गत 16 मई को कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक चिट्ठी लिखकर 1000 बसें चलाने की अनुमति मांगी थी। प्रियंका गांधी यह बसें उन प्रवासी मजदूरों के लिए चलाना चाहती है जो दूरदराज से अपने घरों को लौट रहे हैं। यह मजदूर पैदल ही सड़क पर सफर करने को मजबूर हैं। साथ ही अब तक दर्जनों मजदूर सड़कों पर बेमौत मारे जा चुके हैं।
लेकिन आज 3 दिन बाद मजदूरों के लिए बस चलाने वाले प्रकरण पर उस समय राजनीति शुरू हो गई जब पक्ष और विपक्ष की तरफ से चिट्ठीबाजियों का दौर शुरू हो गया। हुआ यूं कि कल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को यह स्वीकृति दे दी गई कि वह 1000 बसें यूपी बॉर्डर और नोएडा बॉर्डर से चलवा सकती है। इसके साथ ही एकबारगी लगा कि पक्ष और विपक्ष मजदूरों के हित चिंतक है और मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय को खत्म करने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहते हैं।
तब भाजपा के नेताओं ने योगी आदित्यनाथ की तो कांग्रेस के नेताओं ने प्रियंका गांधी की जमकर सराहना की। लेकिन रात होते-होते यह मामला तब राजनीति में परिवर्तित हो गया जब प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अविनाश अवस्थी ने प्रियंका गांधी को पत्र लिखा कि वह बसों के नंबर और कंडक्टर तथा ड्राइवर के नाम की सूची बनाकर उनके पास भेज दें। जिससे इनका प्रयोग प्रवासी मजदूरों की सेवा में हो सके।
इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय से एक पत्र प्रियंका गांधी को भेजा गया। जिसमें कहा गया कि बसों को लखनऊ भेज दें। ऐसे में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी को इसमें राजनीति होती नजर आई। इसके बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने देर रात यूपी के अपर मुख्य सचिव अवस्थी अवनीश अवस्थी को पत्र लिखा।
पत्र में उन्होंने कहा कि जब हजारों मजदूर पैदल चल रहे हैं और हजारों की भीड़ पंजीकरण केंद्र पर उमड़ी हुई है तब सिर्फ खाली बसों को लखनऊ भेजना में सिर्फ समय की बर्बादी है। बल्कि हद दर्जे की अवमानना भी है। उन्होंने आरोप लगाया कि आपकी सरकार की मांग पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित लगती है। ऐसा नहीं है कि आपकी सरकार विपदा का सामना कर रहे श्रमिकों की मदद करना चाहती है।
इसके बाद प्रियंका गांधी ने 1000 बसों की सूची बस के कंडक्टर और ड्राइवर और बस नंबर के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में भिजवा दी। यह सूची मिलते ही राजनीति शुरू हो गई। दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय से 1000 बसों को स्वीकृति मिलने की बजाए बसों के नंबर चेकिंग किए जाने लगे। जिसमें पता चला कि जो नंबरों की लिस्ट प्रियंका गांधी की तरफ से मुहैया कराई गई, उसमें कई बसों के नंबर ऐसे हैं जो सामान ढोने वाले वाहनों, स्कूटर, मोटरसाइकिल तथा थ्री व्हीलरों के नंबरों से मिल रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर बस चलाने पर अड़ंगा लग गया है।
फिलहाल, 3 दिन से यूपी बॉर्डर पर मजदूरों का हुजूम इकट्ठा हो गया है। कल गाजियाबाद में जिस तरह से रामलीला मैदान में कई हजार मजदूर अपने अपने घरों को लौटने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने को लाइनों में खड़े थे और सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं कर रहे थे, उससे कोरोना में बढ़ोतरी के परिणाम सामने आ सकते हैं।
इसी के साथ ही जैसे 1000 बसों की सूचना मजदूरों को मिल रही है, मजदूर यूपी बॉर्डर पर इकट्ठा हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली यूपी बॉर्डर पर अभी तक 20 से 25 हजार मजदूर जमा हो गए हैं। सभी को अपने घर जाने की तमन्ना है। लेकिन उनकी यह तमन्ना फिलहाल तो पूरी होती दिख नहीं रही है। क्योंकि जिन बसों में सफर करके वह अपने घरों को सफर करने वाले थे उन बसों पर फिलहाल राजनीति जमकर चल रही है। देखा जाए तो बस तो चल नही रही लेकिन चिट्टिया जरूर चल रही है।