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प्रियंका-जयंत मुलाकात क्या गुल खिलाएगी

उत्‍तर प्रदेश में अगले साल  विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव के मद्देनजर जोड़ -तोड़ की राजनीति भी शुरू हो गई हैं।  भाजपा  के तर्ज पर कांग्रेस ने अब छोटे -छोटे दलों को साधने में जुड़ गई है। हाल ही में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के चुनाव प्रभारी और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा है कि यूपी में अभी हमारा किसी से गठबंधन नहीं है। लेकिन हम छोटे  राजनीतक दलों को साथ लेकर चलेंगे। कांग्रेस से गठबंधन लिए सभी के दरवाजे  खुले हुए हैं।  31अक्टूबर को लखनऊ एयरपोर्ट पर रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी और कांग्रेस महासचिव  प्रियंका गांधी  की  मुलाकात को इसी दिर्ष्टि से देखा जा रहा है। इस बैठक के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि क्या कांग्रेस और रालोद साथ -साथ चुनाव लड़ेंगे। 

 
दअरसल ,पश्चिम यूपी के 15 जिलों की कुल 71 में से 51 सीटों पर जाट मतदाताओं  का दबदबा है। वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद भाजपा को जाट वोटों को अपने साथ जोड़ने में कामयाबी मिली थी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 71 में से 52 सीटें जीत ली थीं। जबकि किसी जमाने में जाटों की रहनुमाई के लिए जानी जाने वाली रालोद के हाथ सिर्फ बड़ौत की एक सीट आई थी। वहां से जीते पार्टी विधायक ने भी बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से बचीं  पश्चिम  उत्तर प्रदेश  की 19 सीटों पर ही सपा, बसपा और निर्दल उम्‍मीदवार को संतोष करना पड़ा था। जबकि सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरी कांग्रेस के हाथ कोई सीट नहीं आई थी। लेकिन इस बार एक वर्ष से चल रहे किसान आंदोलन के चलते समीकरण बिगड़ते हुए नज़र आ रहे हैं। किसानों की नाराजगी और जाट वोटों के कटने के अंदेशे के चलते भाजपा  छोटी-छोटी जातियों को साधने  के विकल्‍प पर काम कर रही है। इसके लिए बाकयदा मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने नॉएडा में गुज्जर सम्राट मीहिरभोज की मूर्ति का आनावरण किया था।  

वही विपक्ष को लग रहा है कि किसान आंदोलन और खासकर लखीमपुरी खीरी कांड के बाद जाट मतदाता  भाजपा से दुरी बना ली हैं। विधानसभा चुनाव में वे भाजपा विरोधी गठबंधन के साथ आ सकते हैं। जाटों के साथ मुसलमानों के वोट भी जुट जाएं  तो कई सीटों पर निर्याणक स्थिति बन सकती है। यही सोचकर सपा और रालाेेद करीब आए हैं। दोनों का गठबंधन है लेेेकिन उनके बीच सीटों का बंटवारा फिलहाल नहीं हुआ है। उधर, कांग्रेस को यूपी में किसी मजबूत सहयोगी की तलाश है। हाल ही में  छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री भूपेश सिंह बघेल ने छोटे दलों को ऑफर दिया है। इस बीच 31 अक्टूबर को संयोग से ही सही लखनऊ एयरपोर्ट पर जयंत चौधरी और प्रियंका गांधी की मुलाकात हुई तो अटकलें तेज हो गईं। कयास लगाया जाने लगा  कि यदि कांग्रेस और रालोद साथ आ गईं तो पश्चिमी यूपी में भाजपा के साथ सपा का नुकशान हो जायेगा । राजनीति के जानकारों के मुताबिक पश्चिम यूपी की 71 में से 12 सीटें ऐसी हैं जिनपर जाट वोट सीधे -सीधे  निर्णायक भूमिका में हैं। मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, मेरठ, अमरोहा सहित कई जिलों में जाट कहीं ज्‍यादा तो कहीं संख्‍या में हैं।
लखनऊ एयरपोर्ट पर प्रियंका-जयंत की मुलाकात को लेकर  रालोद नेता शाहिद सिद्दकी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह मुलाकात महज एक संयोग है।  प्रियंका  31अक्टूबर को गोरखपुर से प्रतिज्ञा रैली कर लखनऊ लौट रही थीं जबकि जयंत चौधरी लखनऊ में अपनी पार्टी का घोषणा पत्र जारी कर दिल्‍ली वापस लौट रहे थे। दोनों एक ही समय में लखनऊ एयरपोर्ट पर पहुंचे। वीआईपी लाउंच में दोनों की मुलाकात हो गई। दोनेां ने एक-दूसरे का हालचाल पूछा। इसके बाद कुछ देर तक उन्‍होंने बात की।इसका  राजनीतिक मायने न निकाले जाएं। कांग्रेस से हमारे रिश्‍ते अच्‍छे रहे हैं। आगे भी मुलाकातें होती रहेंगी।

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इससे पहले एयरपोर्ट पर ही अखिलेश-प्रियंका की भी मुलाकात हुई थी। उस मुलाकात को लेकर भी काफी अटकलें लगने लगी थीं हालांकि बाद में अखिलेश यादव ने कांग्रेस को भाजपा जैसी पार्टी बताकर इन अटकलों पर काफी हद तक खुद ही विराम लगा दिया। लेकिन प्रियंका और जयंत की मुलाकात को लेकर इसलिए चर्चा तेज है क्‍योंकि यूपी में कांग्रेस लगातार एक मजबूत सहयोगी की तलाश में है।

वही भाजपा को भी पता है कि पश्चिम यूपी में जीत हासिल करने के लिए 17 फीसदी जाट वोटों को अपने पाले में लाना जरूरी है इसलिए पार्टी ने जाटों को लुभाने में पूरी ताकत झोंक दी है। पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी ने अलीगढ़ में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के  नाम पर युनिवर्सिटी का शिलान्यास कर जाटों को अपने साथ रखना चाहती है। हालांकि चुनाव के बाद ही यह पता चल पाएंगा कि भाजपा कामयाव हुई या नहीं। इसे जाटों को संदेश देने की कोशिश के तौर पर ही देखा जा रहा है।

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