नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में पिछले 66 दिनों से लखनऊ के घंटाघर में चल रहा विरोध-प्रदर्शन स्थगित कर दिया गया है। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए प्रदर्शनकारी महिलाओं की ओर से पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर इसकी सूचना दी गई। महिलाओं का कहना है कि जब लॉकडाउन आदेश की अवधि खत्म हो जाएगी। उसके बाद से वे फिर से अपना धरना जारी जारी करेंगी।
हालांकि, महिलाएं धरना स्थल को खाली करने के बावजूद सांकेतिक प्रदर्शन के तौर पर अपने दुप्पटे वहीं छोड़कर आई हैं। वहीं अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने इसे लेकर कहा कि घंटाघर का धरना अब खत्म हो चुका है। गौरतलब है कि सीएए के खिलाफ 17 जनवरी से महिलाएं यहां प्रदर्शन कर रही थीं। लेकिन रविवार 22 मार्च को रात तीन बजे धरना स्थगित करना का फैसला लिया। जिसके बाद पुलिस की निगरानी में सभी महिलाओं को उनके घर पंहुचा दिया गया है।
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने बताया कि उन्होंने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि अगर कोई कोरोना से बीमार हो जाता तो हमारा धरना बदनाम हो सकता था। जिसके कारण हमें बदनामी के साथ जीना पड़ता। इसलिए हमने देशहित के लिए यह निर्णय लिया है कि जबतक लॉकडाउन है तबतक धरना स्थगित रहेगा, लेकिन समाप्त नहीं।