महाराष्ट्र में पिछले 1 महीने से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है । भाजपा से लेकर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के प्रमुख नेता अपनी रणनीति महाराष्ट्र में इस्तेमाल कर रहे हैं । हर कोई अपने-अपने दांव पेच दिखा रहा है । कभी फ्रंट पर भाजपा के मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस आ जाते हैं तो कभी शिवसेना के उधव ठाकरे और संजय राउत । इसी दौरान एनसीपी ने भी अपने दाव बखूबी चले । कभी चाचा शरद पवार तो कभी भतीजा अजित पवार “पावर गेम” दिखाते रहें ।
लेकिन इस दौरान एक नेता की जो कमी महसूस हुई वह है राहुल गांधी ।राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के सरकार प्रकरण में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई । यहां तक कि वह इस मामले से बहुत दूर रहे । हिर – फिर कर बात सोनिया गांधी से होती रही । जबकि प्रदेश में कमान अहमद पटेल ने अपने हाथ रखी। महाराष्ट्र में राहुल गांधी के नदारद रहने के क्या कारण है इस बात को लेकर राजनीतिक हलको में चर्चा – ए – आम है।
गौरतलब है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कल 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। इस कार्यक्रम के लिए राजनीति के कई बड़े दिग्गजों को न्योता दिया जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा सोनिया गांधी के भी पहुँचने की संभावना जताई जा रही है ।
लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में राहुल गांधी शामिल नहीं होने वाले हैं। इतना ही नहीं पिछले काफी समय से जब शिवसेना के साथ गठबंधन की बात चल रही थी तब भी राहुल गांधी ने दूरिया बनाकर रखी थी। शिवसेना की ओर से कहा जा रहा था कि तीनों दलों के बड़े नेताओं को शपथ ग्रहण में बुलाया जाएगा, लेकिन राहुल गांधी के नहीं पहुँचने पर महागठबंधन को झटका लग सकता है।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को शपथ ग्रहण में न्योता देने के लिए खुद शरद पवार खुद जाने वाले हैं। याद रहे कि शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे कल 28 नवंबर को शाम साढे छह बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं।