चाय की दुकान, बड़े होटल से लेकर स्टेशनरी की दुकानों तक हर जगह यूपीआई का लेन-देन हो रहा है। कहीं कुछ भी खरीदें? ग्राहक दुकानदार से स्कैनर कोड मांगता है। विभिन्न यूपीआई कंपनियों ने दुकानदारों को कोड के लिए कूल कार्ड बनाए हैं। दुकानदार इसे फॉरवर्ड कर देता है और भुगतान तुरंत हो जाता है। कुछ दुकानों ने अब ऐसी मशीनें भी शुरू कर दी हैं जो बताती हैं कि यूपीआई के माध्यम से भुगतान करने के बाद कितने पैसे का भुगतान किया गया है। इसलिए दुकानदार को हर बार एसएमएस चेक करने की जरूरत नहीं है। जब यूपीआई इतना व्यापक हो गया है, तो कल (29 मार्च) अचानक यह खबर फैल गई कि इन लेनदेन पर अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा। जैसे ही यह खबर फैली, यूपीआई लेनदेन का उपयोग करने वाले लोगों को थोड़ी चिंता हुई, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ने तुरंत एक परिपत्र जारी कर मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। अगर आप ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह आपके लिए बेहद जरूरी खबर है।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम खुदरा भुगतान और ऐसे लेनदेन के लिए सहायक निकाय है। कल यह खबर फैलने के बाद कि यूपीआई भुगतान पर अतिरिक्त शुल्क लगेगा, एनपीसीआई ने एक परिपत्र जारी कर कहा कि बैंक खाते से बैंक खाते में किए गए यूपीआई लेनदेन के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा। एनपीसीआई ने कहा कि देश में 99.9 प्रतिशत यूपीआई लेनदेन केवल बैंक खातों के माध्यम से किया जाता है।
तो क्या बदला है?
एनपीसीआई ने स्पष्ट किया कि अतिरिक्त शुल्क केवल पीपीआई (प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट) लेनदेन के लिए लगाया जाएगा। लेकिन इसका बोझ उपभोक्ता पर नहीं पड़ेगा, बल्कि पीपीआई का इस्तेमाल करने वाले व्यापारी को वह शुल्क देना होगा। कल शाम (29 मार्च) कुछ मीडिया ने रिपोर्टिंग करते हुए कहा कि अब 2000 रुपये से ऊपर के लेनदेन पर 1.1 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क देना होगा। इसके बाद सनसनी मच गई। यह खबर एनपीसीआई के सर्कुलर के हवाले से दी गई। इसलिए एनपीसीआई की ओर से तत्काल स्पष्टीकरण देकर शुल्क भुगतान की संभावना को खारिज कर दिया गया।
पीपीआई लेनदेन क्या हैं?
ऑनलाइन वॉलेट के माध्यम से किए गए लेन-देन को पीपीआई कहा जाता है जिसका अर्थ है ‘प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट’ लेनदेन। इन वॉलेट में पेटीएम वॉलेट, अमेज़न पे वॉलेट, फोनपे वॉलेट, ओला वॉलेट और प्रीपेड गिफ्ट कार्ड शामिल हैं। ग्राहक एक ही ऐप से बार-बार लेन-देन करते समय एक निश्चित राशि ऐप के वॉलेट में जमा करते हैं। यह राशि संबंधित ऐप के वॉलेट में यूपीआई या कार्ड पेमेंट में ट्रांसफर की जाती है। साथ ही कुछ कंपनियां ग्राहकों को गिफ्ट कार्ड भी देती हैं। इस उपहार कार्ड की अग्रिम राशि का भुगतान बैंक में किया जाता है।
एनपीसीआई पत्रक क्या कहता है?
एनपीसीआई ने ट्विटर पर एक लीफलेट पोस्ट कर अपना पक्ष रखा है। नियामक निकाय द्वारा जारी हालिया दिशानिर्देशों के अनुसार पीपीआई वॉलेट को अब इंटरऑपरेबल यूपीआई पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बनने की अनुमति है। नए इंटरचेंज शुल्क केवल पीपीआई मर्चेंट लेनदेन पर लागू होंगे। लीफलेट में कहा गया है कि इसके लिए ग्राहकों को कोई शुल्क नहीं देना होगा।
तो UPI लेनदेन पर शुल्क नहीं देना पड़ेगा?
UPI खाता बैंक खाते से जुड़ा होता है। इसके जरिए अन्य यूपीआई आईडी से भी लेन-देन बैंक खाते के जरिए किया जाता है। ऐसे बैंक टू बैंक ट्रांजैक्शन की संख्या 99.9 फीसदी है। ऐसे लेनदेन के लिए कोई शुल्क नहीं है।
समीक्षा 30 सितंबर 2023 को होगी
यूपीआई भुगतान प्रणाली वर्तमान में जीरो मर्चेंट डिस्काउंट (एमडीआर) मॉडल पर काम करती है। लेकिन यूपीआई के नए नियमों के चलते इस पर ज्यादा चार्ज लग सकता है। ऐसी परिस्थितियों में 30 अप्रैल या उससे पहले शुल्कों के संबंध में नए मॉडल की समीक्षा की जा सकती है।