कांग्रेस के युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया के धारा 370 के समर्थन में आते ही चर्चाओं का बाजार गर्म है। राजनितिक गलियारों में सिंधिया को लेकर तरह तरह की चर्चाए चल रही है। यहां तक की उनके भाजपा में जाने तक के कयास लगाए जा रहे है। वैसे भी जबसे सिंधिया लोकसभा का चुनाव हारे है तब से वह राजनितिक हासिए पर है। कांग्रेस में उनको लेकर चर्चाए बहुत कम हो रही है। सिंधिया की बजाय राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को कांग्रेस का राष्टीय अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाओं के जोरो से चलने से भी वह मायूस बताए जाते है। हालांकि उनकी पार्टी के एक वर्ग का यह भी कहना है की सिंधिया ने आर्टिकल 370 का समर्थन चर्चा में आने के मद्देनजर किया है। लेकिन वही उनकी ही पार्टी इस बात को लेकर चिंतित नजर आ रही है।
गौरतलब है कि 5 अगस्त को राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा दिया गया। मोदी सरकार के इस एतिहासिक फैसले के बाद जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया है। मोदी के इस फैसले ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में खलबली मचा दी है। वहीं विपक्षी पार्टियों का दिल जीत लिया है। सबसे हैरानी की बात यह रही कि, कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी आर्टिकल 370 हटाए जाने का समर्थन किया। इसके बाद सोशल मीडिया पर यह चर्चा होने लगी कि अब सिंधिया को भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए।
बता दें सिंधिया ने अपने ट्वीट पर लिखा, “वह भारत में जम्मू कश्मीर और लद्दाख के पूर्ण विलय के लिए उठाए गए कदम का समर्थन करते हैं। बेहतर होता अगर संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया गया होता। यह देश के हित में है और मैं इसका समर्थन करता हूं। ”
उनके इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा कि, आप भाजपा में आ जाएं, आपका स्वागत है। जैसा माहौल इस समय कांग्रेस पार्टी में बना हुआ है उससे आसार तो ऐसे ही लग रहे हैं कि सिंधिया भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इस समय कांग्रस की हालत डूबती नाव जैसी है, जिस पर सवार हर मुसाफिर खुद को बचाने के लिए एक मजबूत नाव में बैठना चाहता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ही नहीं बल्कि मिलिंद देवड़ा, दीपेंद्र हुड्डा, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, ज्योति मिर्धा, रणजीत रंजन और अदिति सिंह जैसे कांग्रेसी नेता भी पार्टी की ख़राब स्थिति को लेकर बैचैन बताए जा रहे है। ऐसे में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि, आने वाले दिन में राजनीति जगत में क्या बड़े उलटफेर होते हैं।