आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है।ऐसे में विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं ने योग दिवस पर केंद्रित कई लेख,आलेख और ख़बरों को मुख्यतः से प्रकाशित किया है। देश के प्रतिष्ठित अख़बार दैनिक जागरण ने भी एक ख़बर लगाई, शीर्षक है : योग धन है पायो : पौराणिक युग में दिल्ली (delhi)से शुरू हुई थी योग की शिक्षा, भगवान शिव को माना जाता है जनक।
यहां इस ख़बर का ज़िक्र इसलिए क्योंकि इस ख़बर में योग के संदर्भ में जो जानकारी दी गयी है उसको लेकर ट्वीटर पर एक बहस शुरू हो गयी कि आख़िर योग की शुरुआत भारत में कहां से हुई और कब से ? सबसे पहले आप ख़बर का वो हिस्सा पढ़िए जिसको लेकर विवाद ने सोशल मीडिया पर तूल पकड़ा।
ख़बर में एक उप शीर्षक डालकर लिखा गया कि, “योग दिल्ली और पौराणिक मान्यता: पौराणिक इतिहासकार मनीष के गुप्ता ने बताया कि योग भारत की देन है और हमारे सनातन धर्म का हिस्सा है। योग और प्राकृतिक चिकित्सा के जनक भगवान शिव माने जाते हैं। सीसीआरवाइएन से सेवानिवृत शोधकर्ता डा. राजीव रस्तोगी ने ‘योग, इट्स ओरिजिन, हिस्ट्री एंड डेवलपमेंट’ में इस बात का जिक्र भी मिलता है। पौराणिक इतिहासकार मनीष के गुप्ता का कहना है कि शिव ने कई ऋषि-मुनियों को योग की शिक्षा दी। उन्होंने ही शांतिपूर्ण साधना और अध्यात्म के बारे में सब को बताया भगवान शिव कैलाश पर्वत पर एकांत में जिस तरीके से योग साधना किया करते थे संभवत: उनकी शक्ति और ऊर्जा का मूल कारण यही था।
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योग की शिक्षाओं का सबसे बड़ा केंद्र भारतवर्ष में अगर कोई है तो दिल्ली(delhi) और दिल्ली(delhi) के नजदीक के क्षेत्र ही हैं : दैनिक जागरण
शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि भगवान शिव ने इसका सबसे पहला ज्ञान पार्वती को विवाह के पश्चात दिया। इसके बाद योग को गांव-गांव तक पहुंचाने का श्रेय भगवान परशुराम को ही जाता है। ज्ञातव्य है कि भगवान परशुराम ने अपनी सारी विद्याएं, योग एवं विभिन्न प्रकार की शिक्षाएं केवल ब्राह्मणों को ही दीं। इसके कुछ अपवाद भी हैं, जैसे भीष्म और कर्ण। यह सभी शिक्षाएं उन्होंने तत्कालीन राजधानी हस्तिनापुर में दीं जो कि आज दिल्ली(Delhi) और दिल्ली के निकट के स्थान हैं। इस तरीके से हम यह समझ सकते हैं कि संभवत: आधिकारिक रूप से योग की शिक्षाओं का सबसे बड़ा केंद्र भारतवर्ष में अगर कोई है तो दिल्ली और दिल्ली(delhi) के नजदीक के क्षेत्र ही हैं।”
अब बहस पर आते हैं
सबसे पहले देश की जानी-मानी लेखिका एवं पत्रकार, मृणाल पांडे ने दैनिक जागरण के इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि,’ ग़लत। पुष्ट प्रमाणों के अनुसार 9-10वीं सदी में नाथ सम्प्रदाय के मूल गुरू मत्स्येंद्रनाथ और उनके शिष्य गोरखनाथ ने शैव हठयोग के साथ तांत्रिक तथा बौद्ध साधना को पद्धतियों को मिला कर पूरब में योग का यह रूप रचकर हर जाति के हिंदुओं व मुस्लिमों को विधिवत दीक्षा दी जिनमें गृहस्थ लोग भी थे।’
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ग़लत।पुष्ट प्रमाणों के अनुसार९-१०वीं सदी में नाथ संप्रदाय के मूल गुरु मत्स्येंद्रनाथ और उनके शिष्य गोरखनाथ ने शैव हठयोग के साथ तांत्रिक तथा बौद्ध साधना की पद्धतियों को मिला कर पूरब में योग का यह रूप रचकर हर जाति के हिंदुओं व मुस्लिमों को विधिवत दीक्षा दी जिनमें गृहस्थ लोग भी थे। https://t.co/xE18bZvha2
— Mrinal Pande (@MrinalPande1) June 21, 2021
एक ट्वीटर यूजर रवि वर्मा ने लिख,
‘पौराणिक युग में दिल्ली(Delhi) कहां था बे?
आदियोगी शिव ने काशी बसाया,महर्षि पतंजलि ने योगशास्त्र गंगा के किनारे लिखा, और आपकी योग की शिक्षा दिल्ली(delhi) से शुरू हुई?’
पौराणिक युग मे दिल्ली कहाँ था बे ?
आदियोगी शिव ने काशी बसाया, महर्षि पतंजलि ने योगशास्त्र गंगा के किनारे लिखा, और आपकी योग की शिक्षा दिल्ली से शुरू हुई?— रवि वर्मा (@ra1vi2) June 21, 2021
एक यूजर कमल सिंह ने लिखा कि,
ख़बर के नाम पर, ‘कुछ भी’।
कुछ भी।
— Kamal singh (@Kamalsi14982507) June 21, 2021
कुलमिलाकर इस ख़बर को पढ़ते ही लोगों ने दिल्ली(delhi) वाली कथा पर यक़ीन नहीं किया और अपने-अपने सवाल पूछ डाले। योग दिवस पहले भी मनाया जाता था पर इधर मोदी सरकार ने पिछले कई वर्षों से इसे पूरे जोर शोर से प्रचारित और प्रसारित करने का कार्य किया है। योग की उत्पत्ति कहाँ हुई, कैसे हुई और किसने की ,इसको लेकर बहस बहुत बड़ी है। लेकिन असल बात यह है कि सभी को योग करना चाहिए और इसके फायदों का लाभ उठाना चाहिए।