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योगी सरकार का चौथा बजट पेश, धार्मिक कार्यों के लिए खजाने का मुंह खोला

योगी सरकार का चौथा बजट पेश, धार्मिक कार्यों के लिए खजाने का मुंह खोला

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आज अपना चौथा पूर्ण बजट पेश किया। बजट में ऐसा कुछ भी खास नजर नहीं आ रहा है जिससे आम जनता के चेहरों पर मुस्कान नजर आए। हालांकि, बजट में किसानों के साथ ही युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए ‘युवा हब योजना’ की घोषणा की गई है। खासतौर से धार्मिक कार्यों के लिए खजाने का मुंह खोलने में थोड़ा भी संकोच नहीं किया गया। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में सांस्कृतिक केन्द्र के 180 करोड़ की व्यवस्था के साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण के लिए 200 करोड़ की व्यवस्था की गई है। इतना ही नहीं मंदिर परिसर में ही वैदिक विज्ञान केन्द्र के लिए भी 18 करोड़ की व्यवस्था योगी सरकार द्वारा की गई है।

संत की सरकार में धार्मिक स्थल अयोध्या में पर्यटन और सांस्कृतिक योजनाओं के लिए 95 करोड़ की व्यवस्था की गई है तो दूसरी ओर अयोध्या में एयरपोर्ट बनाने के लिए भी 500 करोड़ की व्यवस्था से सरकार की मंशा का पता चलता है। चूंकि हाल-फिलहाल चुनाव का माहौल नहीं है लिहाजा बजट की व्यवस्था सरकार ने उसी अनुरूप की है जिन कार्यों के लिए वह जानी जाती है। संत की सरकार में सभी को इसी प्रकार के बजट की उम्मीद थी और सरकार उस पर खरी उतरी है।

वित्त वर्ष 2020-21 के बजट प्रस्तावों व विनियोग विधेयक सहित कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को भी इस बजट में मंजूरी दी गई है। इस बार सरकार ने  5,12,860.72 करोड़ का बजट पेश किया है। पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 के मुकाबले इस बार 33 हजार 159 करोड़ रुपये ज्यादा का बजट पेश किया गया। पिछले साल के मुकाबले इस बार 6.50 फीसदी से ज्यादा का बजट पेश किया गया है फिर भी आम जनता की झोली में कुछ भी नहीं दिखेगा।

बजट में किसानों का ध्यान रखते हुए ‘मुख्यमंत्री किसान दुर्घटना कल्याण बीमा’ के नाम से नई योजना के लिए 500 करोड़ आवंटित किए गए। जबकि जीएसटी और वैट से 91568 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया गया है। आबकारी विभाग पर भी सरकार की कृपा दृष्टि बनी रही। ज्ञात हो हाल ही में योगी सरकार ने यूपी की जनता के लिए रात 02 बजे तक बार खोलने की आज्ञा दी है।

इसे ध्यान में रखते हुए अनुमान लगाया है कि आबकारी विभाग से 37500 करोड़ राजस्व का मुनाफा होगा। स्टांप एवं पंजीयन से 23197 और वाहन कर से 8650 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने का लक्ष्य तय किया गया है। सरकार ने गांवों में जल जीवन मिशन के लिए 3000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं तो दूसरी ओर अटल आवासीय विद्यालय के लिए 270 करोड़ रुपये और केजीएमयू की चिकित्सीय व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए 919 करोड़ रुपयों की व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के लिए 100 करोड़ रुपयों के साथ ही युवाओं को प्रशिक्षण के दौरान 2500 का स्टाइपेंड दिए जाने की व्यवस्था भी की गई है। चूंकि सरकार के पास सरकारी नौकरियों का अभाव है और काफी समय से बेरोजगारी का मुद्दा विपक्ष के लिए हथियार बना हुआ था लिहाजा इस बार के बजट में युवाओं को अपना कारोबार शुरू करने के लिए ‘युवा हब योजना’ बनायी गयी है।

गंगा एक्सप्रेस वे के लिए 2000 करोड़ रुपयों की व्यवस्था की गयी है तो दूसरी ओर कन्या सुमंगला योजना के लिए 1200 करोड़ की व्यवस्था सरकार ने अपने इस बजट में की है। पीडब्लूडी पूर्वांचल निधि में 300 करोड़ और बुंदेलखंड निधि में 210 करोड़ की व्यवस्था है। दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड ट्रांजिट सिस्टम सरकार की प्राथमिकता में शामिल था लिहाजा उसके लिए 900 करोड़ की व्यवस्था की गई है तो दूसरी ओर आगरा मेट्रो के लिए 286 करोड़, कानपुर मेट्रो के लिए 358 करोड़ के साथ ही गोरखपुर और अन्य शहरों में मेट्रो प्रस्ताव तैयार किये जा रहे हैं। इस कार्य के लिए 200 करोड़ की व्यवस्था की गई है।

ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रमों के लिए 3000 करोड़ की व्यवस्था इस बार के बजट में की गई है तो दूसरी ओर बुंदेलखंड विंध्य के गुणवत्ता प्रभावित गांवों में पाइप पेयजल योजना के लिए 3300 करोड़ आवंटित किए गए हैं। बजट में महिलाओं का भी ध्यान रखे जाने की बात कही गयी है। काम करने वाली महिलाओं को रात के 10 बजे से सुबह 6 बजे तक घर पहुंचाने के लिए 112 नंबर पर काॅल करने की व्यवस्था की गई है। महिलाओं इस नम्बर पर सिर्फ काॅल करना पड़ेगा। पुलिस इसके बाद उन्हें अपने वाहन से उनके घर पहुंचाएगी। इन पीआरवी वैन में महिला सिपाही भी मौजूद रहेंगी।

मेरठ से प्रयागराज तक देश के सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेस वे का निर्माण कराए जाने का खाका भी इस बजट में दिखाया गया है। इस कार्य के लिए नोएडा के जेवर में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए 2 हजार रुपये आवंटित किए जाने की बात कही गई है।
योगी सरकार का ये बजट यूपी की जनता के लिए कितना प्रभावशाली रहेगा? इस पर अभी से उंगली उठने लगी है। वित्त विभाग से सेवानिवृत्त एक अधिकारी की मानें तो यह बजट महज खानापूर्ति तक ही सीमित है। इसका कोई खास लाभ आम जनता को मिलने वाला नहीं।

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