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उत्तर प्रदेश इस समय देश की राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण और सबसे प्रासंगिक राज्य बन चुका है। 2024 में केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर ही गुजरने वाला है इसलिए प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी पूरी ताकत और पूरा फोकस उत्तर प्रदेश में केंदित कर डाला है। पार्टी सूत्रों की माने तो पीएम मोदी उत्तर प्रदेश को लेकर कोई भी कोताही बरतने के मूड में नहीं हैं। इसके चलते केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जे.पी. नड्डा और अमित शाह को संयुक्त रूप से ‘मिशन यूपी’ की जिम्मेदारी दी गई है। लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा है कि भाजपा भले ही विधानसभा चुनाव योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ने जा रही है, पार्टी आलाकमान उन्हें सत्ता में वापसी के बाद दोबारा सीएम बनाने के मूड में नहीं हैं। पार्टी सूत्रों का दावा है कि योगी भी इस बात को भलीभांति जानते हैं इसलिए उन्होंने अपने समर्थकों को ज्यादा- से-ज्यादा टिकट दिलाने की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। खबर गर्म है कि योगी ने 150 नामों की सूची तैयार कर डाली है। कहा जा रहा है कि योगी ने पार्टी नेतृत्व को गारंटी दी है कि यदि इन 150 को पार्टी टिकट देती है तो इन्हें चुनाव जिताने की गारंटी स्वयं योगी की होगी। संकट यह कि पार्टी आलाकमान योगी समर्थकों को ज्यादा तादाद में बतौर विधायक नहीं चाह रहा है। जानकारों की मानें तो भाजपा की यदि उत्तर प्रदेश में सत्ता वापसी होती है तो किसी ओबीसी नेता को सीएम बनाया जा सकता है। ऐसा तभी संभव है जबकि योगी समर्थक विधायकों की संख्या कम हो अन्यथा भाजपा नेतृत्व को योगी की बगावत का अंदेशा है। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में एक तरफ भाजपा के सामने सपा के लगातार बढ़ रहे ग्राफ का संकट है तो दूसरी तरफ वह योगी की बढ़ती महत्वाकांक्षा से भी चिंतित है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वारा पिछले कुछ अर्से से उत्तर प्रदेश में लगातार सर्वेक्षण कराए जा रहे हैं। इन सर्वेक्षणों के नतीजे संघ और भाजपा के लिए खतरे की घंटी बन रहे हैं। सूत्रों की मानें तो ज्यादातर ऐसे फीडबैक में सपा संग यादव और मुस्लिम मतदाता के साथ-साथ जाट और जाटव वोट बैंक का जुड़ना सामने आ रहा है। कभी बसपा नेता मायावती का वोट बैंक रहे जाटव समाज की इस बार बसपा से दूरी बनना और उसका झुकाव सपा की तरफ होना भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है। इतना ही नहीं, योगी की कार्यशैली के चलते पार्टी का भरोसेमंद ब्राह्मण समाज भी इस समय नाराज चल रहा है। ऐसे में पार्टी आलाकमान हर कीमत, हर हाल में उत्तर प्रदेश में सत्ता तो बचाए रखना चाहता है ही, उसका पूरा प्रयास योगी आदित्यनाथ के पर कतरने का होगा। ऐसे में देखना खासा दिलचस्प होने वाला है कि भाजपा नेतृत्व कैसे अपने दोनों लक्ष्यों को पाता है।

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