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बाल विवाह अभियान के खिलाफ सड़कों पर उतरीं महिलाएं

इस समय देशभर में असम सरकार की एक कार्रवाई की चर्चा है। इस कार्रवाई में असम में कुल 4 हजार 74 मामले दर्ज किए गए हैं। इन सभी अपराधों में कुल 2 हजार से अधिक वर , उनके परिजनों, पंडितों और मौलवियों को गिरफ्तार किया गया है। असम सरकार की यह कार्रवाई क्या है? 4 हजार से ज्यादा क्राइम और 2 हजार से ज्यादा गिरफ्तारियां क्यों हो रही है ?

असम सरकार ने राज्य में बाल विवाह के खिलाफ सख्त नीति अपनाई है। इसी नीति के तहत यह बड़ी कार्रवाई की गई है। असम में बाल विवाह को रोकने के लिए पिछले कई दिनों से प्रयास किए जा रहे हैं। अब सरकार ने बाल विवाह और इन शादियों के अरेंजर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है।

लेकिन असम के कुछ इलाकों में पुलिस कार्रवाई का विरोध भी शुरू हो गया है। पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ ही असम में एक नाबालिग लड़की ने आत्महत्या कर ली। वहीं, एक महिला ने अपने पति और पिता की गिरफ्तारी के बाद आत्महत्या करने की धमकी दी है। आत्महत्या करने वाली लड़की असम के कछार जिले की रहने वाली थी। दरअसल, 17 साल की लड़की एक लड़के से प्यार करती थी। लड़की के माता-पिता भी उसकी शादी कराने को तैयार थे, लेकिन बाल विवाह को लेकर असम पुलिस की कार्रवाई के बाद वे पीछे हट गए। परिवार के इस कदम से नाखुश लड़की ने 5 फरवरी को खुदकुशी कर ली थी। लड़की कछार जिले के राजनगर ग्राम पंचायत के खासपुर गांव की रहने वाली थी।

ऐसे ही एक 23 वर्षीय महिला ने अपने पिता और पति की गिरफ्तारी के बाद असम सरकार को आत्महत्या करने की धमकी दी है। महिला अफरोजा खातून धुबरी जिले की रहने वाली है। अफरोजा का दावा है कि उनकी शादी 19 साल की उम्र में साल 2018 में हुई थी, उनका जन्म 1999 में हुआ था और वह बालिग हैं। पिता और पति की गिरफ्तारी के बाद वह थाने पहुंची और धमकी दी। उसने कहा कि अगर उसके पति और पिता को रिहा नहीं किया गया, तो वह भी जीवित नहीं रहेगी। हंगामा करते हुए उसने पूछा कि उसके पति को क्यों गिरफ्तार किया गया है। ऐसा करने का अधिकार सीएम हेमंत बिस्वा शर्मा को किसने दिया? महिला ने कोर्ट परिसर में आत्मदाह करने की धमकी दी है। जब अफरोजा के पिता और पति को कोर्ट ले जाया जा रहा था तो वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, असम देश में सबसे अधिक मातृ एवं शिशु मृत्यु दर वाला राज्य है। इन मौतों के पीछे एक बड़ा कारण बाल विवाह है। असम में 31 प्रतिशत विवाह में एक नाबालिग लड़का या लड़की शामिल है। यानी ऐसी शादियों में लड़की की उम्र 18 साल से कम और लड़कों की उम्र 21 साल से कम होती है।

बाल विवाह के खिलाफ असम सरकार के अभियान में पॉक्सो कानून के तहत अब तक 4,074 मामले दर्ज किए गए हैं। दूल्हा, शादी तय करने वाले उसके परिवार के सदस्यों, पंडितों या मौलवियों समेत कुल 2,044 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बाल विवाह में लड़की की उम्र 14 से 18 साल है। ऐसा बाल विवाह करने वाले व्यक्ति के खिलाफ बाल विवाह रोकथाम अधिनियम (2006) के तहत मामला दर्ज किया गया है। अगर जिस बच्चे की शादी होती है उसकी उम्र 14 साल से कम होती है तो उसे किशोर निरोध केंद्र में भेज दिया जाता है।

असम सरकार के मंत्रिमंडल ने पिछले महीने राज्य में बाल विवाह की प्रथा के खिलाफ कार्रवाई करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसमें 14 साल से कम उम्र की बच्चियों से शादी करने वालों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज करने का निर्णय लिया गया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस अभियान के बारे में ट्वीट किया। इसमें उन्होंने असम पुलिस को इस मामले के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

असम में सबसे ज्यादा 374 मामले धुबरी में दर्ज हुए हैं। इन मामलों में कुल 126 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। दूसरे स्थान पर होजई जिला शामिल है। वहीं, 255 मामले दर्ज किए गए और 96 लोगों को गिरफ्तार किया गया। मोरीगांव तीसरे स्थान पर है। वहां 224 मामले दर्ज किए गए और 94 लोगों को गिरफ्तार किया गया। चौथा नंबर उदलगिरी का है। 213 एफआईआर दर्ज की गईं और 58 लोगों को गिरफ्तार किया गया। कोकराझार जिला पांचवें स्थान पर है। वहां 204 मामले दर्ज किए गए और 94 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

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