आईआईटी, एनईईटी और ऐसी ही कई अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रसिद्ध कोटा में स्टूडेंट तैयारी करने के लिए जाते हैं। यह भी देखा गया है लो कई बच्चे यहाँ से कोचिंग लेकर सफल भी हुए हैं। लेकिन इसी जगह का एक दूसरा पहलू यह भी है कि इन प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता न मिलने के कारण या परिवार वालों के दबाव के कारण कई बार अवसाद (डिप्रेशन) का शिकार हो जाते हैं। जिसका परिणाम यह होता है कि अंत में वे आत्महत्या कर लेते हैं।
बीते रविवार यानि 27 अगस्त को ही दिन में महज 4 घंटे के अंतर से दो और छात्रों ने खुदकुशी कर ली। आत्महत्या के ये मामले पिछले कुछ समय से लगतार बढ़ते जा रहे हैं जिसे देखते हुए अब कोटा के हर कोचिंग संस्थान में बुधवार के दिन ‘आधे दिन पढ़ाई, आधे दिन मस्ती’ कार्यक्रम जैसी एक्टीविटीज शामिल की जाएंगी। साथ ही कोचिंग संस्थान उन छात्रों की पहचान करने का प्रयास भी किया जाएगा जो कि आत्महत्या कर सकते हैं और उनकी पहचान के बाद उन्हें मनोवैज्ञानिक सलाह दी जाएंगी। इस प्रकार की छोटी छोटी शुरुआतों से शायद छात्रों के आत्महत्याओं की संख्या नियंत्रित की जा सकती हैं। इस पूरे मामले पर सोमवार को एक अहम बैठक हुई है जिसमें शहर के सभी आला अफसर मौजूद रहे हैं। वहीं इस मीटिंग में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल एसोसिएशन के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
आत्महत्या के कई मामले आए सामने
गौरतलब है कि इस साल कोटा में छात्रों की हत्या के मामले काम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। इससे पहले 3 अगस्त को भी आत्महत्या का एक मामला सामने आया था। डीएसपी धर्मवीर सिंह अनुसार 18 वर्षीय मृतक छात्र मनजोत छाबड़ा उत्तर प्रदेश के रामपुर का रहने वाला था। वह कोटा में चार महीने से रहकर नीट की तैयारी कर रहा था। डीएसपी के अनुसार सुबह साढ़े नौ बजे तक जब वह कमरे से नहीं निकला तो हॉस्टल में रहने वाले दोस्तों ने उसे बुलाने के लिए कॉल किया। लेकिन उसने कॉल रिसीव नहीं किया तो उसके दोस्त कमरे में गए लेकिन कमरा अंदर से बंद था। उसके बाद कोचिंग संचालक और पुलिस को फोन किया गया । पुलिस ने दरवाजा तोड़ बिस्तर पर पडे छाबड़ा के शव को बरामद किया।
कोटा में हर महीने छात्र आत्महत्या कर रहे हैं। हिन्दुस्तान की एक रिपोर्ट अनुसार इसी साल अगस्त के पहले सप्ताह तक 20 छात्रों ने आत्महत्या की। केवल अगस्त महीने मे छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने के कुल तीन मामले सामने आए। इन छात्रों की उम्र 15 से 20 वर्ष है। लगातार बढ़ते ऐसे मामलों से जिला प्रशासन के लिए आत्महत्या को रोक पाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। कोटा में छात्र आत्महत्या के बढ़ते मामलों को लेकर भाजपा नेता प्रह्लाद गुंजल ने शहर के दिग्गज नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वे कोचिंग फैक्ट्रियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो केवल रटने को बढ़ावा दे कर छात्रों पर दबाव डाल रहे हैं। उनके कहने अनुसार एनसीईआरटी की किताबों से बने 250 रुपये के नोट्स के लिए कोचिंग संस्थान 2.5 लाख रुपये क्यों लेते हैं? किसी भी अधिकारी ने कभी जाकर यह जांच क्यों नहीं की कि कैसे कोटा में कोचिंग सेंटर छात्रों के साथ उनके प्रदर्शन के आधार पर भेदभाव कर रहे हैं।
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