दुनिया के चार राष्ट्राध्यक्ष भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हुए हैं और इन सबका कनेक्शन इंडिया से है। दक्षिण अफ्रीका के एक पूर्व राष्ट्रपति को तो जेल की सजा हो गयी है जबकि फ़्रांस के एक पूर्व और एक वर्तमान राष्ट्रपति राफेल डील भ्रष्टाचार की जाँच के लपेटे में हैं, तो वहीं ब्राजील के राष्ट्रपति कोरोना वैक्सीन घोटाले में अपने देश में जनता के विरोध का सामना कर रहे हैं।
इस समय ब्राज़ील के अख़बारों में इंडिया को विशेष जगह मिल रही है। अख़बारों की हेडलाइंस में भारत की चर्चा तो है ही साथ ही ब्राज़ील के निवासी भी सड़कों पर उतरकर भारत के खिलाफ गुस्सा जाहिर कर रहे हैं । दरअसल भारत बायोटेक को एक स्वदेशी कंपनी बताकर उसे खुद से जोड़ लेने के कारण भारत को ब्राज़ील में नुकसान झेलना पड़ रहा है। आपको याद होगा 28 नवंबर, 2020 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी के प्लांट का दौरा किया था। उस समय ये धारणा बनने लगी कि ये वैक्सीन स्वदेशी है और भारत के वैज्ञानिक इसे बना रहे हैं।
Gillbert की खोज के कारण ही बना ऑक्सफ़ोर्ड का टीका
लेकिन फिर 9 मई को भारत सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया गया कि भारत सरकार द्वारा सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक को रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए कोई नई राशि आवंटित नहीं की गई है। तब भी जबकि भारत बायोटेक के साथ इंडियन कॉउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च साझेदार है। लेकिन अब तक ये ही बताया जाता और दोहराया जाता है कि भारत के वैज्ञानिकों ने कोरोना वैक्सीन बनाया है। लेकिन वो वैज्ञानिक कौन हैं इसका किसी को कुछ पता नहीं। 28 जून को टेनिस कोर्ट में साइंटिस्ट Dame Sarah Gillbert को कोरोना वैक्सीन की खोज करने के सम्मान में स्टेडियम में मौजूद दर्शकों ने सलामी दी। Gillbert की खोज के कारण ही ऑक्सफ़ोर्ड का टीका बनाना संभव हो पाया है।
Covaxin के खरीद घोटाले में ब्राजील के राष्ट्रपति फंसे
ब्राजील में वैक्सीन खरीद में अधिक कीमत चुकाने के आरोप में राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो फंसते नजर आ रहे हैं। भारतीय कंपनी भारत बायोटेक की Covaxin की डील संबंधी मामले में ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो फंस गए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि जब को वैक्सीन को ब्राज़ील की नियामक संस्था और डब्लूएचओ ने मंजूरी नहीं दी तो उस समय इसके साथ करार क्यों किया गया? क्यों फ़ाइज़र के सस्ते प्रस्ताव को ठुकराया गया और Covaxin के साथ महंगी डील को महत्व दिया गया। ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने भारत बायोटेक के साथ 32 करोड़ डॉलर की डील की थी। ये डील ब्राज़ील की अब तक की कोरोना वैक्सीन के लिए की गई सबसे महंगी डील है। डील हो जाने के बाद भारत बायोटेक ने 8 मार्च को वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मांगी थी।
स्वास्थ्य नियामक अन्विसा रखना चाहती है भारत के वैक्सीन को ब्राज़ील से बाहर
30 मार्च, 2021 को ब्राज़ील के स्वास्थ्य नियामक अन्विसा ने कंपनी को सर्टिफिकेट देने से इंकार कर दिया साथ ही वैक्सीन के आयात पर भी रोक लगा दी गई। तब भारत बायोटेक के चेयरमैन कृष्णा इल्ला ने कहा था कि अन्विसा राष्ट्रवादी फैसला ले रही है। क्योंकि वो भारत के वैक्सीन को ब्राज़ील से बाहर रखना चाहती है। हम इसका विरोध करेंगे और इसके खिलाफ अपील करेंगे।
एस्टाडो डी साओ पाउलो अखबार ने बताया था कि ब्राजीली सरकार ने दो करोड़ कोरोना वैक्सीन Covaxin की खुराक के लिए भारतीय कंपनी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इसमें एक डोज की कीमत 15 डॉलर (लगभग 1117 रुपये) बताई गई थी। जबकि, दिल्ली स्थित ब्राजील के दूतावास के एक गुप्त संदेश में कोवैक्सीन की एक डोज की कीमत 100 रुपये (1.34 डॉलर) थी।
ब्राजील की सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी
यही कारण है कि बोलसोनारो के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठे विपक्षी सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट से जांच का अनुरोध किया था। इसी मामले में सुनवाई के दौरान ब्राजील की सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय कंपनी भारत बायोटेक के साथ Covaxin डील को लेकर जांच के आदेश दिए हैं। ब्राजील की जी 1 वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस रोजा वेबर ने अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के अनुरोध पर सहमति जताते हुए 90 दिनों के अंदर जांच पूरी करने की मंजूरी दी है। राष्ट्रपति के खिलाफ देश की जनता 40 से अधिक राज्यों में विरोध प्रदर्शन कर रही है।
बोलसोनारो की भूमिका का पता लगाएंगे जांचकर्ता
जांचकर्ता इस बात का पता लगाएंगे कि राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो इस बारे में क्या कर रहे थे। यानी कोर्ट ने डील में बोलसोनारो के भूमिका की जांच को मंजूरी दी है। इस बीच ब्राजील के वामपंथी और मध्यमार्गी दलों ने निचले सदन में बोलसोनारो के खिलाफ महाभियोग का अनुरोध दायर किया है।
ब्राजील ने कोवैक्सीन डील को किया निलंबित
Covaxin खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद ब्राजील ने भारत बॉयोटेक के साथ की गई डील को निलंबित कर दिया है। ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्री मार्सेलो क्विरोगा ने ट्वीट कर बताया कि सीजीयूऑनलाइन की अनुशंसा पर हमने Covaxin करार को अस्थायी रूप से निलंबित करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि सीजीयू के प्रारंभिक विश्लेषण के मुताबिक, करार में कोई अनियमितता नहीं हैं लेकिन अनुपालन के कारण, मंत्रालय ने और विश्लेषण के लिए करार को रोकने का फैसला किया है।
बोलसोनारो के खिलाफ सीनेट भी कर रही जांच
बोलसोनारो हाल के कुछ हफ्तों में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों के निशाने पर रहे हैं। उन्होंने सीनेट की समिति द्वारा सरकार की कोविड-19 प्रतिक्रिया की जांच करने को राष्ट्रीय शर्मिंदगी बताया। बोलसोनारो ने कहा कि इस जांच का मकसद उनके प्रशासन को कमतर बताना है। ब्राजील में जांच की जा रही है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीकों को खरीदने के अवसरों को नजरअंदाज क्यों किया। जबकि, बोलसोनारो ने मलेरिया की दवा, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की लगातार हिमायत की है जिसे कई अध्ययनों में कोविड-19 के इलाज में बेअसर बताया गया है।