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MLA को फर्जी स्वीकृति देने वाले IAS के खिलाफ कार्यवाई क्यों नहीं?

MLA को फर्जी स्वीकृति देने वाले IAS के खिलाफ कार्यवाई क्यों नहीं?

20 अप्रैल का दिन था जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौसी को उत्तराखंड पुलिस ने यूपी बॉर्डर पर रोक लिया था। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का देहांत होने के बाद उनकी मौसी सरोज देवी अपने पुत्र सतेंद्र बिष्ट के साथ उत्तराखंड जा रही थी। लेकिन तब उत्तराखंड पुलिस ने बड़ी तत्परता दिखाते हुए योगी आदित्यनाथ की मौसी को न केवल जाने से रोक दिया बल्कि वापिस घर भेज दिया।

बावजूद इसके कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौसी सरोज देवी के पास सहारनपुर के अपर जिलाधिकारी विनोद कुमार द्वारा स्वीकृति पत्र मौजूद था। इस मामले को बीते हुए 10-12 दिन ही हुए थे कि अब यूपी के एक बाहुबली विधायक ने उत्तराखंड में अपने लाव लश्कर के साथ जाकर सारे नियम कानून को तिलांजलि दे दी।

उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक अमनमणि त्रिपाठी न केवल अकेला उत्तराखंड में घुसे बल्कि अपने साथ 3 गाड़ियों का काफिला भी लिया और 10 अन्य लोगों को भी वह साथ ले गए। हालांकि, इस दौरान पुलिस ने उनकी चेकिंग की। लेकिन जब विधायक के पास उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओमप्रकाश का ऑथराइज पत्र मौजूद था तो पुलिस भी उन्हें सैल्यूट करते हुए चली गई। मजेदार बात यह है कि यूपी का यह दबंग विधायक प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के पिता स्वर्गीय आनंद बिष्ट के पितृ कार्य के बहाने उत्तराखंड में घुस गया था।

जबकि योगी आदित्यनाथ के परिवार से अमनमणि त्रिपाठी का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओम प्रकाश द्वारा यूपी के विधायक को एक स्वीकृति पत्र दिया गया। जिसमें कहा गया कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता के पितृ कार्य के लिए बद्रीनाथ, केदारनाथ जाएंगे। लिहाजा उन्हें अपने साथियों के साथ वाहनों समेत जाने की अनुमति दी जाए।

इसी के साथ उन्होंने अनुमति पत्र पर विधायक सहित 11 लोगों के नाम भी अंकित कर दिए। यही नहीं बल्कि मुख्य सचिव ने विधायक का पूरे 5 दिन का पिकनिक का कार्यक्रम इसी अनुमति पत्र में स्वीकृत कर दिया। जिसमें कहा गया कि विधायक अमनमणि त्रिपाठी दो मई से 7 मई तक उत्तराखंड में रहेंगे। इसके अनुसार 2 मई को वह देहरादून से श्रीनगर जाएंगे, तो 3 मई को श्रीनगर से बद्रीनाथ। इसी के साथ 5 मई को वह बद्रीनाथ से केदारनाथ आएंगे और फिर 7 मई को केदारनाथ से देहरादून होते हुए यूपी में वापस चले जाएंगे।

विधायक उत्तराखंड में घुसे ही नहीं बल्कि 5 जिलों में की सीमा पार करते हुए पहुंच गए थे। जहां उनका कर्णप्रयाग के एसडीएम से विवाद हो गया। विवाद कोरोना टेस्ट कराने को लेकर हुआ और कहा गया कि विधायक ने डॉक्टरों को सहयोग नहीं दिया। इसके चलते विधायक को बीच में ही अपना कार्यक्रम स्थगित करके वापस यूपी लौटना पड़ा। जहां यूपी के बिजनौर में उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन पर बिना स्वीकृति के घूमने और लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में मामला दर्ज कर दिया।

यही नहीं बल्कि यूपी पुलिस ने 14 दिन का कोरेन्टाइन भी करा दिया। जबकि यह साहस उत्तराखंड पुलिस नहीं कर सकी। इसके बाद जब मामले ने तूल पकड़ा तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के भाई महेंद्र बिष्ट ने इस मामले पर नाराजगी जताई और कहा कि विधायक का उनके पिताजी के पितृ कार्यक्रम में आने का कोई सवाल ही नहीं था। वह पितृ कार्य अपने तीन भाइयों के साथ मिलकर कर रहे थे। इसी के साथ उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस मामले में विधायक से पल्ला झाड़ लिया है। भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा है कि यदि कोई विधायक सैर सपाटे के लिए मुख्यमंत्री के नाम का इस्तेमाल करता है तो इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।

लेकिन वहीं दूसरी तरफ सवाल यह है कि उत्तराखंड सरकार ने अभी तक भी प्रमुख सचिव ओम प्रकाश के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है। सवाल यह है कि ऐसे समय में जब बद्रीनाथ और केदारनाथ के कपाट लोगों के लिए बंद है तो विधायक को प्रमुख सचिव ओमप्रकाश ने इन तीर्थ स्थलों पर जाने की स्वीकृति कैसे दे दी।

यही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार से बिना संज्ञान लिए ही ओमप्रकाश ने यह कैसे लिख दिया कि विधायक अमनमणि त्रिपाठी अपने साथियों के साथ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पितृ कार्य के लिए उत्तराखंड जा रहे हैं। आखिर प्रदेश् के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और प्रमुख सचिव से इतनी बडी चूक कैसे हुई। इसकी जांच होना जरूरी है। साथ ही मामले में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ भी एक्शन लिया जाना जरूरी है। लेकिन शायद ही ऐसा साहस उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेद्र सिंह रावत कर पाए?

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