- विजय साहनी
मनरेगा में पनप रहे भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए केंद्र सरकार ने ऐप जारी किया है। जिसके जरिए अब मजदूरों को ऑनलाइन हाजिरी लगानी होगी। ऑनलाइन हाजिरी लगने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और मजदूरों का रिकार्ड भी ऑनलाइन रहेगा। उनकी हाजिरी के अनुसार ही पैसा खाते में भेजा जाएगा। लेकिन मजदूरों को सरकार की डिजिटल हाजिरी रास नहीं आ रही है और वे इसके विरोध में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर में धरनारत हैं
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक सामाजिक सुरक्षा योजना है, जो देश में ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार और आजीविका प्रदान करने का प्रयास करती है। यह दुनिया की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजना है। मनरेगा का उद्देश्य वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन रोजगार प्रदान करना है। यह एकमात्र ऐसी योजना है जो रोजगार की गारंटी देती है और नौकरी न मिलने की स्थिति में लाभार्थी बेरोजगारी भत्ते का दावा कर सकते हैं। इस योजना को 2005 में लॉन्च किया गया था और उस समय इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के नाम से जाना जाता था। बाद में इसका नाम बदलकर मनरेगा कर दिया गया था। मगर इस योजना में पनप रहे भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए अब मजदूरों को ऑनलाइन हाजिरी लगानी होगी। जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और मजदूरों का रिकार्ड भी
ऑनलाइन रहेगा। मजदूरों को उनकी हाजिरी के अनुसार ही पैसा खाते में भेजा जाएगा।
मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि फर्जी मजदूर दर्शाकर मजदूरी का पैसा तक दे दिया जाता है। मनरेगा योजना में कई फर्जी कार्य कराने के मामले भी सामने आते रहते हैं। जब मनरेगा योजना की लोकपाल एवं सोशल ऑडिटर जांच करते हैं तो काफी घालमेल मिलता था। इसको देखते हुए सरकार ने अब नई व्यवस्था लागू कर दी है। मनरेगा योजना में जितने भी मजदूरों को कार्य दिया जाएगा उन्हें कार्य शुरू करने से पहले ऑनलाइन हाजिरी लगानी होगी। इसके बाद उन्हें मजदूरी पर भेजा जाएगा। उनकी हाजिरी लगाने की जिम्मेदारी पंचायत सचिव एवं पंचायत सहायक को सौंपी गई है। वह मजदूरों को हाजिरी लगाने के लिए पंचायत कार्यालय पर उपस्थित रहेंगे। शासन ने जारी आदेश में कहा कि मनरेगा मजदूरों को हाजिरी के अनुसार ही मजदूरी दी जाए और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही न बरती जाए। लेकिन मनरेगा मजदूरों को सरकार की डिजिटल हाजिरी रास नहीं आ रही है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ लगभग 15 राज्यों के हजारों मजदूर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इन मजदूरों का कहना हैं समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं होता, डिजिटल हाजिरी नहीं लग पा रही है। किसी मजदूर के घायल हो जाने पर या मृत्यु हो जाने पर कोई मुआवजा नहीं है। इन सब समस्याओं को लेकर वे नरेगा संघर्ष मोर्चा (एएसएम) के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे हैं। ये सभी मजदूर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और कर्नाटक के हैं।
गौरतलब है कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को रोजगार की गारंटी देने के लिए मनरेगा कानून 2 फरवरी, 2006 को लागू किया गया था। इस कानून से जुड़े नियमों में मोदी सरकार ने कुछ बदलाव किए हैं जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके। जिसमें से एक कानून है डिजिटल हाजिरी का। इसे डिजिटल ऐप के जरिए 1 जनवरी 2023 से मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को कार्यस्थल पर मोबाइल ऐप नेशनल मॉनिटरिंग सिस्टम पर रजिस्टर करना अनिवार्य है। जिसको लेकर मजदूरों में आक्रोश है। दूसरी तरफ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को 2023 का आम बजट पेश किया। इसमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के लिए फंड आवंटन में कमी देखी गई। आगामी वित्तीय वर्ष के लिए इसे घटाकर 60,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है। पिछले दो वर्षों में इस योजना के लिए यह सबसे कम बजट आवंटन किया है, जो पहले 2021-22 में 98,468 करोड़ रुपए और 2022-23 में 89,400 करोड़ रुपए था। जिसके कारण देशभर के मनरेगा मजदूर विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि एक तो हमें पहले से ही कम
मजदूरी दी जा रही है और ऊपर से सरकार ने मनरेगा बजट में कटौती कर दी है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने मनरेगा में एक ऐप जारी किया है मजदूरों की हाजिरी के लिए, वह ऐप इंटरनेट से चलता है और ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की बहुत ही परेशानी है। इस लिहाज से मजदूर कार्य करते जा रहे हैं और उनकी ऑनलाइन हाजिरी नहीं लग पा रही है। ऐसे में सरकार का कहना है कि हाजिरी नहीं लगेगी तो मजदूरों को पैसा नहीं मिलेगा। सरकार के इस फैसले का मजदूर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि जल्द से जल्द यह ऐप हटाया जाए और पहले की तरह कागज वाली शीट पर ही हाजिरी लगाने की अनुमति दी जाए। दूसरी मुख्य मांग यह कि इस साल मनरेगा बजट में कटौती हुई है उसे बढ़ाने के साथ ही मनरेगा मजदूरी भी बढ़ाई जाए। यही नहीं साल में 100 दिन के रोजगार को 300 दिन की गारंटी दी जाए। मजदूरों का कहना है कि हम पिछले 13 फरवरी, 2023 से यहां धरने पर हैं और यह 100 दिनों तक चलेगा। यदि 100 दिन में भी हमारी समस्याओं का निदान नहीं होता है, तो उससे भी अधिक दिन तक बैठेंगे।
दिल्ली आने से पहले इन मजदूरों ने बिहार के नेताओं के समक्ष भी अपनी बातें रखीं पर नेताओं का कहना हैं मनरेगा की परियोजना केंद्र सरकार के अंतर्गत आती है इसमें राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती है। तो आप लोग केंद्र सरकार के समक्ष अपनी बातें रखें, इसका हम जिम्मेदार नहीं हैं। इस घटना की मुख्य बात यह है कि इस धरने में कुछेक पुरुष को छोड़कर अधिकांश महिलाएं ही शामिल हैं। जब हमने इसका कारण जानना चाहा तो पता चला कि मनरेगा में अधिकांश महिलाएं ही कार्य कर रही हैं क्योंकि इनके घरों के पुरुष प्रवासी मजदूर होते हैं और दिल्ली, मुंबई, पंजाब आदि जैसे शहरों में ये लोग कार्य करते हैं। गांवों में अधिकतर महिलाएं ही बची हैं वे ही मनरेगा में कार्य करती हैं इसलिए अपने हक की लड़ाई समझकर आई हैं।