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क्या उत्तराखंड कांग्रेस में फिर दोहराया जाएगा 2016 का इतिहास

याद कीजिए 17 मार्च 2016 का वह दिन जब हरीश रावत सरकार अचानक संकट में आ गई थी। रावत सरकार के संकट में आने का कारण उनकी ही पार्टी के 9 विधायक अचानक पार्टी से बगावत कर देंगे बैठे थे। उसके बाद उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल पैदा हो गया था।
तब कांग्रेस इस राजनीतिक संकट से निपटने के लिए बड़ी तैयारी के साथ मैदान में उतरी थी। हालांकि कुछ दिनों बाद ही न्यायालय के फैसले के बाद हरीश रावत सरकार फिर बहाल हुई और पूरे 1 साल तक उत्तराखंड में उनका राज चला था। 6 साल बाद उन बागी विधायकों में से दो वापस कांग्रेस में आ चुके हैं। जिनमें एक हरक सिंह रावत तो दूसरे यशपाल आर्य है।
 फिलहाल, एक बार फिर कांग्रेस में उहापोह की स्थिति पैदा हो गई है। यह स्थिति तब से पैदा हुई जब 2 दिन पहले कांग्रेस हाईकमान ने संगठन में बदलाव के साथ ही नेता प्रतिपक्ष बनाने के आदेश जारी किए। इस आदेश के अनुसार पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष रानीखेत के पूर्व विधायक करण माहरा तो नेता प्रतिपक्ष पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य तथा उप नेता खटीमा के विधायक भुवन कापड़ी को बनाया गया है।  इसके बाद से ही कांग्रेस में हलचल मच गई है ।
कांग्रेस दो गुटों में नजर आ रही है। एक गुट है जो नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष का स्वागत कर रहे हैं । पटाखे छोड़ रहे हैं और मिठाई बांट रहे हैं । दूसरी तरफ दूसरा गुट भी है जो हाईकमान से नाराजगी व्यक्त कर रहा है।  हालांकि नाराजगी व्यक्त करने वाले कांग्रेसियों ने यह मोर्चा खुलकर नहीं खोला है। यानी कि वह अपने बयानों में यह नहीं कह रहे हैं कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति उन्हें रास नहीं आ रही या नेता प्रतिपक्ष की। ना ही वह प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का नाम लेकर विरोध कर रहे हैं ।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर नाराजगी व्यक्त करने वाले कांग्रेसी किस रणनीति के तहत ऐसा विरोध प्रदर्शित कर रहे हैं । इस दौरान एक चर्चा बड़े जोरों से चल रही है । वह यह कि पार्टी के 10 विधायक टूट कर भाजपा में जा सकते हैं। इसके चलते पार्टी एक बार फिर 6 साल पहले अतीत की याद दिलाती नजर आ रही है।
 2016 में भी पार्टी में नौ विधायक रातो रात भाजपा का रुख कर गए थे। फिलहाल, एक बार फिर यह चर्चा चल रही है कि धारचूला के विधायक हरीश धामी सहित पिथौरागढ़ के विधायक मयूख महर के साथ ही मदन बिष्ट, राजेंद्र भंडारी, मनोज तिवारी, ममता राकेश और खुशाल सिंह अधिकारी जैसे विधायक कांग्रेस को कभी भी अलविदा कह सकते हैं।
 धारचूला के विधायक हरीश धामी के बारे में तो यह तक कहा जा रहा है कि वह अपनी सीट छोड़कर वहां से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चुनाव लड़ाने के लिए तैयार है। हालांकि उनकी तरफ से इस बाबत कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। लेकिन इस बाबत जब “दि संडे पोस्ट”  ने धारचूला के विधायक हरीश धामी से बात की तो उन्होंने कहा कि वह अभी ‘वेट एंड वॉच’  की स्थिति में है।
 यानी कि हरीश धामी भविष्य में कुछ भी कर सकते हैं। वह कांग्रेस में भी रह सकते हैं या भाजपा में भी जा सकते हैं।  साथ ही उन्होंने कांग्रेस के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी ने उनको सदा हाशिए पर रखा। पिछली बार भी जब उनको पद दिया गया तो सबसे नीचे वाला पद दिया गया था। इस बार भी पार्टी ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया जिसके लिए वह अपना दावा कर रहे थे।

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