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क्या गुल खिलाएगी पवार की पावर पॉलिटिक्स

महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर से उथल-पुथल शुरू हो गई है। शिवसेना उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने दावा किया है कि अगले 15-20 दिनों में राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार गिर जाएगी। वहीं, राउत की पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि राज्य में चुनाव कभी भी हो सकते हैं और इसके लिए उनकी पार्टी तैयार है। एनसीपी नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार की उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात ने भी राज्य का सियासी पारा चढ़ाया हुआ है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई शिंदे सरकार गिरने वाली है? शिंदे सरकार के गिरने से कहीं ज्यादा कयासबाजी एनसीपी नेता शरद पवार को लेकर लगाई जा रही है। सियासी गलियारों में खासी चर्चा है कि पवार विपक्ष का साथ छोड़ एनडीए का दामन थामने की राह पकड़ चुके हैं। अडानी मुद्दे पर उनके बयान, विवादित उद्योगपति संग उनकी घनिष्ठता और स्वयं शरद पवार की अविश्वसनीय छवि ऐसी कयासबाजियों को हवा देने का काम कर रही है

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे-उद्धव ठाकरे गुट के बीच लंबे सियासी ड्रामे के बाद एक बार फिर घमासान शुरू हो गया है। महाराष्ट्र के तमाम बड़े नेताओं की तरफ से जो बयान सामने आ रहे हैं, उनसे अंदाजा लगाया जा रहा है कि राज्य में आने वाले दिनों में कुछ बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है। संजय राउत के बाद अब एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की तरफ से जो बयान सामने आया है, उसने महाविकास अघाड़ी गठबंधन में हलचल मचा दी है। उन्होंने एमवीए गठबंधन को लेकर कहा कि ये गठबंधन रहेगा या नहीं इसे लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता है। अजित पवार को लेकर लगाई जा रही अटकलों के बीच इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी अब सभी की नजरें टिकी हुई हैं। ऐसे में सूबे का ऊंट किस करवट बैठ सकता है यह देखना दिलचस्प होगा। सबसे पहले बात करते हैं उन बयानों की जिन्होंने प्रदेश की सियासत में होने वाले बड़े सियासी उलटफेर को लेकर सियासत तेज कर दी है। इसकी शुरुआत अजित पवार से हुई थी। कहा जा रहा है कि अजित पवार ने एक बार फिर पाला बदलने की तैयारी कर ली है, जिसे लेकर एनसीपी के विधायक लगातार उनसे मुलाकात कर रहे हैं। यह चर्चा चल ही रही थी कि एनसीपी सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने बयान देकर आग में घी डालने का काम कर दिया।

सुप्रिया ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि अगले 15 दिनों में देश की राजनीति में दो बड़े धमाके होने जा रहे हैं। इनमें से एक धमाका महाराष्ट्र की सियासत में होगा और दूसरा केंद्र में। सुले के इस बयान की खूब चर्चा हुई और कयासों का बाजार और गर्म हो गया। हालांकि अजित पवार को लेकर राजनीतिक जानकारों ने साफ किया कि वह खुद एक बार फिर अकेले कोई कदम उठाकर जोखिम नहीं लेना चाहेंगे, इसीलिए इस बार शरद पवार के इशारे का इंतजार है जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक पार्टी विधायकों को शांत रहने की सलाह दे रहे हैं। इसी का नतीजा रहा कि कई दिनों तक चुप्पी साधे अजित पवार ने मीडिया के सामने आकर कहा कि वह मरते दम तक एनसीपी में रहेंगे।

संजय राउत के बयान से सनसनी
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले नेता संजय राउत ही हैं। जो अपने बयानों से अक्सर लोगों को चौंकाते रहे हैं और बेबाकी से भरे अंदाज में कई बातों के संकेत देने का काम करते रहे हैं। अब संजय राउत ने महाराष्ट्र की सियासत में सुलगी चिंगारी को हवा देने का काम कर दिया है। उन्होंने बड़ा दावा करते हुए कहा कि ‘महाराष्ट्र की शिंदे सरकार अगले 15 दिनों में गिर जाएगी। इस सरकार का डेथ वारंट जारी हो चुका है, जिस पर जल्द हस्ताक्षर भी कर दिए जाएंगे।’ राउत के इस बयान ने महाराष्ट्र में नए सिरे से बहस शुरू कर दी है। अपने तेज-तर्रार सिपाही के इस बयान के बाद पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने भी महाराष्ट्र की शिंदे-बीजेपी सरकार के गिरने का दावा ठोक दिया है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में कभी भी चुनाव हो सकते हैं और हम इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस दौरान ठाकरे ने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके ही पक्ष में आएगा।

शरद पवार का चौंकाने वाला बयान
भारत की सियासत में कहा जाता है कि शरद पवार की अगली चाल का पता लगा पाना काफी मुश्किल होता है। महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान के बीच राजनीति के धुरंधर शरद पवार ने एमवीए गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ‘आज महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी है, लेकिन कल होगी या नहीं इसका पता नहीं।’ इस दौरान पवार ने आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव का भी जिक्र किया। ये सभी जानते हैं कि शरद पवार कुछ भी यूं ही नहीं कहते हैं। इसलिए उनके बयान के अब कई मायने निकाले जा रहे हैं। महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वाले जानकारों का कहना है कि शरद पवार हमेशा की तरह अपने हाथ में पूरी कमान रखना चाहते हैं। ताजा बयान की बात करें तो वे चुनाव से पहले ही कांग्रेस और उद्धव गुट को अपनी ताकत का एहसास करवाने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि एमवीए में फिलहाल सबसे ताकतवर पार्टी एनसीपी है। ऐसे में पवार चाहते हैं कि जब भी सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत होगी तो उसमें एनसीपी की बात सबसे ऊपर रखी जाए। उन्होंने साफ मैसेज दिया है कि अगर कांग्रेस-उद्धव गुट एनसीपी की बात नहीं मानते तो गठबंधन नहीं रहेगा।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में जब से एमवीए गठबंधन बना है, उसका सबसे ज्यादा फायदा शरद पवार की एनसीपी को हुआ। एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने शरद पवार को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें बताया गया है कि पिछले कुछ सालों में पार्टी को एमवीए गठबंधन में रहने का काफी फायदा हुआ है। ग्राम पंचायत में बीजेपी के बाद एनसीपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इसीलिए पवार फिलहाल विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक एमवीए के साथ ही रहना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि इस बार शरद पवार राज्य में एनसीपी का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने पूरी सियासी बिसात भी बिछा दी है। अजित पवार को किस बात का डर एनसीपी नेता अजित पवार के बीजेपी में जाने की अटकलें पिछले लंबे वक्त से चल रही है। कहा जा रहा है कि वे बस एक मौके की तलाश कर रहे हैं, लेकिन विधायकों से बात नहीं बन पा रही है। अजित पवार को पाला बदलने के लिए दो तिहाई विधायकों की जरूरत है, जिन्हें वे जुटा नहीं पा रहे हैं। ऐसा नहीं होने पर दल बदल कानून के तहत खुद उनकी और बागी विधायकों की सदस्यता पर खतरा पैदा होगा। इसीलिए अब शरद पवार की तरफ देखा जा रहा है। हालांकि शरद पवार महज 9 महीने के लिए बीजेपी के साथ जाकर अपना नुकसान नहीं करना चाहते हैं। इससे एनसीपी को फायदे की जगह नुकसान ज्यादा हो सकता है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अजित पवार की राजनीति महत्वकांक्षा मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचना है, जिसे वे बीजेपी के साथ जाकर पूरा करना चाह रहे हैं। क्योंकि उन्हें यह अच्छी तरह से पता है कि अगर आने वाले चुनावों के बाद एनसीपी को मुख्यमंत्री का पद मिलेगा तो उनके सिर सेहरा नहीं सजेगा। उनकी जगह सुप्रिया सुले को यह पद दिया जा सकता है। इसके अलावा उनके और उनके परिवार के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का शिंकजा कसता जा रहा है। जिसके चलते उन पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक सकती है। यही वजह है कि अजित पवार चुनाव से पहले इतने बेचैन नजर आ रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार
महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है, जिसे लेकर फैसला कभी भी आ सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद अब फैसले का इंतजार है। उद्धव गुट की तरफ से राज्यपाल के उस फैसले को रद्द करने की मांग की गई है, जिसमें उन्होंने फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था। कुल मिलाकर महाराष्ट्र में चुनाव से ठीक पहले हर सियासी पहलू को देखा जा रहा है। उद्धव गुट इस उम्मीद में है कि सुप्रीम कोर्ट दोबारा चुनाव कराने का आदेश देगा, वहीं शिंदे गुट चाहता है कि यथास्थिति बरकरार रहे, जिससे उसे सत्ता में कुछ महीने और रहने का वक्त मिल जाएगा। फिलहाल महाराष्ट्र की राजनीति का यह पूरा खेल अब दिलचस्प मोड़ पर आ चुका है। देखना होगा कि महाराष्ट्र की सियासत का यह ऊंट किस करवट बैठता है।

खतरे में शिंदे सरकार

एकनाथ शिंदे समर्थक बागी विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार हो रहा है। जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हफ्ते भर में आने की उम्मीद है। इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। पिछले साल शिवसेना की अगुवाई वाली महाविकास आघाड़ी की सरकार जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुट की ओर से 16 विधायकों की सदस्यता की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है। यदि संविधान पीठ के फैसले में इन 16 विधायकों की सदस्यता को अवैध ठहराया जाता है तो अभी चल रही एकनाथ शिंदे सरकार खतरे में पड़ सकती है।

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