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पहलवानों का ऐलान: इंडिया गेट पर करेंगे आमरण अनशन

कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का विरोध कर रहे पहलवानों ने अब अपने पदक गंगा में विसर्जित करने का ऐलान किया है। बजरंग पुनिया, विनेश फोगट और साक्षी मलिक तीनों ने सोशल मीडिया पर एक ही ट्वीट कर इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने कहा, ‘हम अपने पदक गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं। साथ ही पहलवानों ने इंडिया गेट पर आज से आमरण अनशन का ऐलान भी किया है।

इन पहलवानों ने चिट्ठी में क्या कहा है?

पुलिस ने 28 मई को हमारे विरोध प्रदर्शन में हमारे साथ क्या किया, वो पूरे देश ने देखा है। हमें बेरहमी से गिरफ्तार किया गया, हमारे आंदोलन को कुचलने की कोशिश की गई। हम शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे। लेकिन हमारे आंदोलन को विफल कर दिया गया। हम जिस जगह पर प्रदर्शन कर रहे थे, उसे भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया। अगले दो दिनों में हमारे खिलाफ गंभीर प्राथमिकी दर्ज की गईं। हम महिला पहलवानों ने जो भी दोषी है उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। हम न्याय की मांग करते हैं। लेकिन पुलिस हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है। तो जिस व्यक्ति ने यौन शोषण किया वह समाज में सिर उठा कर चल रहा है। 

https://twitter.com/SakshiMalik/status/1663440317696155648

टीवी पर महिला पहलवानों के बारे में ऐसा बयान देना कि उन्हें उन पर शर्म आ जाए। क्या कोई जानता है कि आज महिला पहलवान के दिमाग में क्या चल रहा है? इस महिला पहलवान को लगता है कि देश में हमारे लिए कुछ नहीं बचा है। अब हम उन पलों को याद करते हैं जब हमने इस देश के लिए मेडल जीते थे। 
अब हम भी सोचने लगते हैं कि हमने ये मेडल क्यों जीते? क्या ये मेडल इसलिए जीते गए थे ताकि हमारे साथ इतना बुरा बर्ताव किया जा सके? सोमवार को पूरे दिन महिला पहलवान इन्हीं खेतों में छिपी रहीं। पीड़ित महिला पहलवानों के आंदोलन को तोड़ने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि हमारे गले में पहने जाने वाले पदकों का कोई अर्थ नहीं रह गया है। क्या हम इन पदकों को लौटाने के विचार से मर जाएंगे? ऐसा लग रहा था। लेकिन हम अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं कर सकते। उसके बाद हमारे मन में सवाल आया कि अगर मेडल लौटाना है तो किसे? हमारे देश की राष्ट्रपति एक महिला हैं। लेकिन उन्होंने इन सब पर चुप्पी साध रखी है। 
अपने घर में हमें बेटियां मानने वाले हमारे प्रधानमंत्री ने..28 तारीख का पूरा दिन नई संसद के उद्घाटन में बिताया। हमें अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है। लेकिन प्रधान मंत्री ने हमारे विरोध के बारे में एक साधारण पूछताछ भी नहीं की।  हमारे यौन शोषण करने वाले को भी नई संसद के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया था। उसने सफेद कपड़े पहनकर तस्वीरें लीं जैसे वह हमसे कहना चाहता हो कि मैं सब कुछ तय करूंगा।
इस जगमगाती व्यवस्था में हमारा क्या स्थान है, भारत की बेटियों का क्या स्थान है। क्या हम सत्ता में आने के लिए सिर्फ नारे या सिर्फ एक एजेंडा बन गए हैं? हमें अब इन तमगों की आवश्यकता नहीं क्योंकि इन्हें पहनकर यह चमकीला सफेद तंत्र हमें मुखौटा बनाकर ही अपना प्रचार करता है। और फिर हमारा शोषण करता है। अगर हम उस शोषण के खिलाफ बोलते हैं तो वह हमें जेल में डालने की तैयारी करता है। हम अब इन सभी पदकों को गंगा में विसर्जित करने जा रहे हैं। हम गंगा को पवित्र मानते हैं। ये मेडल जो हमने देश के लिए कमाए हैं, बहुत पवित्र हैं। अतः इन पदकों का स्थान पवित्र गंगा माई ही हो सकती है। ये पदक हमारा जीवन हैं, हमारी आत्मा हैं। एक बार गंगा में डूब जाने से हमारे अस्तित्व का उद्देश्य भी समाप्त हो जाएगा। इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन करने जा रहे हैं। इंडिया गेट हमें उन शहीदों की याद बताएगा जिन्होंने देश के लिए अपनी जान जोखिम में डाली। हमने उनकी तरह कुर्बानी नहीं दी है। लेकिन इन सभी पहलवानों ने एक पत्र लिखकर कहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए खेलते समय हमारे मन में इन जवानों जैसी ही भावना थी।

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