तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर भारी संख्या में किसान बीते नौ महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. इन नो महीने के अंतराल में किसान नेताओं और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हुई, लेकिन सरकार और किसानों के बीच कोई बात नही बनी। एकतरफ सरकार इन कानूनों को किसान हित में बता रही है, वहीं दूसरी तरफ किसान नेता इसे काला कानून बताकर सरकार से इसे वापस करवाने की मांग पर अड़े हैं.।
आंदोलन कर रहे किसानों के मन में इन तीनों कृषि कानूनों को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं. इनमें से एक भ्रांति यह है । कि इस कानून के बाद मंडियां खत्म हो जाएंगी. हालांकि मोदी सरकार इससे बार-बार इंकार कर रही हैं और केंद्रीय नेता इस कृषि कानूनों को किसान हित में बता रहे हैं लेकिन यूपी सरकार में कृषि विपणन मंत्री श्रीराम चौहान के विधानसभा में दिए गए एक जवाब से किसानों के इस आरोप को बल मिला है. सरकार का यह जवाब किसानों की आशंका को मज़बूत करता है कि मंडियां धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी
दरसल सपा के विधायक संजय गर्ग ने 19 अगस्त को विधानसभा में सवाल पूछा कि प्रदेश में जिलावार कुल कितनी अनाज और सब्जी की मंडी हैं तथा उनमें से कितनी मंडी, ई-मंडी से जुड़ी हैं और कितनी शेष हैं? क्या सरकार शहरों में जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से अनाज एवं सब्जी मंडी की संख्या बढ़ाएगी? यदि नहीं, तो क्यों?
इसके जवाब में योगी सरकार के राज्यमंत्री श्रीराम चौहान ने अपने जवाब में साफ-साफ लिखा है कि 5 जून 2020 को आए अध्यादेश के बाद मंडी के बाहर देय शुल्क यानी टैक्स की व्यवस्था नहीं रही जिसका मंडी की आय पर असर पड़ा. ऐसे में नवीन मंडी स्थलों के निर्माण कार्य को वर्तमान में स्थगित रखा गया. यानी मंडियों की आमदनी कम होने के कारण नई मंडी के निर्माण पर योगी सरकार ने रोक लगा दी.।
मंत्री जी आगे लिखते हैं 251 अधिसूचित मंडी समितियों में से 220 मंडी परिसर निर्मित हैं, जहां कारोबार संचालित है. इनमें से 125 मंडी समितियां ई-नाम परियोजना से आच्छादित हैं.’’‘‘मंडी की स्थापना उस क्षेत्र के लाइसेंसों की संख्या तथा उस क्षेत्र से होने वाली आय के आधार पर की जाती है, किन्तु 05 जून, 2020 द्वारा पारित अधिनियम के प्रकाश में बदली हुई परिस्थितियों में परिसर के बाहर मंडी शुल्क की देयता नहीं रह गयी है, जिसके फलस्वरूप मंडी की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.’’ तत्क्रम में नवीन मंडी स्थलों के निर्माण कराये जाने के संबंध में संचालक मण्डल की 158वीं बैठक दिनांक 13.06.2020 को हुई थी, जिसमें निर्णय लिया गया है कि बदली हुई परिस्थितियों में नवीन निर्माण के स्थान पर पूर्व से सृजित अवस्थापना सुविधाओं की मरम्मत एवं आधुनिकीकरण पर बल प्रदान किया जाए, ताकि कृषि विपणन की व्यवस्था मजबूत हो सके, तद्नुसार नवीन मंडी स्थलों के निर्माण कार्य को वर्तमान में स्थगित रखा गया है.’’