प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर फ्रांस जा रहे हैं। इस दौरान कई बड़े सैन्य और रणनीतिक समझौतों पर मुहर लग सकती है। इनमें नौसेना के लिए 26 राफेल समुद्री लड़ाकू विमान और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का सौदा प्रमुख है। पीएम मोदी फ्रांस के वार्षिक बैस्टिल डे परेड कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बाद मोदी इस कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि बनने वाले दूसरे भारतीय प्रधानमंत्री होंगे।
कितना अहम पीएम का फ्रांस दौरा
प्रधानमंत्री का फ्रांस दौरा बेहद अहम और ऐतिहासिक होने वाला है। दोनों देशों के बीच 90 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रणनीतिक डील होने वाली हैं। इसमें भारत को 26 राफेल विमान और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियां मिलने वाली हैं। स्कॉर्पीन डील भारत के रक्षा मंत्रालय के प्रोजेक्ट 75 के तहत चल रही है। पनडुब्बियां उसी का हिस्सा बनने जा रही हैं। इसका उद्देश्य योजनाबद्ध तरीके से भारतीय नौसेना के लिए डीजल और इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की खरीद करना है। इसके तहत भारत को ये पनडुब्बियां मिलने जा रही हैं। प्रधानमंत्री अभी अमेरिका की यात्रा से लौटे हैं और अब उनकी फ्रांस यात्रा के दौरान एक बार फिर करोड़ों रुपये के रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर और घोषणा होने वाली है। प्रधान मंत्री फ्रांस में बैस्टिल दिवस समारोह में सम्मानित अतिथि के रूप में भाग लेंगे और भारतीय सैनिक भी सैन्य परेड में भाग लेंगे। ये सभी घटनाक्रम न केवल दोनों देशों के बीच बहुत अच्छे और समझदार रिश्ते का संकेत देते हैं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी का भी संकेत देते हैं। बहुपक्षीय नजरिए से देखा जाए तो चीन बार-बार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आगे आ रहा है। हिंद प्रशांत क्षेत्र को तटस्थ बनाए रखने के लिए अब पश्चिमी ब्लॉक और एशिया के देश एक साथ आगे आ रहे हैं। चाहे वह जापान हो, ऑस्ट्रेलिया हो, दक्षिण कोरिया हो। अब फ्रांस जैसे देशों पर यूरोप की नजर पड़ने लगी है। इसे एक रणनीतिक गठबंधन के तौर पर भी देखा जा रहा है।
हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए राफेल मरीन फाइटर जेट भारतीय नौसेना को बड़ी ताकत दे सकते हैं, जो अमेरिकी फाइटर हॉर्नेट से बेहतर और सस्ते बताए जा रहे हैं। रूस के बाद फ्रांस हमारे लिए दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता है। इस बार के रक्षा सौदे में उम्मीद जताई जा रही है कि फ्रांस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए भी तैयार हो सकता है। सुखोई विमानों को लेकर रूस के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं होने के कारण कई दिक्कतें आ रही हैं। अब कहा जा रहा है कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत जिन तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की बात हो रही है, उन्हें भारत लाया जा सकता है। यानी इन्हें भारत में ही तैयार किया जा सकता है। अगर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होगी तो यह बेहद फायदेमंद होगा।
आज हम जिस युग में जी रहे हैं, उसमें अगर हमें किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो टेक्नोलॉजी बहुत अहम भूमिका निभाती है। पिछले वर्षों में भारत ने देखा है कि कैसे विकसित देश विकासशील देशों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए अपने उपकरण तो बेच देते थे, लेकिन उससे जुड़ी तकनीक उपलब्ध नहीं कराते थे। इसकी वजह से विकासशील देशों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। भारत को भी ऐसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। लेकिन अब धीरे-धीरे विकसित देश प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लेकर अपना रवैया बदल रहे हैं। अमेरिका के साथ भारत ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को लेकर बड़े समझौते और कार्ययोजनाएं बनाई हैं और हम इस पर काम कर रहे हैं। आप फ्रांस भी एक ऐसा देश बनने जा रहा है, जहां से टेकनोलोजी के हस्तांतरण के कारण भारत के पास स्वयं निर्मित उपकरण होंगे। यह भारतीय सेना को मजबूत करने में बहुत मददगार होगा। इसके बाद प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से इससे जुड़ी बाधाओं को आसानी से पार करके आगे बढ़ सकते हैं। भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक मामलों में पिछले कुछ वर्षों में बहुत अच्छी समझ विकसित हुई है। आर्थिक मामलों पर भी नजर डालें तो दोनों का आपसी कारोबार भी काफी अच्छा चल रहा है। दोनों देशों के बीच 10 अरब यूरो से ज्यादा का कारोबार हो रहा है। अगर एफडीआई पर नजर डालें तो उसमें भी फ्रांस का योगदान भारत में बहुत अच्छा है। फ्रांस 11वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक देश है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच रणनीतिक समझ विकसित हुई है। जहां आर्थिक संबंध अब रणनीतिक संबंधों की दिशा में बहुत अच्छे से आगे बढ़ रहे हैं। फ्रांस से भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से न केवल मेक इन इंडिया कार्यक्रम को मदद मिलेगी। इसके साथ ही इससे हमें हमारी क्षेत्रीय सुरक्षा, खासकर हिंद प्रशांत क्षेत्र में काफी ताकत मिलेगी।’
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पिछले दिनों से फ्रांस की राजधानी पेरिस में पुलिस के हाथों अल्जीरियाई मूल के 17 वर्षीय किशोर नाहेल एम की मौत के बाद पूरा देश दंगों की आग में जल रहा है। कई शहरों में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने सैकड़ों गाड़ियां फूंक दी हैं। फ्रांस के अलावा यह हिंसक प्रदर्शन यूरोप के कई अन्य देशों में भी फैल गया है। इन सबके बीच जहां एक ओर फ्रांस जल रहा है, वहीं दूसरी ओर श्वेत और अरब मूल के फ्रांसीसी नागरिकों के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया पर मुस्लिम प्रवासियों से जुड़े वीडियो शेयर कर उन्हें यूरोप आने से रोकने की मांग तेज हो गई है। हालत यह हो गई है कि देश में हालात बद से बदतर होने लगे हैं।