उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक-एक करके प्रदेश की पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं पर तलवार चला रही है । पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश सरकार में सड़कों के किनारे बने साइकिल ट्रैक खत्म करने का एलान किया था । इसके बाद अब जेपी सेंटर को बेचने की तैयारी की जा रही है।
लखनऊ के पास इलाके में बना यह जेपी सेंटर समाजवादी पार्टी का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है । पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस प्रोजेक्ट को बनाकर आजादी के आंदोलनकारी जयप्रकाश नारायण की यादों को सहेजा है । इस जेपी सेंटर में जयप्रकाश नारायण का म्यूजियम भी बनाया गया है। इसके साथ ही कई बड़े सेमिनार हॉल है।
याद रहे कि लखनऊ में समाजवादी पार्टी की सरकार में जेपी सेंटर को बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट बनाया था यह प्रोजेक्ट वर्ष 2012 से लेकर वर्ष 2017 के बीच शुरू किया गया था । इस सेंटर में एक लटकता हुआ स्विमिंग पूल। लॉन , टेनिस कोर्ट, सूट भी शामिल है। यहां 2000 लोग बैठ सकते हैं तथा 1000 लोगों की क्षमता का ऑडिटोरियम है। हालांकि यह प्रोजेक्ट अभी अधूरा है।
अखिलेश सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को योगी सरकार क्यों बेचना चाहती है। इसके पीछे का रहस्य राजनीतिक बताया जा रहा है। हालांकि जो कारण बताए जा रहे हैं वह यह है कि राज्य सरकार द्वारा अब इसे पूरा करने के लिए इसके बजट का पैसा नहीं है। गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में अब तक 881. 36 करोड रुपए खर्च किए जा चुके हैं। जिसमें हुए निर्माण गेस्ट हाउस , छात्रावास, स्वास्थ्य केंद्र, रेस्तरां, स्विमिंग पूल और हेलीपैड शामिल है ।
हालांकि अभी यह सेंटर पूरा नहीं हुआ है । लखनऊ विकास प्राधिकरण ने इस सेंटर को पूरा करने के लिए अभी 130.60 करोड रुपए की जरूरत बताई है । फिलहाल योगी सरकार एक तरफ जहां इस सेंटर को बेचने के लिए कीमत का आकलन भी कर चुकी है। इसके लखनऊ विकास प्राधिकरण के द्वारा 1642. 83 करोड रुपए इस सेंटर की बेचने की कीमत आंकी गई है।
लेकिन वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के नेताओं ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट के बिकने की सूचनाओं के चलते विरोध करना शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिषेक मिश्र ने कहा है कि वर्तमान योगी सरकार पिछली सरकारों द्वारा बनाई गई इमारतों को बेचने की कोशिश में लगी हुई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इसी के साथ ही मिश्र ने कहा है कि सरकार को इस पर फिर से विचार करना चाहिए । पूर्व मंत्री ने तो यहां तक कह डाला कि 2022 के चुनाव में जब सरकार सपा की बनेगी तो जेपी सेंटर खींचने वालों की बकायदा जांच कराई जाएगी।