तराखण्ड में चुनावों से ठीक पहले इसलिए उतारी गई है ताकि पूरी तरह असफल साबित हुई भाजपा सरकार से असंतुष्ट जनता को गुमराह कर कांग्रेस के वोट काटे जा सकें। लेकिन यह हो नहीं पाएगा।
प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रवक्ता देवेंद्र भसीन भी कांग्रेस की बात को दोहराते हुए कहते हैं कि आम आदमी पार्टी का कोई जनाधार नहीं है। वह कहते हैं कि आम आदमी पार्टी दावे तो खूब कर रही है, लेकिन इनको 70 सीटों के लिए 70 उम्मीदवार भी मिल पाएंगे, यह अभी संदेह के घेरे में है। यह दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ताओं और नेताओं पर ताक-झांक कर रहे हैं कि कुछ लोग टूटकर उनके पास आ जाएं। लेकिन यह संभव नहीं लग रहा है।
आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड की प्रवक्ता उमा सिसोदिया का इस बारे में अलग ही आकलन है। वह कहती हैं कि उत्तराखण्ड में मौजूदा विपक्ष पर जनता का कोई यकीन नहीं है। कांग्रेस इतने गुटों में बंटी हुई है कि उनका कोई सर्वमान्य नेता ही नहीं जिसके नीचे वे चुनाव लड़ सकें। यूकेडी पहले ही पूरी तरह खत्म हो चुकी है। ऐसे में हमारी रणनीति यही है कि मौजूदा सरकार से पूरी तरह असंतुष्ट जनता के सामने हम आम आदमी पार्टी को विकल्प के रूप में रख पाएं।