हाल ही में जारी हुई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद मूर्छित पड़ी कांग्रेस को मिला ‘अडानी अस्त्र’ किसी संजीवनी से कम नहीं है। जब से पार्टी के हाथ यह ‘अस्त्र’ लगा है वह लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जिस तरह बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2014 से पहले 2जी और कोलगेट जैसे कथित घोटालों को लेकर संसद में यूपीए सरकार को घेरा था, क्या ठीक उसी तरह कांग्रेस भी अब अडानी मामले की संयुक्त संसदीय समिति (सीपीसी) से जांच की मांग कर मिशन 2024 के सपने को पूरा कर पाएगी
देश की राजनीति में इन दिनों लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अभी से सियासी समीकरण साधने की कवायद शुरू हो गई है। इस दिशा में एक ओर जहां लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के लिए बीजेपी के रणनीतिकार पूरी तैयारी से जुटे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद मिला ‘अडानी अस्त्र’ को भुनाने की कोशिशों में जुट गई है। दरअसल अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से कांग्रेस लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जिस तरह बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2014 से पहले 2 जी और कोलगेट जैसे कथित घोटालों को लेकर संसद में यूपीए सरकार को घेरा था, उसी तरह कांग्रेस भी अब अडानी मामले की संयुक्त संसदीय समिति (सीपीसी) से जांच की मांग कर क्या ‘अडानी नामक अस्त्र’ से मिशन 2024 के अपने सपने को पूरा कर पाएगी।
गौरतलब है कि पिछले दिनों संसद में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक रूप देखने को मिला। राहुल गांधी के बजट सत्र के दौरान दिए गए भाषण में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव का ट्रेलर देखा जा सकता है। लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी लगातार बीजेपी सरकार को लेकर हमलावर हैं। हाल ही में उन्होंने करीब साढ़े तीन हजार किलोमीटर की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पूरी की। यात्रा के दौरान भी उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ तीखे हमले किए। ऐसे में राहुल गांधी के बदलते रूप को लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के प्लान के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, बीते दिनों सदन में दिए गए अपने भाषण में उन्होंने अडानी मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साध कहा कि पहले वे अडानी के विमान में यात्रा करते थे और अब अडानी मोदी जी के साथ उनके विमान में यात्रा करते हैं। पहले मामला गुजरात तक सीमित था और अब वह अंतरराष्ट्रीय हो गया है। इसलिए केंद्र सरकार अडानी ग्रुप का पक्ष ले रही है।
इन सबके बीच राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अडानी को लेकर जिस तरह राहुल गांधी समेत पूरी कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार पर हमलावर है, उसे देखकर लगता है कि 2024 के आम चुनावों में विपक्ष अडानी मामले को एक बड़े मुद्दे के रूप में जनता के सामने रखेगा।
सरकार पर राहुल गांधी के आरोप
संसद में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा कि अडानी ने पिछले 20 सालों में बीजेपी को कितना पैसा दिया। राहुल ने आरोप लगाया कि 2022 में श्रीलंका बिजली बोर्ड के अध्यक्ष ने श्रीलंकाई संसदीय समिति को सूचित किया कि उन्हें राष्ट्रपति राजपक्षे द्वारा बताया गया था कि उन पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अडानी को पवन ऊर्जा परियोजना देने के लिए दबाव डाला गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ऑस्ट्रेलिया गए और एसबीआई ने जादुई तरीके से अडानी को 1 अरब डॉलर का लोन दिए जाने का एलान कर दिया। प्रधानमंत्री बांग्लादेश जाते हैं और फिर देश का बिजली विकास बोर्ड अडानी के साथ 25 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर करता है। यह भारत की विदेश नीति नहीं, अडानी के कारोबार के लिए नीति है।
संसद से सड़क तक कांग्रेस का हंगामा
राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं के हाल ही में दिए गए बयानों को देखकर यही लगता है कि पार्टी ने 2024 के लिए कमर कस ली है। अभी केंद्र सरकार को घेरने का सबसे बढ़िया मुद्दा अडानी है। इसी को लेकर संसद से लेकर सड़क तक विपक्ष का हंगामा देखने को मिल रहा है। हालांकि बीजेपी लगातार कांग्रेस के इन आरोपों को निराधार बता रही है। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘राफेल’ को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया, लेकिन यह विफल रहा क्योंकि मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनके ‘चौकीदार चोर है’ नारे को खारिज कर दिया। इस बार 2024 के चुनाव के लिए राहुल गांधी ने एक नया चुनावी मुद्दा ‘अडानी’ चुना है। पिछले दिनों संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान राहुल गांधी के लंबे भाषण ने साफ कर दिया कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उनका मुख्य मुद्दा कारोबारी गौतम अडानी होंगे। लोकसभा में उनका ज्यादातर भाषण अडानी पर केंद्रित रहा। इससे एक बात तो साफ नजर आ रही है कि साल 2019 और अब 2024 में राहुल गांधी की कोशिश एक ही है, नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार या पक्षपात का आरोप लगाना।
हालांकि एक बाधा है जो सरकार के खिलाफ इस नैरेटिव को गढ़ने के राहुल गांधी के प्रयास को पटरी से उतार सकती है। वास्तव में कई कांग्रेस शासित राज्य और अन्य भाजपा प्रतिद्वंद्वी भी अडानी समूह के साथ कारोबार कर रहे हैं। दरअसल, बीजेपी इस मोर्चे पर राहुल गांधी पर हमला करने के लिए तैयार है और उन्हें राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों को अडानी समूह के साथ अपने सभी निवेश संबंधों को खत्म करने का निर्देश देने की चुनौती दे रही है।
2019 अभियान
नवंबर 2018 में राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावी रैलियों के दौरान ‘चौकीदार चोर है’ का जाप करते हुए फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे में प्रधानमंत्री मोदी पर भ्रष्टाचार और पक्षपात का आरोप लगाया था। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस ने चुनाव जीता, लेकिन 2019 के आम चुनाव में पार्टी की किस्मत पूरी तरह से पलट गई। पीएम मोदी ने राहुल गांधी के नारे को सीधे चुनौती देने का फैसला किया और बीजेपी ने प्रधानमंत्री को वापस लाने के लिए अपना अभियान नारा ‘मैं भी चौकीदार’ लॉन्च किया। तब चुनावी सभाओं में पीएम मोदी ने मतदाताओं से पूछा ‘क्या उन्हें लगता है कि वे किसी दूसरी सरकार के साथ सीधे रक्षा सौदे में कुछ गलत कर सकते हैं।’ इसका नतीजा यह रहा कि मतदाताओं ने राहुल गांधी के इस आरोप पर विश्वास करने से इनकार कर दिया कि मोदी भ्रष्ट हैं। पोलिंग बूथ पर इसे पूरी तरह खारिज कर दिया गया। दरअसल, राहुल गांधी ने 2014 में खेल को पलटने की कोशिश की, जब यूपीए सरकार भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोपों से घिरी हुई थी, लेकिन मोदी पर आरोप टिक नहीं पाए। बाद में साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे में मोदी सरकार को क्लीन चिट देकर इस अध्याय को खत्म कर दिया।
अडानी और मिशन 2024
अगले साल होने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट कांग्रेस के लिए एक वरदान के रूप में आई है, जो मोदी सरकार के खिलाफ एक ऐसे अस्त्र की तलाश में है जिस तरह बीजेपी ने 2014 से पहले 2 जी और कोलगेट जैसे कथित घोटालों को लेकर संसद में यूपीए सरकार को घेरा था, उसी तरह अब कांग्रेस अडानी मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग कर रही है। भाजपा इस बात का मुकाबला कर रही है कि एलआईसी और एसबीआई जैसी राज्य के स्वामित्व वाली संस्थाओं का अडानी समूह में 1 प्रतिशत से भी कम का निवेश है और यह मामला किसी भी तरह से सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र से संबंधित नहीं है।
कहा जा रहा है कि चुनावों में अगर यह मुद्दा उठा तो भाजपा दृढ़ता से यह इंगित करेगी कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य अडानी समूह के साथ व्यापार कर रहे हैं और यह उनकी ओर से दोहरेपन का एक उत्कृष्ट मामला है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दो महीने पहले राज्य में एक निवेशक बैठक में अडानी के लिए रेड कारपेट बिछाया था, जिसने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को चौंका दिया था। बीजेपी के नेता भारत के खिलाफ एक ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश’ की बात को हवा दे रहे हैं, ‘भारतीय सफलता की कहानी’ को नकारने के लिए एक शॉर्ट- सेलर की रिपोर्ट को ‘शाश्वत सत्य’ के रूप में पेश कर रहे हैं। इसका जिक्र करते हुए कांग्रेस कह रही है कि बीजेपी अडानी का बचाव कर रही है। तो सवाल यह है कि क्या ‘अडानी’ 2024 में राहुल के लिए चुनावी मुद्दा बनेगा या 2019 में राफेल की तरह खत्म हो जाएगा?
ज्वाइंट पार्लियामेंट्री जांच की मांग
अडानी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर चल रहे बवाल का असर संसद पर भी पड़ रहा है। संसद का बजट सत्र शुरू होने के बाद से ही हंगामे की भेंट चढ़ रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे पर जेपीसी यानी ज्वाइंट पार्लियामेंट्री जांच की मांग की है। अगर ऐसा होता है तो अडानी मामले में भी कमेटी संबंधित व्यक्ति, संस्था या अन्य स्टेकहोल्डर्स को बुलाकर पूछताछ करेगी। जेपीसी की जांच में पक्षपात की संभावना नहीं रह जाती है, क्योंकि इसमें सभी राजनीतिक दलों के लोग शामिल होते हैं।
कांग्रेस के आरोपों पर पीएम का तंज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 फरवरी को हिंदी के लोकप्रिय हास्य कवि हाथरसी और कवि दुष्यंत कुमार की कविताओं की कुछ पंक्तियों के जरिए लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित विपक्ष के सवालों पर तंज कसते नजर आए। हालांकि इस दौरान उन्होंने एक बार भी गौतम अडानी या उनकी कंपनी का जिक्र तक नहीं किया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि दुनिया में कोरोना महामारी सहित अनेक संकटपूर्ण हालात के बीच देश को जिस तरह से संभाला गया, उससे पूरा देश आत्मविश्वास से भर रहा है एवं पूरे विश्व में भारत को लेकर सकारात्मकता, आशा और भरोसा है।
आज पूरी दुनिया भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है। लेकिन कुछ लोग हताश हैं और भारत के विकास की कहानी को स्वीकार करने से इनकार कर रहे हैं। वे 140 करोड़ लोगों के पुरुषार्थ और उपलब्धियों को नहीं देख रहे हैं। उन्होंने काका हाथरसी की पंक्तियां पढ़ीं जिनमें कहा गया है ‘आगा- पीछा देखकर, क्यों होते गमगीन। जैसी जिसकी भावना, वैसा दिखे सीन।’
इन जैसों के लिए कवि दुष्यंत कुमार ने बहुत अच्छी बात कही है- ‘तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल यह है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं।’ पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के 2004-14 तक का काल आजादी के इतिहास में सबसे अधिक घोटालों का दशक रहा है और संप्रग सरकार के इन दस साल के कार्यकाल में कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर कोने में भारत के लोग असुरक्षित महसूस करते थे। लोकसभा में बोले पीएम, ‘कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाल, जो भी जिसके पास था उसने दिया उछाल।’
प्रधानमंत्री मोदी ने 9 फरवरी को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के जवाब में धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा बताई। पीएम मोदी द्वारा कहा गया कि हमारी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ पात्रता तक पहुंच पाए यही सच्ची धर्मनिरपेक्षता है। शायराना अंदाज में तंज कस कहा कि ‘कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाल, जो भी जिसके पास था उसने दिया उछाल।’ उनके द्वारा विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए ‘अच्छा ही है, जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही खिलेगा।’
सदन से बीते दशकों में अनेक बुद्धिजीवियों द्वारा देश को दिशा दी गई है। सदन में जो भी बात होती है उसे देश बहुत गंभीरता से सुनता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों का व्यवहार और वाणी न केवल सदन, बल्कि मुल्क को निराश करती है।
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