प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिलहाल एक ही रणनीति पर चलते नजर आ रहे हैं। खासकर ब्यूरोक्रेट्स के मामले में। केंद्र सरकार में जहां चार ब्यूरोक्रेट्स को सत्ता में भागीदारी दी गई है। वही अब इसी राह पर यूपी में भी ब्यूरोक्रेट्स के लिए योगी ने रास्ते खोल दिए हैं ।
कहा जा रहा है कि 25 मार्च को हो रहे सरकार गठन में योगी सरकार में तीन ब्यूरोक्रेट्स को शामिल किया जा रहा है। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी रहे पूर्व आईएएस ऑफिसर एके शर्मा के साथ ही कानपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर आईपीएस ऑफिसर असीम अरुण और ईडी के पूर्व जॉइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह का नाम प्रमुख रूप से सामने आ रहा है।
राजेश्वर सिंह 

राजेश्वर सिंह लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और समाजवादी पार्टी के अभिषेक मिश्रा को 54000 वोटों से हराकर विधानसभा पहुंचे हैं। चर्चा है कि राजेश्वर सिंह को योगी कैबिनेट में स्थान दिया जाएगा। राजेश्वर सिंह प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी में ज्वाइंट डायरेक्टर के पद पर तैनात थे । उन्होंने वीआरएस लिया और राजनीति में आ गए ।
राजेश्वर सिंह का नाम कई हाईप्रोफाइल घोटालों की जांच में शामिल रहा है। जिनमें अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, एयरटेल मैक्सिस घोटाला, अमरपाली घोटाला तथा नोएडा पौजी स्कीम के साथ ही गोमती रिवर फ्रंट का मामला प्रमुख रूप से शामिल है।

यानी अरविंद कुमार शर्मा। जिन्हें लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत करीबी के रूप में जानते हैं। 2001 से गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से लेकर 2014 तक वह उनके सेक्रेटरी के तौर पर काम करते रहे। यही नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी जब 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बने तो ए के शर्मा को केंद्र में लाया गया। जहां उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में पीएमओ बनाया गया।
शर्मा ऐसे आईएएस ऑफिसर रहे हैं जो प्रधानमंत्री मोदी के सबसे विश्वस्त अधिकारियों में शामिल है। 1988 बैच के इस आईएएस ऑफिसर को राजनीति में लाने के लिए वीआरएस लेनी पड़ी। पिछले साल उन्होंने वीआरएस ली। इसके बाद उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की। भाजपा ने उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाया और उत्तर प्रदेश भेज दिया।
पिछले साल यह चर्चा खूब चली की ए के शर्मा को उत्तर प्रदेश में डिप्टी सीएम या कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के ए के शर्मा योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में यूपी के संगठन में पार्टी के उपाध्यक्ष बन गए। लेकिन योगी के दूसरे कार्यकाल में उन्हें सरकार में भागीदारी दिए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं।
अरुण असीम 

अरुण असीम कानपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर रह चुके हैं। एनएससी से कमांडो ट्रेनिंग किए हुए असीम अरुण 1994 बेच के आईपीएस ऑफिसर रहे । वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा में भी शामिल रहे हैं। उन्हें तेजतर्रार पुलिस अधिकारी माना जाता था।
कन्नौज के रहने वाले असीम अरुण को भाजपा ने कन्नौज की सदर सीट से मैदान में उतारा। बताया जाता है कि इस सीट पर समाजवादी पार्टी के अनिल दोहरे मजबूत उम्मीदवार थे। जो जीत की हैट्रिक लगा चुके थे । असीम अरुण ने उन्हें हराया। फिलहाल चर्चा है कि उन्हें यूपी के कैबिनेट में शामिल किया जाएगा। इसके पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं। पहला यह कि वह दलित समाज से आते हैं और दूसरा उनका लंबा प्रशासनिक अनुभव रहा है।
याद रहे कि केंद्र की मोदी सरकार 2. 0 में चार ब्यूरोक्रेट्स को कैबिनेट में शामिल किया गया है । जिनमें विदेश मंत्री एस जयशंकर, रेलवे मंत्री अश्वनी मिश्रा, केंद्रीय मंत्री आरके सिंह और आवास शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी शामिल है । बताया जाता है कि पूर्व में ब्यूरोक्रेट्स रहे इन राजनेताओं का मंत्रालय का कामकाज संतोषजनक रहा है।