यूपी में गरीबों, दलितों, शौषितो और वंचितों के नेता कहलाए जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधानसभा चुनाव से महज 1 माह पहले ही फिर एक बार पलटी मार ली है। अब वह भाजपा छोड़ सपा में शामिल हो गए हैं। इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव के छह माह पूर्व वह बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। पूरे 5 साल तक सत्ता सुख प्राप्त करने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य अब सपा में यह सुख देख रहे हैं।
इसी के साथ ही प्रदेश में सत्तासीन पार्टी भाजपा की हालत पतली हो गई है। यहां तक कि जब प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को यह पता चला कि स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा छोड़ सपा में शामिल हो रहे हैं तब उन्होंने एक ट्वीट किया। जिसमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य से मिल बैठकर गिले शिकवे खत्म करने की बात कही थी। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। तीर कमान से बाहर हो चुका था।
फिलहाल, स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा से बाहर जाने के बाद उनके नुकसान का आकलन पार्टी के नेता कर रहे हैं। जिसमें यह कहा जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के प्रभाव में 100 सीटें हैं। यही नहीं बल्कि इन सीटों पर वर्तमान में 18 विधायक ऐसे हैं जो सीधे स्वामी प्रसाद मौर्य के संपर्क में है। सभी का सपा में जाना तय बताया जा रहा है।
अगर देखा जाए तो स्वामी प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के 17 – 18 जिलों में अपना प्रभाव रखते हैं। इनमें फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया, बदायूं, फिरोजाबाद, एटा, मिर्जापुर, प्रयागराज, मैनपुरी, हरदोई, कन्नौज, कानपुर देहात, जालौन, हमीरपुर, झांसी और ललितपुर आदि है। इनमें सबसे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य की पकड़ बताई जाती है। जबकि उसके बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद भी यहां की जनता में लोकप्रिय बताया जा रहे है।
स्वामी प्रसाद मौर्य पहली बार 1996 में डलमऊ विधानसभा से बसपा के टिकट पर विधायक बने थे। इसके 1 साल बाद ही पहली बार वह मायावती सरकार में मंत्री बने। यही नहीं बल्कि 2001 में बसपा ने उन्हें अपना विधानमंडल दल का नेता बनाया था। 2002 के विधानसभा चुनाव में दूसरी बार डलमऊ से जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 2009 के उपचुनाव में उन्होंने पहली बार पडरौना से जीत हासिल की।
2012 में फिर वह पडरौना से जीते। बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2017 में बीजेपी के टिकट पर तीसरी बार चुनाव जीता था। यहां यह बताना जरूर है कि 8 अगस्त 2016 को स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे।