उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता पर सरकार का एक सख्त आदेश सामने आया है,जो चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है। दरअसल,योगी आदित्यनाथ की सरकार ने रामपुर में तैनात रहे डिप्टी एसपी विद्या किशोर शर्मा पर कार्रवाई कर डिप्टी एसपी से सब इंस्पेक्टर बना दिया है। डिप्टी एसपी विद्या किशोर शर्मा वर्तमान में जालौन जिले में तैनात है,लेकिन यह मामला 2021 का है,जब वो रामपुर में सीओ सिटी के पद पर तैनात थे।
दरअसल,साल 2021 में एक महिला ने आरोप लगाया था कि एक अस्पताल संचालक सहित अन्य लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया है,जिसके बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज लिया ,लेकिन अस्पताल संचालक ने अपनी बेगुनाही के तमाम सबूत पुलिस अधिकारियों को दिए,जिसके बाद पुलिस अधिकारियों ने सबूतों को दरकिनार कर मदद करने के एवज में 5 लाख की घूस की मांग करने लगे थे जिसका वीडियो सोशल मीडिया वायरल हो गया। हालांकि,वीडियो सामने आने के बाद आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और शर्मा को निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद सरकार के आदेश पर एसपी मुरादाबाद को जांच सौंपी गई। जांच में विद्या किशोर शर्मा के खिलाफ रिश्वत लेने के आरोप सही पाए गए। उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्रवाई करते हुए डिप्टी एसपी से सब इंस्पेक्टर बना दिया है।
किस नियम के तहत सरकार ने की कार्रवाई
उत्तर प्रदेश सरकार ने विद्या किशोर शर्मा पर यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश पुलिस दंड अपील एवं पुनरीक्षण नियमावली 1993 के तहत की है। इस नियमावली के तहत पुलिसकर्मियों को दो तरह के दंड दिए जाते हैं। एक लघु दंड और दूसरा दीर्घ दंड। लघु दंड में पुलिसकर्मी के कैरेक्टर रोल पर मिसकंडक्ट लिख दिया जाता है जिससे उसको भविष्य में तैनाती में मुश्किलें आती हैं। इस मामले में मिसकंडक्ट पाने वाला पुलिसकर्मी सीनियर अफसर के यहां शिकायत करता है अपील करता है और उस पर सुनवाई के बाद मिसकंडक्ट काटी जा सकती है।
इसमें क्या दंड मिलता है
इस कानून में तीन प्रकार के दंड मिलता है। पहला बर्खास्तगी यानी पुलिस सेवा से ही बर्खास्त कर दिया जाए। दूसरा डिमोशन और तीसरा वेतन वृद्धि पर रोक है। दीर्घ दंड में डिमोशन के लिए भी दो नियम है। एक पुलिसकर्मी को एक पद नीचे डिमोशन कर दिया जाए यह डिमोशन भी एक समय अवधि के लिए ही किया जाता है उसके बाद वापस पद पर भेज दिया जाता है। दूसरा, पुलिसकर्मी को मूल पद यानी जिस पद पर भर्ती हुआ उस पर स्थायी डिमोशन डिमोट कर दिया जाए। रामपुर के डिप्टी एसपी रहे विद्या किशोर शर्मा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मूल पद पर ही डिमोशन करने का आदेश दिया है। तीसरा, वेतन कम पर डिमोशन यानी 3 साल या एक समय अवधि के लिए पुलिसकर्मी का इंक्रीमेंट रोक दिया जाता है और वह एक स्केल नीचे वेतन पर 3 साल या उल्लिखित समय अवधि तक काम करने का आदेश दिया जाता है। जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार किसी भी पुलिसकर्मी को उत्तर प्रदेश पुलिस दंड अपील पुनरीक्षण नियमावली में 1993 के तहत दंड दे सकती है।