आपने राजकुमार हिरानी की फिल्म थ्री इडियट्स ज़रूर देखी होगी,जिसमे अभिनेता आमिर खान ने एक इनवेंटर का किरदार निभाया था जो भारत के सुदूर उत्तर में लद्दाख में रहता है और बच्चों को पढ़ाता है। यह किरदार जिस शख्सियत से प्रेरित था, उनका नाम है सोनम वांगचुक है,जो आज आज कल चर्चा के केंद्र में है। सोनम वांगचुक लद्दाख के मशहूर इंजीनियर और इनवेंटर सोनम वांगचुक अपने गृह प्रदेश के पर्यावरण को बचाने के लिए सांकेतिक अनशन पर बैठे हैं। वांगचुक ने आरोप लगाया है कि लद्दाख प्रशासन उनकी आवाज को दबाना चाहता है, क्योंकि वह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली विकास परियोजनाओं के विरोध में उपवास कर रहे हैं।
इससे पहले वांगचुक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को टैग करके एक ट्वीट भी किया है,जिसमे उन्होंने कहा कि ‘मैं पर्यावरण को बचाने के लिए सिर्फ उपवास और प्रार्थना कर हूं। फिर भी केंद्रशासित प्रदेश का प्रशासन मुझे परेशान कर रहा है। वह चाहता है कि मैं एक महीने तक कोई बयान न दूं। किसी सार्वजनिक बैठक में हिस्सा न लूं। आखिर यह कितना सही है।’ इतना ही नहीं वांगचुक ने दावा किया कि उन्हें नजरबंद किया गया है और सही मायने में उनकी हालत नजरबंद से भी बदतर है। वहीं, प्रशासन का कहना है कि वांगचुक को सिर्फ माइनस 40 डिग्री तापमान में भूख हड़ताल करने से रोका गया है। इसको लेकर लेह की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पीडी नित्या का कहना है कि उन्हें खारदुंग ला दर्रे में पांच दिन का उपवास करने की इजाजत नहीं दी गई थी क्योंकि वहां तापमान माइनस 40 डिग्री तक गिर जाता है,उन्हें और उनके समर्थकों के लिए वहां जाना बेहद खतरनाक होता और इसलिए उनसे अनुरोध किया गया कि वह अपने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव्स लद्दाख के परिसर में ही उपवास करें। इस विवाद पर कई जानकारों का कहना है कि यह विवाद उस वक्त हो रहा है, जब उत्तराखंड के जोशीमठ में विकास कार्यों की वजह से कई घरों के दरकने की बात सामने आ रही है।
क्या है वांगचुक की मांग?
लेह जिले के आलची के पास उलेयतोकपो में जन्मे 56 वर्षीय वांगचुक सामुदायिक शिक्षा के अपने मॉडल के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड पा चुके वांगचुक लद्दाख क्षेत्र को विशेष अधिकारों और पर्यावरण सुरक्षा की मांग के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका मानना हैं कि हिमालयी क्षेत्र को बचाने के लिए लद्दाख को विशेष दर्जे की जरूरत है। 30 जनवरी को अपने 5 दिन लंबे प्रतीकात्मक उपवास के पूरा होने के मौके पर उन्होंने कहा कि आज मेरे प्रतीकात्मक कार्बन न्यूट्रल जलवायु उपवास का अंतिम दिन है। यह उपवास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित करने की एक कोशिश थी ताकि हमारे नेता उन्हें हमारी चिंताओं और मांगों के बारे में बता सके,इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि हिमालय और उसके ग्लेशियरों की सुरक्षा किन्हीं कॉरपोरेट को खुश करने से ज्यादा जरूरी होना चाहिए क्योंकि उसका असर पूरे उपमहाद्वीप के लोगों के जीवन पर हो रहा है। हिमालय में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकार को भविष्योन्मुखी योजना बनानी होगी। संविधान की छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करना भी इसका हिस्सा है। भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत जातीय और जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिला परिषदों और क्षेत्रीय परिषदों क अपने-अपने क्षेत्रों के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। फिलहाल भारत के चार राज्य मेघालय असम, मिजोरम और त्रिपुरा के दस जिले इस अनुसूची का हिस्सा हैं। वांगचुक की मांग है कि लद्दाख को भी इस अनुसूची के तहत विशेषाधिकार दिए जाएं।
कौन हैं सोनम वांगचुक?
56 साल के सोनम वांगचुक मैकेनिकल इंजीनियर और हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख के निदेशक हैं। उन्हें साल 2018 में प्रतिष्ठित मैगसेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। साल 2009 में आई सुपरहिट फिल्म ‘3 इडियट्स’ का मुख्य किरदार फुनसुख वांगड़ू असल में वांगचुक से ही प्रेरित था। इसे बड़े परदे पर आमिर खान ने निभाया था। था।वांगचुक अपने अनूठे स्कूल- स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख की वजह से काफी मशहूर हैं। इसका कैंपस सौर ऊर्जा पर चलता है। यहां खाना पकाने, रोशनी या हीटिंग के लिए जीवाश्म ईंधन यानी पेट्रोल-डीजल या कोयले का इस्तेमाल नहीं होता। उन्होंने साल 1998 में इस स्कूल की नींव रखी। इसका मकसद उन बच्चों को ट्रेनिंग देना था, जिन्हें सिस्टम नामाक करार देता है। साल 1994 में,वांगचुक ने सरकारी स्कूलों की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए ऑपरेशन न्यू होप लॉन्च भी किया था।