योग गुरु रामदेव आजकल अपने एलोपैथी के विवादास्पद बयान के चलते इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए ) से आरपार के मूड में है। केंद्र सरकार ने भी एक मीडिएटर की तरह रामदेव और आईएमए में एका कराने की कोशिश की। जिसमें सरकार को सफलता नहीं मिली। बहरहाल, आईएमए ने बाबा रामदेव पर ना केवल 1000 करोड का मानहानि का दावा पेश कर दिया है बल्कि कई राज्यों में मुकदमें भी दर्ज करा दिए है । कल ही आईएमए सहित प्राइवेट और सरकारी एक चिकित्सकों ने रामदेव के खिलाफ काली पट्टी बांधकर ब्लैक डे मनाया और विरोध प्रदर्शन किया।
इसी दौरान रामदेव के लिए अतीत का एक काला पन्ना खुलता दिखाई दे रहा है। यह पन्ना 9 साल पहले बंद हो चुका है। लेकिन फिलहाल उत्तराखंड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने इसे फिर से खोल दिया है। यह है रामदेव के गुरु शंकरदेव की रहस्यमय परिस्थितियों में लापता होने की मामला।
रामदेव के गुरू शंकर देव की फाइल 2012 में ही उत्तराखंड सरकार बंद कर चुकी है। जबकि इस मामले में सीबीआई ने भी हाथ खड़े कर दिए थे। लेकिन 9 साल बाद एक बार फिर उत्तराखंड विकास पार्टी ने इस गड़े मुर्दे को उखाड़कर बाबा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।
उत्तराखंड विकास पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने इस मामले में सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि केंद्र और राज्य दोनों ही सरकार रामदेव के गुरु की रहस्यमय परिस्थितियों में लापता होने की फाइल को दबा चुकी है। लेकिन अब समय आ गया है कि एक बार फिर यह मामला ओपन होना चाहिए। यही नहीं बल्कि मुजीब नैथानी ने इस मामले में फिर से सीबीआई की निष्पक्ष जांच कराने की मांग कर दी है।
याद रहे कि 16 जुलाई 2007 को हरिद्वार के अपने आश्रम से महंत शंकरदेव लापता हो गए थे। जानकारी के मुताबिक वह सुबह की सैर पर निकले और फिर अपने आश्रम में लौटे ही नहीं। आचार्य बालकृष्ण ने हरिद्वार के कनखल थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।
इसके बाद स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच की और 10 अप्रैल 2012 को फाइनल रिपोर्ट दी जिसके आधार पर ये केस बंद कर दिया गया। हालाकि इस मामले की सीबीआई जाँच भी हुई। लेकिन उनके रहस्यमय परिस्थितियों से लापता होने से पर्दा नही उठ सका। महंत शंकरदेव दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट और कृपालु बाग आश्रम ट्रस्ट के मुख्य संरक्षक थे। उन्होंने स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के साथ ही बाबा कर्मवीर को अपने शिष्य के तौर पर चुना था।