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शीतकालीन सत्र रद्द : कोरोना का बहाना और किसानों के मुद्दे से बचना 

आंकड़ों की अगर बात करे तो दुनिया के 105 से अधिक देशों में कोरोना महामारी के बीच में कई संसदीय सत्र हुए हैं। लेकिन भारत सरकार ने कोरोना का बहाना लेकर आखिर शीतकालीन सत्र रद्द कर दिया है। इसके पीछे किसानों का आंदोलन है। बताया जा रहा है कि सरकार ने इसलिए शीतकालीन सत्र रद्द किया है जिससे उन्हें संसद में किसानों के आंदोलन से संबंधित विपक्ष की घेराबंदी न हो सके। विपक्ष किसानों के मुद्दे पर सरकार को निशाने पर लेने की पूरी रणनीति बना चूका था। फिलहाल सरकार ने शीतकालीन सत्र निरस्त करके विपक्ष के इस मुद्दे को संसद में उठाने के सपने को चकनाचूर कर दिया है। कांग्रेस चाहती थी कि संसद सत्र बुलाया जाना चाहिए। हालाँकि सरकार ने दावा किया है कि शीतकालीन सत्र सभी दलों की रजामंदी पर कोरोना बीमारी के चलते किया गया है।लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस ने इसे तानाशाही करार दिया है।

गौरतलब है कि संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी को पत्र लिखकर यह सूचना दी है कि सभी दलों के नेताओं से चर्चा के बाद आम राय बनी थी कि कोरोना महामारी के चलते सत्र नहीं बुलाया जाना चाहिए। इसी के साथ पत्र में लिखा गया है कि संसद का बजट सत्र जनवरी, 2021 में किया जाएगा। कहा जा रहा है कि कांग्रेस चाहती थी कि संसद का सत्र बुलाया जाना चाहिए जिससे किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो सके तथा कानूनों में संशोधन किया जा सके। लेकिन सरकार इससे बचना चाहती थी। जिसके कारण सत्र निरस्त किया गया।

इस मामले पर कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक ट्वीट किया और कहा कि मोदी जी, संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने का काम पूरा हो गया। सुरजेवाला ने सवाल किया है कि कोरोना काल में नीट/जेईई और यूपीएससी की परीक्षाएं संभव हैं, स्कूलों में कक्षाएं, विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं संभव हैं, बिहार-बंगाल में चुनावी रैलियां संभव हैं तो संसद का शीतकालीन सत्र क्यों नहीं? जब संसद में जनता के मुद्दे ही नहीं उठेंगे तो लोकतंत्र का अर्थ ही क्या बचेगा?

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के सीनियर लीडर जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि सरकार ने इस फैसले को लेकर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के साथ किसी तरह का सलाह-मशविरा नहीं किया। जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए कहा कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष से विचार-विमर्श नहीं किया गया. प्रह्लाद जोशी हमेशा की तरह एक बार फिर सच से दूर हैं। कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी इस बाबत एक ट्वीट किया गया। जिसमे कहा गया है कि लोकतंत्र को नष्ट करने के भाजपा के प्रयासों के तहत एक और कदम।

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