इंदिरा गांधी भारत की ऐसी प्रधानमंत्री थीं, जिसने पाकिस्तान को ऐसा दर्द दिया, जिसे वो कभी नहीं भूल सकता I पाकिस्तान को इससे बड़ा झटका आज तक किसी पीएम ने नहीं दिया है I वर्ष 1971 में इंदिरा जी के आदेश पर भारतीय फौजों ने तीन दिसंबर को पूर्वी पाकिस्तान में प्रवेश किया. फिर वो नया बांग्लादेश देश बनवाकर ही लौटीं I
इंदिरा गांधी ने जब ये काम किया तो अमेरिका का बहुत बड़ा दबाव था कि भारत किसी भी हालत में पूर्वी पाकिस्तान में कोई कार्रवाई नहीं करेगा I अगर उसने किया तो अमेरिका भारत से खिलाफ कार्रवाई के लिए अपना सातवां बेडा हिंद महासागर में भेज देगा. लेकिन इंदिरा इस धमकी के बाद भी नहीं डरीं I
नवंबर 1971 में इंदिरा गांधी अमेरिका गईं थीं I वहां अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने उन्हें ऐसा कुछ नहीं करने के लिए आगाह किया था I लेकिन भारत लौटते ही उन्होंने भारतीय फौजों को पूर्वी पाकिस्तान में कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया I हालांकि निक्सन को ये अंदाज हो गया था कि भारत उसकी चेतावनी के बाद भी मानेगा नहीं I इसलिए उन्होंने चीन से संपर्क किया था कि वो भारत को रोके लेकिन चीन तैयार नहीं हुआ I बौखलाए निक्सन ने फिर इंदिरा पर संघर्ष विराम का दबाव डाला. दो-टूक जवाब मिला- नहीं ऐसा नहीं हो सकता I इंदिरा गांधी के पूरे आत्मविश्वास के साथ पूर्वी पाकिस्तान में भारतीय फौजों को भेजने की भी एक वजह थी I क्योंकि वो सोवियत संघ जाकर उनसे मदद मांग आईं थीं I सोवियत संघ ने अमेरिकी कार्रवाई के खिलाफ ढाल बनने का भरोसा दिया था I जब अमेरिका ने अपने सातवें बेडे को हिन्द महासागर में पहुंचने का आदेश दिया, तब सोवियत संघ तुरंत सामने आकर खड़ा हो गया I भारत ने संघर्ष विराम तो किया लेकिन 17 दिसंबर के बाद, जब बांग्लादेश बन चुका था I
जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके सैनिकों ने भारत के विभाजन और पंजाबियों के लिए एक अलग देश बनाने की मांग की ‘खालिस्तान’। टुकड़ी ने छिपाने के लिए स्वर्ण मंदिर को चुना। इसके कारण भारतीय सेना द्वारा ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ का जन्म हुआ। जेट-ब्लैक डूंगरेस दान करने वाले कमांडो सीढ़ियों और गुरु रामदास लुंगर इमारत के बीच सड़क के माध्यम से मंदिर में प्रवेश करते हैं और कुछ नागरिकों के साथ भिंडरावाले और उनके सैनिकों को मारते हैं। इंदिरा गांधी ने इस तरह के किसी भी आदेश को देने से इनकार कर दिया लेकिन ऑपरेशन ने बदला लेने का एक चक्र चला दिया। परिणामस्वरूप, 31 अक्टूबर, 1984 को उनके दो निजी सुरक्षा गार्डों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में सिखों पर हमले हुए। वह भारत की पहली ऐसी सशक्त महिला पीएम थीं जिनके बुलंद हौसलों के आगे पूरी विरोधियों ने घुटने टेक दिए थे।