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 क्यों देना पड़ा चौथी बार इस्तीफा रवींद्रनाथ को 

यूँ तो सरकारी अधिकारियों के तबादले आम बात है। खासकर राज्यों के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादले अक्सर होते रहते हैं। राज्य में पोस्टिंग के बाद इनके जिले लगातार बदले जाते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि तबादलों से परेशान होकर किसी आईपीएस ने अपनी नौकरी ही छोड़ने का एलान कर दिया। जी हां , कर्नाटक में ऐसा हुआ है। कर्नाटक में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक आईपीएस अफसर ने इसलिए इस्तीफा दिया है क्योंकि उनका बार बार तबादला किया जा रहा था।

यह अधिकारी है आईपीएस  पी रवींद्रनाथ। उन्होंने राज्य सरकार को इसके लिए जिम्मेदार बताया है। आंध्र प्रदेश से 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी पी रवींद्रनाथ का कहना है कि उनका उत्पीड़न हो रहा था। इस बात के सामने आने के बाद कर्नाटक की राजनीति में हड़कंप मच गया है। रवींद्रनाथ ने अपने पुलिस करियर में चौथी बार पद से इस्तीफा दिया है। इससे पहले उन्होंने 2008, 2014 और 2020 में भी अपना इस्तीफा दिया था। रवींद्रनाथ की तरफ से एक चिट्ठी लिखकर इस बात का खुलासा किया गया है।

कर्नाटक के सीनियर आईपीएस पी रवींद्रनाथ को किसी भी जिले में तीन से चार माह रुकने नहीं दिया जा रहा था। एक जगह से दूसरी जगह जाकर जब वे काम को समझते इससे पहले ही उनका तबादला कर दिया जा रहा था। 10 मई को उन्होंने इस्तीफा देते हुए लिखा कि बिना किसी वजह के बार-बार तबादला किया जा रहा है।

उन्होंने लिखा है कि कुछ दिन पहले ही उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की थी। इसके बाद से ही उन्हें परेशान करने का सिलसिला शुरू हुआ था। बार बार तबादलों से परेशान होकर ही अपनी नौकरी से इस्तीफा देने की बात कही है। फिलहाल उन्होंने अपना इस्तीफा गृह विभाग को भेज दिया है। हालांकि अभी इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया है, बताया जा रहा है इस्तीफे के बाद आईपीएस को मनाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन इस बार हो सकता है कि वह ना माने। 

 
 पी रवींद्रनाथ अपनी चिट्ठी में आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था। साथ ही वह यह भी लिखते हैं कि मुझे कर्नाटक के चीफ सेक्रेटरी रवि कुमार द्वारा दिखाई गई उदासीनता से बहुत निराशा है। मैंने उनसे अपील की थी कि एससी एसटी एक्ट के तहत एक प्रोटेक्शन सेल बनाया जाए।  लेकिन उन्होंने मेरी मांग नहीं मानी और मेरा ट्रांसफर कर दिया गया।  मैंने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की थी जो फर्जी सर्टिफिकेट बनाने में शामिल थे।
 
 उन्होंने कहा कि पश्चिमी घाट के कई उच्च जाति के परिवारों ने फर्जी एससी/एसटी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया है, जिसकी वह जांच कर रहे हैं और संबंधित अधिकारियों को कानूनी कार्रवाई शुरू करने की सिफारिश की थी।  इसके कारण ही उनका तबादला कराया गया है। वह यह जांच कर्नाटक के विधायक रेणुकाचार्य की बेटी और एक विधान परिषद् सदस्य के परिवार के सदस्यों से जुड़े फर्जी जाति प्रमाण पत्र की है। यह लोग सवर्ण जाति के है लेकिन इन्होने जाति प्रमाण पत्र एससी एसटी के बनवा लिए है। 
 
गौरतलब है कि साल 2014 में भी बेंगलुरू पुलिस कमिश्नर राघवेंद्र औराकर से नाराज होकर रविंद्रनाथ ने अपना इस्तीफा दे दिया था।  इसके पीछे मामला एक कैफे के जुड़ा हुआ बताया गया। कैफे में  यह मामला महिला की तस्वीरें खींचने को लेकर था। उस केस में रवीन्द्रनाथ के अनुसार उन्हें फंसाया गया था। पिछले साल भी एक बार रवींद्रनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कारण था उस समय उन्हें डीजीपी के पद पर प्रमोट नहीं करना था जबकि उनके जूनियर को प्रमोशन दे दिया गया था। 
 
तब उन्होंने विरोध जताने के लिए इस्तीफा दिया था। लेकिन बाद में उन्हें डीजीपी बना दिया गया तो उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। हालांकि डीजीपी का मुख्य पद नहीं दिया गया था।  फिलहाल,  वह कर्नाटक के डीजीपी ( डायरेक्टर ऑफ सिविल राइट्स इंफोर्समेंट ) के पद पर तैनात थे। लेकिन अब उन्हें डीजीपी ( ट्रेनिंग ) बना दिया गया है।   

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