घर के कामकाज हो या परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी महिलाएं आज भी इन मामलों में पुरूषों से आगे हैं। अक्सर देखने को मिला है कि गांव हो या शहर महिलाएं पूरे परिवार को संभालती हैं। महिलाएं पूरी मेहनत और आत्मसमर्पण के साथ काम करती है। हालांकि एक परिवार को चलाने वाली महिलाओं को इसके बदले कोई मेहनताना नहीं मिलता। जो महिलाएं पढ़ाई-लिखाई करके प्राइवेट या सरकारी क्षेत्र में काम करती हैं, काम के बाद उन्हें घर की भी देखभाल करनी पड़ती है। गांव की महिलाएं खेतों में काम करने के साथ-साथ मवेशियों की भी देखभाल करती हैं। दूसरी तरफ पुरूष समाज फिर भी इन महिलाओं को अपने पांव की जूती के बराबर समझते है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि भारतीय महिलाएं और पुरूष अपना ज्यादातर समय का प्रयोग किस रुप में करते हैं। जनसंख्या संगठन रिपोर्ट 2020 के अनुसार देश में 15.98 करोड़ महिलाएं घरेलू कार्यां में दर्ज की गई हैं, तो वहीं पुरूष घरेलू कार्यों में 57.90 लाख है।
महिलाएं अपने पूरे दिन में घर के सदस्यों की देखभाल में 134 मिनट और पुरूष 76 मिनट खर्च करते हैं। पूरे दिन में इन खर्च समय को जोड़े तो स्पष्ट हो जाता है कि परिवार की देखभाल से लेकर घरेलू कार्यों की जिम्मेदारी कौन निभाता है। महिलाएं औसतन समय का 16.9 फीसदी और पुरूष 1.7 फीसदी बिना पैसे के घरेलू काम व महिलाएं 2.6 फीसदी घर के सदस्यों की देखभाल तो वहीं पुरूष सिर्फ 0.8 फीसद समय खर्च करते है। इस रिपोर्ट को टॉइम यूज इन इंडिया सर्वे ने हाल ही में जारी किया है।
726 मिनट 24 घंटे में अपनी देखभाल पर खर्च करते है भारतीय, 737 मिनट 24 घंटे में अपनी देखभाल में खर्च करते है ग्रामीण पुरूष, 724 मिनट 24 घंटे में महिलाएं अपनी देखभाल पर खर्च करती है। परिवार के लिए 299 मिनट घरेलू कार्यां के लिए महिलाएं तो पुरूष 97 मिनट देते है। इन आकड़ो से स्पष्ट होता कि महिलाएं जिन्हें आज भी हम कुत्सित दृष्टि से देखते है वह कहीं ज्यादा समय अपने परिवार की जिम्मेदारियों में लगाती है। एक घर तभी घर माना जाता है जब उसमें महिला रहती हो। लेकिन आज भी गांवों में महिलाएं पुरूषों की कुत्सित मानसिकता का शिकार हो रही है। उन्हें आज भी घर के चूल्हें से फुर्सत नहीं मिलती। आज भी महिलाएं घरों की चारदीवारी में कैद की जिंदगी जी रही है।