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लिथियम से बनेगा भारत आत्मनिर्भर?

जम्मू कश्मीर के बारे में अमीर खुसरो ने लिखा था कि धरती पर यदि कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है। इसमें कोई दो मत नहीं। जम्मू कश्मीर भारत का सिरमौर है, भारत की इस सर जमीन पर ऐसा खजाना मिला है जो ना सिर्फ यहां की तकदीर बदल देगा बल्कि भारत को दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्था में पहुंचाने में भी मदद करेगा। केंद्र सरकार ने बताया है कि जम्मू कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का रिजर्व मिला है जो ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री को नई उंचाई प्रदान करेगा। क्योंकि इस खोज के साथ ही भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज़्यादा लिथियम प्राप्त देश बन गया है। लिथियम नॉन फेरस मेटल है जो इलेक्ट्रॉनिक सामान की बैट्री में इस्तेमाल किया जाता है। भारत हर वर्ष इस नॉन फोर्स मेटल को आयात करने के कई हज़ार करोड़ खर्च करता था लेकिन अब इसे हम आयात नहीं निर्यात करने में सक्षम हो सकेंगे।

सलाल-हिमाना में रिजर्व लिथियम

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के सलाल-हिमाना इलाके में यह रिजर्व पाया गया है। देश में इसके 51 ब्लॉक मिले हैं। इनमें से 5 ब्लॉक में लिथियम, गोल्ड, पोटाश, मॉलिब्डेनम से जुड़े हुए हैं। 2018 से ही इन मेटल्स की खोज की जा रही थी जिसे लगभग चार साल बाद कामयाबी हासिल हुई है। इस खोज के सफल होने में देश को बड़े फायदे हैं जिसके फलस्वरूप कुछ फेक्टर्स में भारत अब आत्मनिर्भर बन सकेगा।

क्या है लिथियम?
लिथियम एक नॉन-फोरस (गैर-लौह) मेटल है। यह चांदी की तरह दिखने वाला एक पत्थर होता है जो काफी मुलायम होता है।  इसकी सघनता (डेंसिटी) बहुत ही कम होती है, लेकिन यह दूसरे रसायनों से मिलने के बाद काफी प्रतिक्रिया देने लगता है, इसलिए इसे दूसरे रसायनों में मिलाकर उपयोग किया जाता है। वैसे तो यह एक शांत स्वभाव का मेटल है लेकिन यह दूसरे रसायन के साथ मिलकर बेहद एक्टिव हो जाता है इसलिए इसे सुरक्षित रखने के लिए मिट्टी के तेल या मिनरल वाटर का इस्तेमाल किया जाता है।

लिथियम के फायदे

लिथियम किसी भी रासायनिक प्रक्रिया में उन्माद की गंभीरता और आवृत्ति को कम करने में मदद करता है। यह मूड स्विंग, बाइपोलर अवसाद का इलाज करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति के अवसाद की स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि उसे आत्महत्या करने के बार-बार ख्याल आते हैं ऐसी अवस्था को भी लिथियम कण्ट्रोल करने में भी सक्षम होता है। लिथियम भविष्य में होने वाले उन्मत्त और अवसादग्रस्तता प्रकरणों को रोकने में भी मदद करता है। लिथियम और इसके यौगिकों में कई प्रकार से औद्योगिक तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। यह चीनी मिट्टी की चीजें, लिथियम ग्रीस स्नेहक, लोहा, स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादन के लिए फ्लक्स एडिटिव्स, लिथियम धातु का इस्तेमाल किया जाता है।लीथियम को दुनियाभर में खोजा जा रहा है। यह इतना महत्वपूर्ण  है कि इसे 21वीं सदी का पेट्रोल भी कहा जा रहा है। भारत में 59 लाख टन लीथियम का पता लगने के बादसे ही इसे ख़ज़ाने के तौर पर देखा जा रहा है। इतने बड़े खजाने के साथ भारत दुनिया में सबसे ज्यादा लिथियम का उत्पादन करने वाले देशों में तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। लिथियम का सबसे बड़ा इस्तेमाल इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए बैटरियां बनाने में होता है. जिस रफ्तार से दुनियाभर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग, उत्पादन और बिक्री बढ़ रही है उसके हिसाब से कहा जा रहा है कि यह लिथियम भारत को काफी अमीर और शक्तिशाली देश बन सकता है।

केंद्र सरकार ने बताया है कि पहली बार देश में लिथियम के भंडार मिले हैं। खनन मंत्रालय ने बताया है कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में सलाल-हैमाना इलाके में लिथियम की खोज भारत के विकास और इकोनॉमी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

मौजूदा समय में भारत को जितने लिथियम की जरूरत होती है उसका 96 प्रतिशत हिस्सा दूसरे देशों से मंगाया जाता है। इसके लिए भारत की विदेशी मुद्रा खूब खर्च होती है। साल 2020-21 में ही लिथियम बैटरियों के लिए भारत ने 8,984 करोड़ रुपये खर्च किये गए, 2021-11 में 13,838 करोड़ रुपये की बैटरियां मंगाई गईं, कहा जा रहा है कि जिस चीन से भारत अपना 80 फीसदी लिथियम मंगाता है उससे 4 गुना ज्यादा भंडार अब खुद उसके पास ही मिल गया है।

आसान नहीं राह 

हालांकि, इसमें एक समस्या भी है। दरअसल, लिथियम जमीन के नीचे मिला है। जमीन से इसे निकालना और इसकी रिफाइनिंग करना काफी मुश्किल काम है। भारत में अभी तक इसकी टेक्नोलॉजी इतनी विकसित नहीं है। इसको ऐसे समझिए कि ऑस्ट्रेलिया के पास 63 लाख टन लिथियम का भंडार मौजूद है लेकिन वह सिर्फ 6 लाख टन का ही उत्पादन कर पाता है।

चीन सबसे आगे है। अगर भारत अपने इस भंडार से खनन और उत्पादन कर पाता है तो वह इस क्षेत्र में काफी आगे निकल सकता है। यह कदम न सिर्फ भारत में इलेक्ट्रिक कार और बैटरियों के बाजार को बड़ा बूस्ट देगा बल्कि भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था भी बनेगा और प्रदूषण कम करने में भी उसे बड़ी मदद मिल सकेगी।

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