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फायरब्रांड नेता उमा भारती को किनारे क्यों कर रही भाजपा?

फायरब्रांड नेता उमा भारती को किनारे क्यों कर रही भाजपा?

एक जमाना था जब मध्यप्रदेश की राजनीति में उमा भारती के बिना परिंदा भी पर नहीं मारता था। आज हालात बिल्कुल विपरीत हो चुके हैं। ऐसे में जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाया गया है और कैबिनेट का विस्तार भी हुआ है पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को अहमियत ना देना कई सवाल खड़े करता है। कहने को तो उमा भारती पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी है। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें कैबिनेट विस्तार में बुलाया तो था, मगर राजनीतिक गलियारों में इसे औपचारिकता माना गया। आखिर क्या वजह है कि भाजपा ने अपनी इस तेजतर्रार फायरब्रांड नेत्री को किनारे कर दिया है?

कभी राम मंदिर आंदोलन की जनक कहे जाने वाले नेताओं में शुमार रही उमा भारती को भाजपा अपनी थीम लीडर मानती थी। कोई भी बड़ा कार्यक्रम उमा भारती के जोशीले भाषणों और उपस्थिति के बिना अधूरा माना था। लेकिन अब जिस तरह से भाजपा ने उमा भारती को हाशिए पर डाला है वह बीजेपी की राजनीति में चौंकाने वाला है। चौंकाने वाला इसलिए कह सकते हैं कि भाजपा अपने तेज तर्रार नेताओं को साइड करने में लगी है। भाजपा के नेताओं में यह कहते सुना जा सकता है कि भाजपा अब सिर्फ मोदी और अमित शाह तक ही सीमित होकर रह गई है।

मध्यप्रदेश में अब उमा भारती का डंका का आखिर क्यों नहीं बज रहा है? जब कांग्रेस से आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों को इतना महत्व दिया जा रहा है कि सरकार में उनकी रजामंदी के बिना एक भी मंत्री नहीं बनाया जा सकता। ऐसे में मध्यप्रदेश की राजनीतिक धूरी अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच सिमटती दिखाई दे रही है।

हालांकि, सिंधिया परिवार से उमा भारती का पुराना नाता रहा है। उमा भारती को भाजपा की राजनीति में लाने का श्रेय सिंधिया परिवार को ही जाता है। 2019 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो भाजपा ने उमा भारती को कहीं से भी लोकसभा प्रत्याशी नहीं बनाया। जबकि वह 2014 में झांसी की सांसद रह चुकी थी।

2019 में जब उमा भारती को लोकसभा का प्रत्याशी नहीं बनाया गया तो उसके बाद उन्हें आश्वासन दिया गया कि जल्द ही उन्हें राज्यसभा में भेजा जाएगा। लेकिन राज्यसभा में भी नहीं भेजा गया। हालांकि इस दौरान उमा भारती ने अपने आप को अस्वस्थ भी घोषित किया था। राजनीति के गलियारों में यह चर्चा चली थी कि जब भाजपा ने मोदी को चुनाव लड़ने के लिए लाल झंडी दिखाई तो उन्होंने स्वास्थ्य खराब का बहाना बना लिया।

 

हालांकि, मोदी सरकार पार्ट वन में उमा भारती को गंगा सफाई का मंत्रालय दिया गया था। लेकिन कुछ दिनों बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे यह मंत्रालय छीन लिया। तब कहा गया कि उमा भारती गंगा सफाई करने में नाकाम रही। जिसके चलते उनसे यह मंत्रालय ले लिया गया। बताया जा रहा है कि अब उमा भारती ने विधानसभा का चुनाव लड़ने का मन बना लिया है।

पिछले दिनों उमा भारती ने यह बात खुद कहीं कि वह 2024 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। ऐसा कहकर यह अपने निराश समर्थकों को यह संदेश देना चाहते हैं कि 2024 में वह मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री कैंडिडेट होंगी। बहरहाल, चर्चा यह भी है कि उमा भारती फिर से सक्रिय राजनीति में उतरना चाहती हैं। उनके समर्थक भी यही चाहते हैं कि वह सक्रिय राजनीति में आए। खासकर तब से जब से प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनी है।

तभी से इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि राज्य में होने वाले करीब दो दर्जन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में उमा भारती किसी एक सीट से चुनाव लड़ सकती है। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि कोरोना महामारी की वजह से चुनाव कब तक नहीं होंगे। कहा जा रहा है कि जून और जुलाई के बीच कभी भी उपचुनाव हो सकते हैं।

फिलहाल उमा भारती के पास कोई काम नहीं है। हालांकि, पिछले सप्ताह जब मुंबई के पालघर में साधुओं की हत्या की गई तो मॉब लिंचिंग के इस मामले में वह जरूर मीडिया के सामने आई। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राजधर्म निभाने की भी बात कही और साथ ही साधुओं पर हुए नरसंहार पर उमा भारती ने टि्वटर भी किया।

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