महिलाओं को होने वाली हर महीने मासिक धर्म को लेकर फैली कुप्रथा को खत्म करने के लिए देशभर में कई वर्षों से जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके बावजूद कई राज्यों में महिलाओं को ऐसी कुप्रथाओं का सामना करना पड़ रहा है।
ताजा मामला कर्नाटक के तुमकुरु जिले का है। यहां ग्रामीणों द्वारा तीन महिलाओं को गांव से बाहर एक कमरे में कैद करके रखा गया था। ये तीनो महिलाएं मासिक धर्म से गुजर रही थी। जो कि गोल्ला समुदाय से हैं। इस समुदाय का मानना है कि महावारी से गुजर रही महिलाएं और गर्भवती महिलाएं अशुभ होती हैं। इसलिए उन्हें गांव से दूर रखा जाता है।
गुब्बी तालुक की तहसीलदार बी. आरती ने एक गुप्त सूचना के आधार पर चिकनेटागुंटे गांव में छापा मारा और गोल्ला समुदाय की इन तीनो महिलाओं को मुक्त कराया, जो मासिक धर्म से गुजर रही थीं। इन तीनो महिलाओं में से एक महिला आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता है, वहीं दूसरी मिड-डे मील की रसोइया और एक अन्य महिला को गांव से बाहर अलग रखा गया था। जहां गोल्ला समुदाय बहुसंख्यक रूप में रहते हैं वहां महिलाओं के साथ यह व्यवहार होना आम बात है। यह समुदाय कर्नाटक एक पिछड़ा समुदाय है जो कि अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आता है।
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स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि जागरूकता कार्यक्रम और अभियान चलाए जाने के बावजूद तुमकुरु जिले में गोल्ला समुदाय अभी भी माहवारी के दौरान महिलाओं को गांव के बाहर अलग रखने के विचार को मानता है। जिला प्रशासन द्वारा इस मुद्दे को गंभीरता से लिया गया और सभी तहसीलदारों को कडु गोल्ला कॉलोनियों का दौरा करने का निर्देश दिया गया है। इस प्रथा की जांच के लिए एकाएक दौरे किए जाएंगे।
तहसीलदार बी. आरती के अनुसार ऐसी कई कॉलोनियों में जहां महिलाओं को शिक्षा प्राप्त है, यह प्रथा प्रचलित नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि, कुछ कॉलोनियों में यह प्रथा अभी भी मौजूद है, इस तरह की कुप्रथा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त इसे खत्म करने के लिए नियमित रूप से जागरूकता अभियान और बैठकें आयोजित कर रहे हैं।
शिशु और मां को अलगाव से बचाया गया
गर्भावस्था और महावरी से गुजर रही महिलाओं को समुदाय द्वारा अशुभ व अशुद्ध माने जाने से उन्हें गांव से दूर रखा जाता है। शुद्धिकरण के एक महीने बाद ही गर्भवती महिलाओं को गांव में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। पिछले महीने 24 अगस्त को गुब्बी सिविल कोर्ट के न्यायाधीश उंडी मंजुला शिवप्पा ने गुब्बी तालुक के वरदेनहल्ली गोल्लारत्ती गांव का दौरा कर एक शिशु और मां को अलगाव से बचाया। न्यायाधीश ने परिवार वालों से आग्रह किया कि वे शिशु और माँ को घर के अंदर आने दे। इसके अतिरिक्त उन्होंने समुदाय के बुजुर्गों को ऐसी हरकत न करने की चेतावनी भी दी।