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विवादों का विंटर ओलिंपिक

चीन में इन दिनों विंटर ओलिंपिक का आयोजन हो रहा है। पूरी दुनिया के चीन की राजधानी बीजिंग में जमा हुए हैं। चीन की विंटर ओलिंपिक का भारत, अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने राजनयिक बहिष्कार किया है। इसके बावजूद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने उद्घाटन समारोह में शामिल होकर चीन के साथ अपनी एकजुटता दिखाई है। चीन ने बीजिंग शीतकालीन ओलिंपिक की मशाल के जरिए कई विवादों को भी जन्म दिया है। चीन ने पहले गलवान में भारतीय सेना के हाथों मार खाए सैन्य अधिकारी को ओलिंपिक मशाल सौंपी और बाद में उइगर समुदाय के एक एथलीट को।

4 फरवरी को चीन ने शीतकालीन ओलिंपिक के उद्घाटन समारोह आयोजीत किया था। इस समारोह में अंतिम मशाल थामने का सर्वोच्च सम्मान दिनिगीर यिलामुजियांग को दिया था। जिसको लेकर विवाद शुरू हो गया है। दिनिगीर यिलामुजियांग चीन के अल्पसंख्यक उइगर समुदाय से आती हैं। ओलिंपिक मशाल को शुरुआत और अंत में पकड़ने वाले एथलीट का चयन काफी सतर्कता के साथ किया जाता है। चीन में उइगर मुसलमानों को नागरिक की हैसियत नहीं रखा जाता है। इसका क्या मतलब था यह स्पष्ट नहीं है लेकिन ओलंपिक में इस तरह की अभिव्यक्ति का कुछ ना कुछ मतलब होता है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि चीनी नेता इसके जरिए दुनिया को क्या संदेश देना चाहते हैं।

निर्वासित उइगर बोले-यह शर्मनाक

अमेरिका में रहने वालीं मानवाधिकार मामलों की वकील रेहान असत के भाई एकपर असत उन 10 लाख से अधिक उइगरों में से हैं, जिन्हें चीन ने हिरासत में रखा है। रेहान इस फैसले से हैरान हो गईं। रेहान असत ने कहा कि मुझे ऐसा लगा कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है। यह एक नया निचला स्तर है। चीन ने उइगरों के खिलाफ अपनी कार्रवाई की अंतरराष्ट्रीय आलोचना को दृढ़ता से खारिज कर दिया है,जबकि अमेरिकी सरकार और अन्य ने अल्पसंख्यक समुदाय से किए जा रहे सलूक को नरसंहार के समान बताया है।

दिखावा कर रहा है चीन

ओलंपिक खेलों की चीन की मेजबानी ने कई निर्वासित उइगरों को महसूस कराया है कि उनकी आवाज नहीं सुनी जाती है। लेकिन मशाल प्रज्ज्वलित करने के लिए अपेक्षाकृत अज्ञात एथलीट का चयन महज एक संयोग नहीं हो सकता है। रेहान असत ने कहा कि उन्हें लगता है कि चीन भले दिखावा करता है, लेकिन वह दूसरे देशों की आलोचनाओं को नकार नहीं सकता। चीन ओलिंपिक के जरिए यह बताना चाहता है कि वह उइगरों पर कोई अत्याचार नहीं कर रहा बल्कि उन्हें पूरे सम्मान के साथ मौके दे रहा है।

 

गौरतलब है कि,चीन पर बहुत पहले से उइगर मुस्लिमों के दमन का आरोप लगता रहा है। चीनी सरकार ने डिटेंशन कैंप में कम से कम 20 लाख उइगरों को कैद कर रखा है। इतना ही नहीं, चीनी अधिकारी इन धार्मिक अल्पसंख्यकों से जबरन काम भी करवाते हैं। हालांकि चीन ने हर बार डिटेंशन कैंप के आरोपों को खारिज किया है। चीन का कहना है कि पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में डिटेंशन कैंप कट्टरपंथी विचाराधारा से मुकाबला करने के लिए बनाए गए। चीनी नेताओं का कहना है कि शिविरों में उइगर लोगों को नौकरी का प्रशिक्षण दिया और यह अब बंद हैं, जबकि विदेशों में रह रहे उइगर लोगों का कहना है कि उनके कई परिजन अभी भी हिरासत में हैं।

कौन हैं उइगर मुस्लिम

उइगर मध्य एशिया में रहने वाले तुर्क समुदाय के लोग हैं जिनकी भाषा उइगर भी तुर्क भाषा से काफी मिलती-जुलती है। उइगुर तारिम, जंगार और तरपान बेसिन के हिस्से में आबाद हैं। उइगुर खुद इन सभी इलाकों को उर्गिस्तान, पूर्वी तुर्किस्तान और कभी-कभी चीनी तुर्किस्तान के नाम से पुकारते हैं। इस इलाके की सीमा मंगोलिया, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के साथ-साथ चीन के गांसू एवं चिंघाई प्रांत एवं तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से मिलती है।

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