दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन को देखकर 33 साल पहले हुए किसान आंदोलन की याद ताजा हो रही है। 33 साल पहले आंदोलन और आज के आंदोलन में समानता यह है कि उस आंदोलन को जिस किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने नेतृत्व किया था आज किसान आंदोलन उन्हीं के छोटे बेटे राकेश टिकैत के हाथों में आ गया है । फिलहाल, दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर दिनोंदिन जुट रही भीड़ इसका प्रणाम है कि यह आंदोलन शायद 33 साल पहले हुए आंदोलन की तरह एक मिसाल बन जाए ।
इतिहास के पन्नों को पलटे तो पता चलता है कि दिल्ली के बोट क्लब पर किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में 1988 में 5 लाख किसान तत्कालीन कांग्रेस की केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट हुए थे । तब स्थिति यह हो गई थी कि तत्कालीन राजीव गांधी सरकार को किसानों के आंदोलन के सामने झुकना पड़ा था। तब ठेठ गवई अंदाज़ वाले बाबा टिकैत ने लाखों किसानों के साथ वोट क्लब पर धरना दिया था।
तब टिकैत के इस आंदोलन ने दिल्ली की सल्तनत को हिला दिया था । जिसके चलते देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को किसानों की सभी 35 मांगों पर फैसला लेना पड़ा था । हालांकि, यह आंदोलन महज 7 दिन का था । तब टिकैत के आंदोलन में 14 राज्यों से किसान वोट क्लब पर जुटे थे। फिलहाल के किसान आंदोलन की बात करें तो आज आंदोलन को 73 दिन हो गए हैं , लेकिन सरकार है कि किसानों की कोई मांग मानने को तैयार नहीं दिखती है।
मोदी सरकार फिलहाल अपने फैसलों पर अडिग है। हालांकि सरकार इस मामले में किसानों से 12 बार वार्ता कर चुकी है । लेकिन हर बार वार्ता बेनतीजा रही है । 5 दिन पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहकर कि किसानों के और उनके बीच सिर्फ एक कॉल की दूरी है , दोनों के बीच की खाई को पाटने की कोशिश की है।
दूसरी तरफ केंद्र सरकार गाजीपुर बॉर्डर पर दिल्ली में जाने वाले रास्तों पर कीलबंदी और किलाबंदी करके खाई को और चौड़ा करती नजर आ रही है । देश में इस समय किसानों के पक्ष में माहौल बनता जा रहा है । आंदोलन के सभी 41 किसान नेताओं में फिलहाल राकेश टिकैत पहले नंबर पर दिखाई दे रहे हैं ।
राकेश टिकैत वह नेता हैं जिन्होंने 26 जनवरी के बाद लड़खड़ाते हुए इस किसान आंदोलन को फिर से खड़ा किया है। अब सरकार सोचने पर मजबूर हो गई है कि अगर यह किसान आंदोलन यूं ही चलता रहा तो उनकी छवि किसान विरोधी बन सकती हैं । किसान नेता राकेश टिकैत ने यह कहकर कि आंदोलन अक्टूबर-नवंबर तक चलेगा 33 साल पहले की याद ताजा कर दी।
याद रहे कि 33 साल पहले भी किसानों के दिग्गज नेता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में हुआ आंदोलन अक्टूबर तक चला था। बोट क्लब पर टिकैत का धरना 31 अक्टूबर 1988 को समाप्त हुआ था । तब टिकैत का हुक्का अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बना था।