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गंगा एक्सप्रेस – वे के लिए डवलपर तलाश कर रही योगी सरकार 

पिछले साल शीतकालीन सत्र में उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने देश के सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेस वे (594 किलोमीटर) बनवाने की घोषणा की थी। सूबे के 13 जिलों को जोड़ने वाले इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को मुख्यमंत्री योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया जा रहा है। पीपीपी मोड़ पर बनने वाले इस एक्सप्रेस वे में योगी सरकार को फिलहाल निजि डवलपर की तलाश है। जो तय समयसीमा ( जून 2021 ) तक इस एक्सप्रेस वे को शुरू कर सके। एक्सप्रेस वे के लिए अगले 6 महीने में 90 फीसद भूमि का अधिग्रहण सरकार की पहली प्राथमिकता होगी। इस प्रोजेक्ट के लिए 9,255 करोड़ रुपए जमीन अधिग्रहण में ही खर्च होंगे। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 39,298 करोड़ रुपए  है।
कहा जा रहा है कि मेरठ से प्रयागराज को जोड़ने वाले गंगा एक्सप्रेस-वे की नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रखी जाएगी। जो संभवत  जून माह में होगा। भाजपा सरकार सूबे में 2022 को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही इस प्रोजेक्ट की सभी भौगोलिक कार्यवाही पूरी करना चाहती है। जिससे कि सरकार 2022 के विधानसभा चुनावों में इस प्रोजेक्ट को अपनी उपलब्धियों में गिना सके।
गंगा एक्सप्रेस-वे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ( पीपीपी )  मॉडल पर बनाया जाएगा।  प्रोजेक्ट का पहला चरण मेरठ-बुलंदशहर एनएच-334 के बिजौली गांव से शुरू होना है। एनएच-9 के पास सिखेड़ा गांव (पिलखुवा के पास) में प्रवेश मार्ग बनाया जाएगा।  इससे हापुड़, एनएच-9 के वाहन प्रवेश करेंगे।  प्रोजेक्टर के लिए योगी सरकार ने हुडको और चार सरकारी बैंकों से 18,250 करोड़ का लोन लिया है।
गंगा एक्सप्रेस-वे मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदांयू, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ से गुजरते हुए प्रयागराज में जाकर समाप्त होगा। इस तरह यह प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश के 13 जिलों की सीमाओं से गुजरेगा। यह एक्सप्रेस वे 6 लेन चौड़ा होगा।  जबकि इसको 8 लेन में विस्तारित किया जाएगा।

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