आजकल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बेहद एक्टिव मोड में है। अधिकतर वह एक्टिव मोड में उस समय आते हैं जब राजस्थान में उन्हीं की पार्टी के प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट प्रदेश में कोई महत्वपूर्ण कार्य योजना पर काम करते हैं। लेकिन इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के किसी एक्शन पर रिएक्शन नहीं कर रहे हैं, बल्कि वह कांग्रेस अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी की रि लॉन्चिंग के लिए एक्टिव हो गए हैं।
अपने ही गृह राज्य राजस्थान से वह अगले महीने संभवत राहुल गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने में कामयाब भी हो सकते हैं। अगले महीने राजस्थान के उदयपुर में पार्टी का चिंतन शिविर है। यह चिंतन शिविर 13 से 15 मई तक उदयपुर में होगा। जिसमें पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में किस तरह जीत हासिल हो इस पर गहन चिंतन होगा। साथ ही यह भी तय होगा कि पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बने।
पिछले दिनों प्रशांत किशोर उर्फ पीके को कांग्रेस का तारणहार बनाने के लिए पुरजोर तैयारी की गई थी। 2 मई को उन्हें पार्टी में ज्वाइन कराने की बातें भी हो रही थी। लेकिन अचानक पीके पीछे हट गए ।

तब प्रशांत किशोर ने अपने कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ अपना ‘प्लान प्रशांत’ साझा किया था। जिन में एक विचार यह भी था कि पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष गैर गांधी परिवार से बनाया जाए। हालांकि इससे पहले ही पार्टी में गैर गांधी परिवार का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की चर्चा होती रही है । पार्टी का जी 23 गुट तो इसको बार-बार हवा देता रहा है। जिसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम प्रमुखता से सामने आता रहा है ।
कई बार चर्चा चली कि राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत में ‘कोल्ड वार’ खत्म करने के लिए एक प्लान लाया जाए। जिसमें अशोक गहलोत को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए । जबकि सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाकर इस ‘कोल्ड वार’ को खत्म किया जाए।
फिलहाल, अशोक गहलोत को यही डर सता रहा है। पार्टी के सूत्रों की माने तो गहलोत को लग रहा है कि उदयपुर में होने वाले चिंतन शिविर में अगर गैर गांधी परिवार से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की बात चली तो उनका नाम सबसे पहले नंबर पर आएगा। ऐसे में उनसे राजस्थान छिन जाएगा और उन्हें राज्य की राजनीति से अलग कर केंद्र में सक्रिय कर दिया जाएगा । तब सचिन पायलट सूबे के मुखिया बन जाएंगे।
सचिन पायलट को गहलोत किसी भी कीमत पर राजस्थान का मुख्यमंत्री बनना नहीं देखना चाहते है। यही वजह है कि वह अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी को पदासीन करने के लिए गोटिया फिट करने में लगे हैं। यहां यह बताना भी जरूरी है कि 2014 में जब पहला चिंतन शिविर हुआ था तब राजस्थान में ही यह कार्यक्रम हुआ था। इसमें राहुल गांधी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था।