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योगी जी, राजधानी के PGI  हॉस्पिटल में चल रहा VIP कल्चर कब होगा बंद?

एक दिन पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए उन सभी 100 बेड की आरक्षण व्यवस्था को खत्म कर दिया है, जिसमें कहा जा रहा था कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने कोविड-19 संक्रमण से ग्रस्त जजों को वीआईपी ट्रीटमेंट देने के लिए फाइव स्टार होटल अशोका में क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने इसका स्वत ही संज्ञान लिया और इस वीआईपी क्वारंटाइन सेंटर को खत्म करने के लिए दिल्ली सरकार को आदेश दिए हैं। यही नहीं बल्कि दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि मरीजों के मामले में वीआईपी कल्चर दुर्भाग्यपूर्ण है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
 लेकिन वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का एक मामला ऐसा हैं  जहां के संजय गांधी पीजीआई हॉस्पिटल में अभी भी वीआईपी कल्चर बदस्तूर जारी है।  इस वीआईपी कल्चर के खिलाफ इस हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने ही कुछ दिन पहले मोर्चा खोला था। इसके बाद मामला रफा-दफा कर दिया गया है ।अब सुनने में आ रहा है कि यह मेडिकल कॉलेज प्रदेश के वीआईपी लोगों का क्वॉरेंटाइन सेंटर बन कर रह  गया है । कुछ दिन पहले ही प्रदेश के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा यहां से कोविड-19 का इलाज करा कर बाहर आए हैं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बढ़ते कोरोना कहर के बीच आम आदमी के लिए स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमराई हुई नजर आ रही है। सबसे बुरा हाल राजधानी लखनऊ का है। यहां एशिया के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में सुमार राजधानी लखनऊ का संजय गांधी पीजीआई संस्थान में इस चरमराती व्यवस्था का असर साफ दिख रहा है।
यह पीजीआई सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में है तो जाहिर है प्रदेश के टॉप क्लास के वीआईपी की नजर भी यही इलाज कराने की रहती है । यहां चिकित्सा संस्थान में चल रहे वीआईपी कल्चर को लेकर स्थानीय रेजिडेंट डॉक्टरों ने ही अपने हॉस्पिटल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
 गत 18 अप्रैल को डॉक्टरों ने धरना प्रदर्शन किया और कहा कि हॉस्पिटल की चिकित्सा व्यवस्था को पारदर्शी किया जाना चाहिए। जिसमें स्पष्ट हो कि यह हॉस्पिटल कितने वी आई पी लोगों  का चिकित्सा सेंटर बनकर रह गया है। इससे एक दिन पहले ही यहां के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने बकायदा हॉस्पिटल के निदेशक को पत्र लिखकर कॉविड 19 के मरीजों की भर्ती को लेकर चल रही व्यवस्थाओं को पारदर्शी बनाने की मांग की थी।
जिसमें कहा गया था कि हम इस वीआईपी कल्चर की कड़ी भर्त्सना करते हैं। तथा आपसे आग्रह करते हैं कि संस्थान में व्याप्त इस वीआईपी कल्चर पर लगाम लगे और कोविड-19 की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए । अन्यथा रेजिडेंस डॉक्टर आमजन के हितार्थ कड़े कदम उठाने को मजबूर होंगे।

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