इस बीच भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने पहलवानों को खुली चुनौती दी है कि अगर उन पर लगे आरोपों में से एक भी साबित हो जाता है तो वह फांसी लगा लेंगे। सिंह ने कहा कि सभी पहलवान उनके बच्चों की तरह हैं और वह उन्हें दोष नहीं देते क्योंकि उनके खून और पसीने ने उनकी सफलता में योगदान दिया है।
महिला पहलवानों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रही थीं। लेकिन रविवार को जब वे नए संसद भवन की ओर मार्च करने की कोशिश कर रहे थे तो पुलिस ने इन पहलवानों को हिरासत में ले लिया और जंतर-मंतर से उनका सामान हटा दिया गया। बाद में मंगलवार को पहलवानों ने किसान नेताओं की मध्यस्थता के बाद गंगा में अपने पदक विसर्जित करने का फैसला वापस ले लिया। अगले दिन, सिंह ने एक बार फिर बाराबंकी में एक कार्यक्रम में अपनी बेगुनाही का दावा किया।
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सिंह ने कहा, “वे पिछले कई महीनों से मुझे फांसी देना चाहते हैं। लेकिन सरकार मुझे फांसी नहीं दे रही है । इसलिए वे अपने मेडल गंगा में फेंकने चले गए। गंगा में मेडल फेंककर बृजभूषण को फांसी नहीं दी जाएगी। सबूत हो तो कोर्ट में दे दो। अदालत मुझे फांसी देगी और मैं इसे स्वीकार करूंगा।”
सभी पहलवान मेरे लिए बच्चों की तरह हैं। मेरे संगठन का अध्यक्ष बनने से पहले भारत 20वें स्थान पर था। मेरी कड़ी मेहनत के कारण आज भारतीय कुश्ती की गिनती शीर्ष पांच टीमों में होती है। मेरे कार्यकाल में कुश्ती में भारत ने सात में से पांच पदक जीते हैं। मुझ पर लगाए गए आरोप निराधार हैं।-बृगभूषण शरण सिंह, पूर्व अध्यक्ष, रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया