[gtranslate]
Country

योगी के कड़े तेवर भी ना काबू कर पा रहे हैं सत्ता के दलालों को 

मौजूदा यूपी सरकार के कार्यकाल में स्थिति कुछ ऐसी ही है। पहले की सरकारों में पार्टी के विधायकों, पदाधिकारियों से लेकर मंत्रियों की खूब चलती थी। वे जो कह देते थे वही होता था। मुख्यमंत्री की मूक सहमति भी ऑल इज वेल’ की तरफ इशारा करती थी। मौजूदा योगी सरकार के कार्यकाल में  भले ही सीएम योगी के कड़े तेवरों के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में कुछ हद तक सफलता पाई हैं,सत्ता के दलालो का जलवा कम लेकिन हुआ नहीं हैं  ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार की स्थिति ठीक वैसी ही बनी हुई है जैसी पहले की सरकारों में हुआ करती थी। ये दीगर बात है कि मौजूदा सरकार ने पत्रकारों की कलम पर अंकुश लगा रखा है लिहाजा वही खबरें छनकर बाहर आ पाती हैं जिससे सरकार की छवि पर कोई खास प्रभाव न पड़ने पाए।

अभी हाल ही में एक आईएएस ने कानपुर विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनने के लिए एक दलाल से सम्पर्क साधा। लाखों रूपया लेने के बाद भी जब काम नहीं हो पाया तो आईएएस ने सत्ता से करीब का सम्बन्ध रखने वाले दलाल पर शिकंजा कसा। दलाल पर शिकंजा कसा तो आईएएस और दलाल के बीच की आडियो रिकाॅर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी। कहा जा रहा है कि यदि सोशल मीडिया पर आडियो  रिकाॅर्डिंग वायरल न हुई होती तो निश्चित तौर पर इस मामले को दफन कर दिया गया होता।
मामला आगे बढ़ा तो मीडिया ने भी भागते भूत की लंगोट खींचने में ज्यादा समझदारी दिखायी। मीडिया ने नमक-मिर्च लगाकर खबरा परोस दी। उम्मीद थी कि मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद दलाल का धंधा बंद हो जायेगा। सरकार ने तेजी दिखायी और दलाल के एक समूह को धर दबोचा। उम्मीद थी कि मामला यहीं पर शांत हो जायेगा लेकिन विपक्ष इस मामले में दूर की कौड़ी लेकर बैठा था। विपक्ष ने उस आईएएस के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग कर डाली जिसने अपनी क्षमता के बूते नहीं बल्कि रिश्वत की परम्परा के निर्वहन पर ज्यादा भरोसा किया और वह भी एक दलाल के माध्यम से। हालांकि आरोपी आईएएस अधिकारी की चरण वन्दना से प्रभावित होकर सरकार में मौजूद एक मंत्री महोदय के साथ ही यूपी भाजपा के कुछ पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से उनके खिलाफ कार्रवाई न करने की सिफारिश की लेकिन दाल गलने नहीं पायी। ऐसा इसलिए क्योंकि विपक्ष पूरी तैयारी के साथ बैठा था और मीडिया इस खबर को प्रकाशित कर चुका था। अर्थात तीर कमान से छूट चुका था।

परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री के आदेश पर आबकारी विभाग में सचिव के पद पर तैनात रहे आईएएस अधिकारी ईश्वरी प्रसाद पाण्डेय को उनके मौजूदा पद से हटाकर राजस्व परिषद से सम्बद्ध कर दिया गया और दलालों को जेल। सरकार की लीपापोती पर सपा के एक बडे़ नेता कहते हैं कि योगी सरकार ने भले ही दिखावे के तौर पर आईएएस के खिलाफ अप्रभावी कार्रवाई की हो लेकिन इससे एक बात स्पष्ट हो गयी है कि योगी सरकार के कार्यकाल में आईएएस और मंत्री-विधायक से अधिक हैसियत दलालों की है। जब एक आईएएस अधिकारी दलाल के माध्यम से अपनी ट्रांसफर-पोस्टिंग करवा रहा हो तो ये समझ लेना चाहिए कि काठ की हांडी में पक रही दाल में काला ही काला है। सपा नेता का ये भी कहना है कि जब ये हाल आईएएस का है तो अन्य कर्मचारियों की स्थिति क्या होगी? सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
ज्ञात हो सोशल मीडिया में आडियो रिकाॅर्डिंग लीक होने के बाद मीडिया में इस खबर की सुर्खी बनते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश को जांच सौंप दी थी। जांच रिपोर्ट में सच सामने आने के बाद मुख्यमंत्री के आदेश के बाद आईएएस अधिकारी ईश्वरी प्रसाद पाण्डेय के खिलाफ तबादले की कार्रवाई की गयी।

बताते चलें कि हाल ही में वायरल हुए आडियो में सामने आया था कि विशेष सचिव (आबकारी) ईश्वरी प्रसाद पांडेय के एक रिश्तेदार उनकी तैनाती के लिए किसी दलाल से बात कर रहे हैं। आडियो वायरल होने पर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच विगत 15 मई को एसटीएफ को सौंप दी थी। इस मामले में एसटीएफ ने मुख्य दलाल पियूष अग्रवाल समेत आईएएस के रिश्तेदार गौरीशंकर दीक्षित व उनके साथी कमलेश को गिरफ्तार कर पूरे घटनाक्रम का खुलासा कर दिया था। साथ ही कानपुर विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष पद पर पोस्टिंग के लिए लाखों रूपया खर्च करने वाले आईएएस व उनके रिश्तेदार की भूमिका से जुड़ी रिपोर्ट भी मुख्यमंत्री को सौंप दी थी।

चूंकि मामला सरकार की छवि से सम्बन्धित था लिहाजा न यूपी भाजपा नेताओं का पौव्वा काम आया और न ही सरकार के एक कद्दावर मंत्री का पौव्वा। इतना जरूर हुआ कि ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री ने आईएएस के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई करने के बजाए उन्हें उनके पद से हटाकर अन्यत्र तबादला करने का फरमान सुना दिया। मुख्यमंत्री का आदेश मिलते ही अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंहल ने आईएएस अफसर ईश्वरी प्रसाद पाण्डेय को उन्हें हटाए जाने संबंधी आदेश जारी कर दिए। बताते चलें ईश्वरी प्रसाद पाण्डेय पीसीएस से आईएएस पद पर पदोन्नत हुए थे।

वैसे तो कहा जा रहा है कि इस मामले में कई अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी थी लेकिन आईएएस संगठन के प्रभाव में आगे की जांच महज खानापूर्ति के साथ ही ठण्डे बस्ते के हवाले कर दी गयी। अब जबकि ईश्वरी प्रसाद पाण्डेय का मामला सामने आ चुका और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस तरह के अन्य मामलों की खोज-खबर लेने के लिए सूबे के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के हाथ में कमान सौंप दी है लिहाजा उन अधिकारियों के बीच हलचल साफ देखने को मिल रही है तो जोड़-जुगाड़ से पदोन्नति ले चुके हैं।

You may also like

MERA DDDD DDD DD