संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 हाल ही में न्यूयॉर्क शहर में आयोजित किया गया था। यह जल सम्मेलन 46 साल बाद हुआ है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि वर्ष 1977 के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ को फिर से जल सम्मेलन क्यों करना पड़ा और इस जल सम्मेलन में क्या हुआ…
क्या है जल सम्मेलन का औचित्य?
संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 हाल ही में न्यूयॉर्क शहर में आयोजित किया गया था। यह जल सम्मेलन 46 साल बाद हुआ है। सम्मेलन राष्ट्र द्वारा घोषित रचनात्मक दशक कार्यक्रम की मध्यावधि व्यापक समीक्षा के लिए आयोजित किया गया था। ‘जल के लिए सतत विकास 2018-2028’ शीर्षक के तहत जारी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने सभी के लिए पानी और स्वच्छता तक पहुंच और स्थायी प्रबंधन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को तत्काल लागू करने का निर्णय लिया है। 2030 जुलाई में न्यूयॉर्क में एक उच्च स्तरीय राजनीतिक समिति की बैठक आयोजित की जाएगी। 28वां विश्व जलवायु सम्मेलन इस साल के अंत में दुबई में आयोजित किया जाएगा। इस पृष्ठभूमि में जल-सम्मेलन में पानी के मुद्दे को केंद्र में रखने के साथ-साथ इन सम्मेलनों में सदस्य राज्यों को उचित दिशा-निर्देश और सिफारिशें देने पर भी विचार-विमर्श किया गया।
क्या दुनिया भर में पानी की समस्या एक जैसी है?
जल परिषद ने सभी के लिए जल संरक्षण, जल और स्वच्छता के लिए जल के सतत प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए सरकारों, कंपनियों, दानदाताओं और वित्तीय कोषदाताओं को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए उचित दिशा-निर्देश, सुझाव और सिफारिशें प्रदान करने पर विचार-विमर्श किया। पानी की समस्या पूरे विश्व की समस्या है। जल स्रोत का दूषित होना, एक ही क्षेत्र में बार-बार बाढ़ आना, किसी शहर या झुग्गी में पर्याप्त जल आपूर्ति की कमी दुनिया के सभी देशों में हो रही है। इनकी तीव्रता कम या ज्यादा होने पर भी दिक्कतें आती हैं। इस जटिल जल मुद्दे पर वैश्विक स्तर पर मिलजुल कर रास्ता निकालने के लिए चर्चा की गई।
पिछला संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 1977 में आयोजित किया गया था। सम्मेलन ने यह सुनिश्चित किया कि गरीब, अमीर, विस्थापितों को विकास के हर चरण में पानी पीने का अधिकार है और उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का अधिकार है। तदनुसार, अगले कई दशकों में सभी के लिए पीने का पानी और स्वच्छता प्रदान करने के लिए वैश्विक वित्त पोषण और ठोस प्रयास किए गए। परिणामस्वरूप, अधिकांश विकासशील देशों में लोगों के पास पीने के पानी की एक निश्चित आपूर्ति होती है। इससे पानी की कमी का सामना करने वाली आबादी के अनुपात में काफी कमी आई है।
जल सम्मलेन क्यों महत्वपूर्ण है?
1977 में हुए पिछले जल सम्मेलन के निर्णय के अनुसार आज विश्व भर में उत्पन्न जल समस्याओं का समाधान करना कठिन हो गया है। दुनिया भर में पानी के मुद्दे जटिल हैं। दुनिया भर के लोगों के लिए साफ पानी, स्वच्छता सुनिश्चित करना मुश्किल हो गया है। यद्यपि यह कार्य भारत में स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसे सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से हो रहा है, लेकिन आज यह नहीं कहा जा सकता कि देश में सभी लोगों को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। घटते भू-जल, घटते भू-जल स्तर और दूषित जल स्रोतों से संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित जल नीतियों में पर्याप्त सफलता मिलती नहीं दिख रही है। चावल और गन्ने की फसलों के लिए भूजल निकासी को कम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कम पानी में उगने वाली फसलों को तरजीह देना जरूरी है। देश की कृषि नीति में बदलाव नहीं होता, खासकर भूजल की समस्या का समाधान नहीं होगा। जल केवल पीने और स्वच्छता के लिए ही नहीं बल्कि कृषि, उद्योग, प्राकृतिक आवास (पारिस्थितिकी तंत्र) को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।
जल सम्मेलन के निष्कर्ष क्या हैं?
जल सम्मेलन के मौके पर पानी के मुद्दे पर छिड़ी चर्चा नए सिरे से शुरू हो गई। कई पहलुओं पर गहन, विस्तृत चर्चा हुई। सम्मेलन में कुछ निर्णय लिए गए। लेकिन, उन्हें किसी भी देश पर बाध्यकारी नहीं बनाया गया । दाताओं, सरकार, उद्योग और 713 गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने पानी के मुद्दों को दूर करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है। 713 एनजीओ में से 120 भारत के हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में अपशिष्ट जल उपचार, सौर ऊर्जा के उपयोग, उन्नत तकनीक का उपयोग कर जल प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा। ‘यूनेस्को’ के माध्यम से वैश्विक स्तर पर ज्ञान का संग्रह, विश्लेषण और आदान-प्रदान कर जल संरक्षण मॉडल तैयार करने पर जोर दिया जाएगा।
महिलाओं के लिए जल कोष
जो लोग अपनी बुनियादी सेवाओं, अधिकारों का आनंद नहीं ले सकते। महिलाएं आबादी का उच्चतम अनुपात हैं जो अपने अधिकारों के लिए नहीं लड़ सकती हैं। खासकर ऐसी महिलाओं को उनका हक दिलवाकर देने का विशेष प्रयास किया जाएगा। उसके लिए महिलाओं के लिए जल कोष बनाया जाएगा। इस कोष को जुटाने की पहल करने का निर्णय लिया गया, ताकि महिलाओं के लिए पर्याप्त पानी, स्वच्छता सुनिश्चित हो सके।
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जल स्रोतों के प्रदूषण की समस्या?
जल स्रोतों को दूषित करने वाले कीटनाशकों के उपयोग को कम करना आवश्यक है। उसके लिए स्थानीय स्वशासन निकायों द्वारा जागरूकता पैदा की जानी चाहिए। प्रदूषणकारी कीटनाशकों के उपयोग को एक आपराधिक अपराध बनाया जाना चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए। वैश्विक स्तर पर ऐसे कीटनाशकों और रसायनों के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए। उद्योग और कृषि में पानी का पुनर्चक्रण नहीं किया जाता है। पानी के उपयोग को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी का अभाव और पानी का अधिक कुशलता से उपयोग करने के लिए सरकार की ओर से कोई प्रोत्साहन नहीं। कृषि, उद्योग, सीवेज उपचार के मामले में भी ऐसा ही है। इन सभी सवालों पर जुलाई में न्यूयॉर्क में होने वाली उच्च स्तरीय राजनीतिक समिति की बैठक और दुबई में साल के अंत में विश्व जलवायु सम्मेलन में एक ठोस निर्णय पर पहुंचने के लिए चर्चा करने का निर्णय लिया गया है।