वर्तमान में पूरी दुनिया में 2.2 अरब से भी अधिक लोग दृष्टि दोष से ग्रसित हैं। इनमें से एक अरब लोगों को सही उपचार से ठीक भी किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत है। क्योंकि इनमें से 90 फीसदी दृष्टि बाधित लोग निम्न एवं मध्यम आय वर्ग के देशों से हैं।
आंखों की उचित देखभाल और इलाज के लिए हर किसी को 24.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत है। WHO के अनुमान के मुताबिक, अगर नेत्र रोगियों की मदद नहीं की गई तो दुनिया को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ेगा। इनमें दृष्टिबाधितता एक बड़ी वैश्विक समस्या बनकर उभर रही है।
एक आम आदमी तब तक डॉक्टर के पास नहीं जाता जब तक आंख में कोई खराबी पूरी तरह से नजर न आ जाए या फिर कोई ऐसी समस्या आ सकती है, जिससे उसके सारे काम में बाधा आ सकती है। 2050 तक आधी दुनिया दृष्टिबाधित हो जाएगी। भारत सहित अन्य एशियाई देश इस मामले में बहुत आगे हैं। यहां और काम करने की जरूरत है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का सुझाव है कि इस समस्या को रोकने के लिए स्क्रीन समय को कम करना और बच्चों को आउटडोर खेल जैसी गतिविधियों में शामिल करना महत्वपूर्ण है। इससे नेत्र रोगों से निपटने और मरीजों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी। सभी उम्र के लोगों की नियमित आंखों की जांच जरूरी है, जिसके लिए सुदूर ग्रामीण स्तर तक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाना जरूरी है। सरकार को वहां डॉक्टर और जरूरी उपकरण मुहैया कराने चाहिए। अंधेपन को कम करने के लिए सार्वजनिक शिक्षा अभियान की भी आवश्यकता है, ताकि लोग अपने बच्चों को बचा सकें। अपने आप को जागरूक करते रहें ताकि आप समय पर अस्पताल पहुंच सकें।
WHO SPEX 2030 पहल के जरिए आपके स्तर पर मदद करने की योजना पर काम कर रहा है। इसमें सरकारी, अर्ध-सरकारी संगठनों और निजी क्षेत्र की भूमिका पर भी प्रकाश डाला जा रहा है। सबसे आम नेत्र रोगों में प्रमुख हैं कलर ब्लाइंडनेस , मोतियाबिंद/ग्लूकोमा, मैक्यूलर डीजनरेशन आदि। कलर ब्लाइंडनेस को छोड़कर सभी बीमारियाँ वर्तमान में इलाज योग्य हैं। इसी प्रकार निकट और दूर की कमजोर दृष्टि दोष को चश्मे से ठीक किया जा सकता है। यदि किसी को धुंधली दृष्टि, लगातार सिरदर्द या आंखों में तनाव का अनुभव होता है, तो तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर शुरुआती दिनों में इनकी ठीक से देखभाल की जाए तो बड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2021 में 74वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में SPEX 2030 पहल शुरू करने का निर्णय लिया था। इसके तहत सबसे पहले सदस्य देशों को चश्मे के जरिये सहायता दी जायेगी। कुछ बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद करने का भी प्रस्ताव है। विचार यह है कि आंख की खराबी को जल्द से जल्द ठीक किया जाए, ताकि वह और खराब न हो। इस पहल के माध्यम से विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य सेवाओं, लोगों की मदद करना, शिक्षा जागरूकता, चश्मे की लागत कम करना और लोगों की पहचान और निदान पर ध्यान केंद्रित करना है।