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गरीबी में जीने को मजबूर महिलाएं

युद्ध और अस्थिरता जैसी दशाओं का सर्वाधिक शिकार महिलाएं होती हैं। विश्व के हर कोने से घर-परिवार से लेकर राष्ट्र तक को संवारने में योगदान देने वाली स्त्रियां ऐसे पीड़ादायी हालातों में सबसे अधिक असहाय हो जाती हैं। इस मामले में विकसित देश हो या अविकसित हर देश में स्त्रियों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।

हमेशा से ही युद्ध हो या महंगाई की मार महिलाएं पर इनका सबसे अधिक बुरा प्रभाव पड़ा है। आधी-आबादी को ही घाव मिलते हैं। विश्व की आधी आबादी कही जाने वाली महिलाएं समान आर्थिक मौके की मोहताज हो रही हैं। महिलाओं के समान अधिकार की बातें होती रहती हैं लेकिन विश्व भर में महिलाओं की स्थिति में अभी भी सुधार नहीं आया है। हाल ही आई यूएन वीमेन की रिपोर्ट भी यही बताती है कि इस साल के अंत तक 38 करोड़ से अधिक महिलाएं और लड़कियां अत्यधिक गरीबी में जीने को विवश हो जाएंगी।

महिला सशक्तिकरण के लिए काम कर रही यूएन संस्था (यूएन विमिन) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (यूएनडीईएसए) की ओर से एक ताजा रिपोर्ट जारी की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल के विभिन्न संकटों ने दुनिया के लैंगिक अंतर को और बढ़ा दिया है। रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया कि वर्तमान में इस मुद्दे पर जिस गति से काम हो रहा है उसके आधार पर तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पूर्ण लैंगिक समानता हासिल करने में 300 साल और लग जाएंगे।

संयुक्त राष्ट्र की एक सहायक संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन द्वारा इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। संगठन का कहना है कि लैंगिक समानता हासिल करने के लिए किए जा रहे प्रयासों में प्रगति की वर्तमान दर पर कानूनी संरक्षण में व्याप्त कमियों को दूर करने और भेदभावपूर्ण कानूनों को हटाने में 286 साल तक का समय लग जाएगा।

यूएन विमिन के मुताबिक इसके अलावा महिलाओं को कार्यस्थल में शक्ति और नेतृत्व के मामले में समान प्रतिनिधित्व के लिए 140 साल और राष्ट्रीय संसदीय संस्थानों में समान प्रतिनिधित्व के लिए कम से कम 40 साल और प्रतीक्षा करनी होगी।

रिपोर्ट के अनुसार, लैंगिक समानता के लिए भविष्य की संभावनाएं संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के तहत 2030 तक सार्वभौमिक लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए निर्धारित समय से कोसों दूर नजर आ रही हैं।

यूएन विमिन की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस ने कहा कि जैसे-जैसे हम 2030 के आधे रास्ते के पास पहुंच रहे हैं, यह महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक समानता के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। जरुरी है कि हम महिलाओं और लड़कियों के बेहतर जीवन और प्रगति के लिए निवेश करें।

संयुक्त राष्ट्र महिला एजेंसी ने आर्थिक और सामाजिक मामलों के संयुक्त राष्ट्र विभाग के सहयोग से इस रिपोर्ट को तैयार किया है। कोविड-19 महामारी और उसके बाद हिंसक संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और महिलाओं के खिलाफ यौन हमले के कारण लैंगिक समानता की खाई और बढ़ गई है।

 

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